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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Children Stories Inspirational Children

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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Children Stories Inspirational Children

संस्कार – कहानी

संस्कार – कहानी

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 शर्मा जी के घर में माता – पिता के अलावा पत्नी सुधा, और दो बच्चे पंकज और निधि थे। परिवार सभ्य, सुसंस्कृत एवं संस्कारी था। शर्मा जी के दोनों बच्चे भी सुसंस्कृत एवं संस्कारों से पोषित थे। पंकज अभी कक्षा बारहवीं और निधि अभी कक्षा आठवीं में पढ़ रही थी। मंदिर जाना और मंदिर में सेवा करना दोनों का रोज का नियम था। कॉलोनी में वृक्षारोपण, कॉलोनी की साफ़ सफाई में भी दोनों का बराबर का योगदान हुआ करता था। पढ़ाई में वो दोनों बच्चे अव्वल आते थे। शर्मा जी की नियमित आय के बारे में घर में सभी भिज्ञ थे। इसलिए फालतू चीजों पर भी खर्च नहीं किया जाता था।

एक बार की बात है पंकज और निधि दोनों स्कूल से वापिस लौट रहे थे। रास्ते में उन्हें सड़क पर एक पड़ा हुआ लिफाफा मिल जाता है। दोनों बच्चे उस लिफ़ाफ़े को उठा लेते हैं और उस पर लिखे पते को पढ़ते हैं। पता उनके घर के काफी दूर का था। फिर भी दोनों बच्चे सबसे पहले घर जाते हैं और अपनी माँ को सारी बात बता देते हैं। घर में सभी बच्चों को कहते है कि पापा के आते ही वे उनके साथ जाएँ और जिसका भी लिफाफा है उसे देकर आयें।

शाम को शर्मा जी घर आते हैं और सारी बात जानकर वे चाय पीने के बाद बच्चों के साथ उस पते पर चल देते हैं। वहां वे उस पते पर पहुंचकर उस पत्र को उन्हें सौंप देते हैं। वे पत्र में लिखी बात जानकार बहुत खुश होते हैं। उस पत्र में बच्चे की नौकरी को ज्वाइन करने का लैटर था। और उस बच्चे को अगले ही दिन वहां ज्वाइन करना था। उस बच्चे के माता – पिता यह जानकार खुश होते हैं कि इन बच्चों को यह पत्र मिला था। वे दोनों बच्चों को ढेर सारा आशीर्वाद देते हैं। और जीवन में हमेशा दूसरों के लिए अच्छा करते रहने के लिए प्रेरित करते हैं। जिस बच्चे का ज्वाइन करने का लैटर था वह शर्मा जी के पैरों पर पड़कर बच्चों द्वारा किये गए श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रशंसा करता है और कहता है कि मुझे आज मेरे परिवार के लिए यह नौकरी बहुत ही ज्यादा आवश्यक थी। आपके बच्चों ने मेरी जिन्दगी में बहुत बड़ा योगदान दिया है। आपका शुक्रिया। और इन बच्चों का भी।

इस कहानी के पीछे एक सत्य घटना यह है कि जब मैं नौकरी के लिए कोशिश कर रहा था और मुझे नौकरी की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब मेरा नवोदय विद्यालय के लिए इंटरव्यू के लिए पत्र एक सप्ताह बाद पहुंचा था। जिसकी वजह से मुझे काफी मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी थी। सभी से गुजारिश है कि जिन्दगी में कोशिश कर सकें तो जरूर करें ताकि किसी के चहरे पर मुस्कान ला सकें।


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