सोने का हार
सोने का हार
लक्ष्मण नाम का युवक जो आर्थिक रूप से गरीब था , फैक्ट्री में काम करता था .उसको वहां से 1500/- मासिक आय मिलती थी.वह रोज की तरह फैक्ट्री से घर आ रहा था कि उसकी नज़र कूड़े के ढेर पर पड़ी. वहां कुछ चमचमाता हुआ नज़र आया.नज़दीक जाकर देखा सोने का हार था .उसने उसको झट से उठा लिया और घर की ओर चल दिया। वो सोचने लगा कि इसको बेच कर उसको कितना पैसा मिलेगा .रात भर बस यही सोचता रहा कि बेचना है .
सुबह उठ कर वह सुनार के दुकान की ओर चल पड़ा.
सुनार के कहा "मैं एक लाख दूंगा।" तो लक्ष्मण बोला "कोई बात नहीं " जो भी मिले दे दो और उसने उस पैसों से एक महीने पूरी मौज की जिससे वह पैसा खत्म हो गया और साथ में फैक्ट्री का काम भी छूट गया।अब वह भगवान के पास जाता और बोलता - "भगवान मैंने एक लाख भी खर्च कर दिए।"
भगवान उसके पास आए और बोले "बेटा, जो हार तुम्हें मिला था ,वो तुमने बेच दिया ।वो किसी और की अमानत थी, तुमने लालच में आकर पैसा भी खर्च कर दिया अगर तुम वो सोने का हार जिसका था उसको देकर आते तो तुमको इतना पछताना नहीं पड़ता। ये तुम्हारी गलती थी इसका मेरे पास हल नहीं ।