ताई जी
ताई जी
रात के दो बजे मोबाईल फ़ोन की घंटी से रोहित उठ बैठा। फ़ोन उठा कर देखा तो इंडिया से पापा का फोन था, रोहित ने फ़ोन उठा लिया।
"हैलो पापा, कैसे है ? वहाँ सब ठीक है ना ?"
"रोहित बेटा, तुम्हारी ताई जी अब इस दुनिया में नहीं रही।"
इतना सुनते ही रोहित के हाथों से फ़ोन छूट कर नीचे गिर गया। बचपन से लेकर अभी तक ताई जी के साथ गुजारे सभी पल रोहित के आगे एक पिक्चर के जैसे चलने लगे। मन ये मानने को बिल्कुल तैयार ना था कि ताई जी अब हमारे बीच नहीं रही, अभी बस दो दिन पहले ही फ़ोन पर उनसे बात हुई थी बस थोड़ी तबियत खराब थी फिर अचानक यह सब ?
रोहित अपने होश में तब आया जब उसकी पत्नी निशा ने उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछा,
"क्या हुआ रोहित? इतनी रात को किसका फ़ोन था ?"
"निशा, पापा का फ़ोन था। ताई जी अब नहीं रही।" किसी तरह रोहित निशा से इतना ही बोल पाया।
"ओह, यह तो बहुत बुरा हुआ। रोहित, मुझे पता है तुम ताई जी के बहुत करीब थे, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है? तुम हिम्मत से काम लो सब ठीक हो जायेगा।"
रोहित ने निशा की बातों को बिना सुने ही उठा और अपने स्टडी टेबल पर पड़े लैपटॉप को ऑन करने लगा। निशा ने रोहित से पूछा
"अब तुम लैपटॉप पर क्या कर रहे ?"
अपने बॉस को ईमेल कर रहा कि, "मैं कुछ हफ्तों के लिए इंडिया जा रहा और साथ में ही इंडिया की टिकट देख रहा हूँ।"
"अरे रोहित इंडिया जाने की क्या जरूरत है, मांँ पापा, ताऊ जी सभी तो है घर पर, वो सब कुछ देख लेंगे। वैसे भी कल सुबह इंडिया की टिकट बहुत ही महंगी होगी।"
"निशा, तुम्हें यहाँ रहना हो तो रहो। मैं कल सुबह जा रहा हूँ, ताई जी ने मुझे बेटे से भी बढ़कर माना है। पूरी ज़िन्दगी उन्होंने मुझे प्यार किया। यहाँ अमेरिका आने में भी उन्होंने मेरी बहुत मदद की थी। कहने के लिए सोनी दीदी उनकी और ताऊ जी की संतान है, लेकिन ताई जी ने मुझ में और सोनी दीदी में कभी कोई अंतर नहीं किया।"
यह कहते हुए रोहित ने लैपटॉप पर इंडिया टिकट कन्फर्मेशन के ऑप्शन पर क्लिक कर दिया।
