सरकारी स्कूल में पढ़ती हूँ तो-1
सरकारी स्कूल में पढ़ती हूँ तो-1
आज सुबह से उसने खाना भी नहीं खाया था ।और ना अपने कमरे से बाहर निकली थी । ना जाने उसकी यह कैसी ज़िद थी कि, " बस...बहुत हो चुका , अब मैं अपना अपमान नहीं होने दूँगी। मैं भी खुद को बेहतरीन शिक्षा दूँगी !"
मेहनती तो वह थी ही , ऊपर से सरस्वती की कुछ ऐसी अनुकम्पा थी कि जो कुछ भी पढ़ती , उसे याद रह जाता था ।
" आज तो हमारी लाडो चाय पर भी नहीं दिखी और ना नाश्ते पर और अब खाने के समय भी नदारद है । लगता है ... अभी तक पढ़ाई कर रही है !"
पापा ने कहा तो मम्मी मुस्कुराते हुए बोली ,
" आपकी लाडली पढ़ाई में ऐसी डूबी हुई है कि , ज़ब मैं उसे चाय नाश्ता कमरे में देने गई तो हाथ के इशारे से ही बोली , कि सब टेबल पर रख दो , और फिर पढ़ने में लग गई !"
अब तक दादी भी खाना खाने आ गई थी । और कुछ गर्व से बोली ,
"मेरी लाडली तो मुझे सुबह-सुबह आकर पैर छूकर प्रणाम चुका करके गई है और यह भी कह कर गई है कि 'दादी !आशीर्वाद दो कि मेरा नए स्कूल में एडमिशन हो ही जाए!"
अब तक चुप बड़ी बहन मोनिका भी बोल पड़ी ,
"समझ नहीं आता कि , ये सोनी को कैसी धुन चढ़ी है , वरना ये स्कूल बढ़िया है। आखिर भैया और मैं भी तो इसी स्कूल से पढ़कर निकले हैं !"
खैर ... बातों का रुख फिर से बदलते हुए देखकर पापा नहीं सोचा कि बच्चे फिर से किसी विवाद में ना पड़ जाएं... इसलिए उन्होंने अपने बड़े बेटे चीनू से कहा ,
"जा बेटा ! सोनी को बुला ला!"
तब चिन्मय यानि कि चीनू .... सोनिका यानि सोनी के कमरे में गया और उसे आवाज लगाई ,
" सोनी तू कहां है जल्दी आओ ,पापा तुम्हें बुला रहे हैं!"
"ऐसे नहीं भैया... इंग्लिश में बोलो तब आउंगी !"सोनी, वेयर आर यू ? , पापा इज कॉलिंग यू !"
चीनू ने सोनी को बुलाया तो...
वह अभी भी किताब खोलकर बैठी थी। और दनादन वर्ड मीनिंग याद कर रही थी।
ज़ब चीनू ने दुबारा बोला कि....
" चलो तुमको पापा बुला रहे हैं!"
" तो... आप ऐसा करो भैया कि...
अभी से लेकर कल तक मुझसे सिर्फ इंग्लिश में बात करना। मुझे कैसे भी करके अपना एडमिशन सनराइज़ इंटरनेशनल स्कूल में करवाना ही है !"" ठीक है ... ठीक है .... तेरा एडमिशन हो जाएगा। लेकिन तू बार फिर से सोच ले। तुझे यहां क्या तकलीफ है? यहां तू इतने अच्छे से पढ़ रही है। और सब कुछ समझ भी चुकी है। सिर्फ इंग्लिश मीडियम में पढ़ना है....बोल करके तू अगर प्राइवेट स्कूल में जा रही है तो.... मैं तो कहूंगा तू गलती कर रही है !"
" नहीं भैया! मैंने बहुत सह लिया। अब मैं सरकारी स्कूल में पढ़ कर अपनी और बेइज़्ज़ती नहीं कराऊंगी "सोनी की बात सुनकर चीनू सोचने लगा कि ...
यह भी एक तरह से सोनी की गलतफहमी है कि ... क्योंकि सरकारी स्कूल में पढ़ाई अच्छी नहीं होती है या वहां के बच्चों की इंग्लिश कमजोर होती है । यह तो कुछ समझ का फर्क है।
और वह किसी तरह से अपनी बहन को समझाना चाहता था पर, सोनी कुछ भी समझने को तैयार हो तब ना ....?लेकिन..... सोनी ने सोच लिया था कि ....
अब बस ....वह आठवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ चुकी है। अब तो उसे बस प्राइवेट स्कूल में पढ़ना है ।
वह प्राइवेट स्कूल में पढ़ कर अपनी इंग्लिश अच्छी करना चाहती थी और अपना इंप्रेशन भी अच्छा बनाना चाहती थी। क्योंकि वह जितने भी साल सरकारी स्कूल में पढ़ती रही, उससे पब्लिक स्कूल वाले बच्चे दोस्ती करते ही नहीं थे। और कहीं ना कहीं उसे दोयम दर्जे का एहसास होता था।
गौतम जी की सरकारी नौकरी चाहिए और उनका तबादला भी छोटे-मोटे जगह में होता था उनकी नौकरी सिंहभूम जिले में थी तो उसी आसपास में का तमाशा होता रहा था उनकी पत्नी शांति प्रणाम पांडु के बाद शांति और वह अपनी मां आशा जी के साथ रहते थे। विगत कई कई साल टाटीसिलवे में रहने के बाद अब उनका तबादला नोआमुंडी में हुआ था। यहां पर घर के पास ही पब्लिक स्कूल था और सरकारी स्कूल थोड़ा दूर था।
उनके दोनों बच्चे बड़े बच्चे समझदार थे बड़ा बेटा चिन्मय यानी कि चीनू बारहवीं करके इंजीनियरिंग कर रहा था। और बेटी मोनिका यानि मोनी बारहवीं का इम्तिहान देकर आई थी और आगे की पढ़ाई के लिए रिजल्ट का इंतजार कर रही थी।
गौतम जी की रेलवे की सरकारी नौकरी होने की वजह से अब तक उनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते रहे थे लेकिन यहां आने के बाद जब सोने का जो की आठवीं कक्षा में थी उसे बाहर के बच्चे ठीक से बात नहीं कर रहे थे और उसे बार-बार इस बात का एहसास कराया जा रहा था कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ती है इसलिए उन लोगों से इधर है इसीलिए वह उन लोगों से कम है इसी बात को उसने अपने मन में जिद बना लिया था कि... अब चाहे जो हो जाए, वह भी पब्लिक स्कूल में पढ़ेगी ।
वैसे तो सरकारी स्कूल के बच्चों का एकदम से प्राइवेट स्कूल में एडमिशन होना मुश्किल था।
पब्लिक स्कूल में इंग्लिश मीडियम था और सरकारी स्कूल में ज़्यादातर हिंदी का ही प्रयोग किया जाता था । पर चुंकि क्योंकि गौतम जी की सरकारी नौकरी थी इसलिए उनको यह सुविधा मिली हुई थी।
कल उसका एडमिशन टेस्ट होना था। वह नौवीं कक्षा में एडमिशन की तैयारी कर रही थी।
क्रमश :
