Piyush Goel

Children Stories Inspirational Children

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सत्यभामा द्वारा पारिजात की मांग

सत्यभामा द्वारा पारिजात की मांग

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यह बात द्वापर युग की है जब भगवान नारायण ने कृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया था। भगवान कृष्ण की कुल 16 सहस्त्र पत्नियां थी जिनमे प्रमुख थी सत्यभामा व रुक्मिणी। 

एक समय देवऋषि नारद श्रीकृष्ण से मिलने पृथ्वीलोक आए। उस समय नारद के हाथों में परिजात के फूल थे तथा नारद ने वे फूल श्रीकृष्ण को भेंट किए। श्री कृष्ण ने वे फूल साथ में बैठी अपनी पत्नी रुक्मणी को दे दिए। यह बात सत्यभामा को ज्ञात हुई तब सत्यभामा कृष्ण से रुठ कर अपने कोपभवन में चली गयी तब कृष सत्यभामा के पास गए और बोले -

कृष्ण : क्या हुआ देवी ? आप हमसे रुष्ट है ?

सत्यभामा : नही ! मैं तो आपसे अति प्रसन्न हूँ।

कृष्ण : क्या हुआ देवी ? आपके स्वरों में कटाक्ष के स्वर है। आप हमें बताए तो।

सत्यभामा : क्यो बताओ आपको ? आप तो मुझसे प्रेम ही नही करते। आप तो बस प्रेम का ढोंग करते है।

कृष्ण : देवी ! आप जो भी कह रही है वह हमें समझ नही आ रहा। कृपा स्पष्ट कहे।

सत्यभामा : स्पष्ट सुनना चाहते है आप ?

कृष्ण : हाँ देवी।

सत्यभामा : तो सुनिए ! आप मुझसे प्रेम नहीं करते।

कृष्ण : तुम ऐसा क्यों कहा रही हो प्रिये ? आखिर मैंने ऐसा किया है जो तुम्हे मेरे प्रेम पर संशय है ?

सत्यभामा : क्योकि आपने पारिजात का वृक्ष मुझे न देकर बल्कि अपनी प्रिय पत्नी दीदी रुक्मिणी को दे दिया है। 

कृष्ण ( मुस्कुराकर ) : देवी ! तुम मेरी मंशा को अनुचित न समझो , मैंने रुक्मिणी को पारिजात का पुष्प इसलिए दिया क्योकि उसने कभी भी पारिजात का वृक्ष देखा न था। 

सत्यभामा ( कटाक्ष में ) : यह सब तो कहने की बात है , आप मुझसे प्रेम करते ही नही। 

कृष्ण ( मुस्कुराकर ) : मैं आपको अपने प्रेम का प्रमाण कैसे दु देवी ? 

सत्यभामा : यदि आप मुझे वास्तविकता में प्रेम का प्रमाण देना चाहते है तो आप मुझे पूरे पारिजात का वृक्ष ही लाकर देदे। 

कृष्ण ( चिंता में ) : देवी ! आप पारिजात मांग रहे है। पारिजात स्वर्ग का पौधा है। आप उसे पृथ्वी पर लाने के लिए कह रही हो। 

सत्यभामा : देखा, आप अपनी प्रेम की परीक्षा में विफल हो गए।

कृष्ण ( मुस्कुराकर ) : ठिकहे ! यदि आप चाहती है तो मैं देवराज से पारिजात अवश्य लाऊंगा। 

तब भगवान ने नारदजी को इंद्र के पास भेजा पर देवराज ने पारिजात देने से मना कर दिया। जब यह सूचना केशव को मिली तब मुरलीधर क्रोधित हो गए। और उन्होंने देवराज पर आक्रमण किया और वह पारिजात ले आए।


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