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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Children Stories Inspirational

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अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

Children Stories Inspirational

चंचल मालती

चंचल मालती

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चंचल मालतीमालती, अपने माता – पिता की अकेली संतान थी । नाजों से पली मालती बचपन से ही चंचल थी । अकेली संतान होने की वजह से भी घर में उसकी प्रत्येक ख्वाहिश को पूरा किया जाता था । मालती के जीवन में अभाव का कोई स्थान नहीं था । धीरे – धीरे मालती बड़ी होती गयी । जैसे – जैसे वह बड़ी होती गयी वैसे – वैसे वह और भी ज्यादा जिद्दी होती गयी ।

शहर की चमक – दमक का उसके जीवन पर असर होने लगा । शहर के पांच सितारा होटलों में उसका आना जाना होने लगा । फ़िल्मी सितारों की जिंदगी उसे बहुत ज्यादा प्रभावित करती थी । उसे फ़िल्मी सितारों का स्टाइल, उनका रहन – सहन, आजादी बहुत पसंद आती थी । उसका ज्यादा समय अपने आपको सजाने संवारने में बीतता था । वह भी एक हीरोइन बनने का सपना देखने लगी । उसने अपनी इस सोच से अपने परिवार के सदस्यों को भी अवगत कराने की कोशिश की किन्तु परिवार के सभी सदस्यों ने उसे एक सादा जीवन जीने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की। पर इन सब बातों का मालती पर कोई असर नहीं हुआ।

एक दिन मालती अपनी ट्यूशन क्लास के बहाने घर से ढेर सारी ज्वेलरी और पैसे लेकर निकल पड़ती है। घर वालों को इसकी भनक तक नहीं होती कि मालती घर से भाग चुकी है। वह अकेले रेलवे स्टेशन से सामान्य श्रेणी की बोगी में बैठकर मुंबई के लिए निकल पड़ती है। मालती के घर से मुम्बई करीब दो दिन की दूरी पर है। मालती के घर वापस आने की राह देखते – देखते घर वालों का बुरा हाल होने लगता है। वे मालती को यहाँ – वहां सभी जगह , उसके दोस्तों के घर ढूँढने की कोशिश करते हैं। किन्तु उनकी सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं। थक – हारकर अब उनके पास एक ही रास्ता बचता है वह कि वे पुलिस को इसके बारे में रिपोर्ट करें। पर इसके लिए उन्हें 24 घंटे का इंतज़ार करना होगा क्योंकि गुमशुदा की रिपोर्ट 24 घंटे बीतने के बाद लिखी जाती है। जो कि उनके लिए काफी मुश्किल था।

इधर मालती अपने सपनों को साथ लिए मुंबई की ओर बढ़ रही थी। पर उसे क्या मालूम था कि उसकी जिन्दगी में अभी बहुत से तूफ़ान आने बाकी थे। सामान्य श्रेणी की बोगी में अचानक चार बदमाश चढ़ जाते हैं। वे चारों बोगी में यहाँ – वहां घूम – घूमकर अपना शिकार ढूँढने लगते हैं। वे चारों मालती के सामने वाली सीट पर बैठ जाते हैं। बातों – बातों में उनको अंदाजा हो जाता है कि यह लड़की जरूर अपने घर से भाग कर आई है। और हीरोइन बनने का सपना लिए मुंबई जा रही है। चारों बदमाश उसे रास्ते में खाने के बहाने नशा खिला कर अपना शिकार बना लेते हैं। और अपने मनचाहे स्टेशन पर मालती को उतार लेते हैं। रेलवे स्टेशन पर उतरने पर रेलवे पुलिस का आदमी उन चारों से उस लड़की के बारे में पूछता है तो वे कह देते हैं कि यह हमारी बहन है और इसकी तबीयत खराब है सो हम इसे अस्पताल ले जा रहे हैं। वे मालती को साथ लेकर एक होटल पहुँच जाते हैं वहां होश आने पर मालती को समझ आ जाता है कि उसके साथ धोखा हुआ है। वह नशे में होने का नाटक करती है। और उस चारों की बात सुन लेती है कि वे उसे बेचने की तैयारी में हैं। मालती को अब अपने परिवार बातें याद आने लगती हैं। वह एक अच्छे अवसर की खोज करने लगी ताकि वह उनके चंगुल से बच निकल सके।

जब चारों बदमाश होटल के बाहर किसी काम से जाते हैं तब मालती अपना मोबाइल चालू कर अपने घर वालों को मेसेज भेज देती है कि वह मुसीबत में है वे आकर उसे बचा लें। इधर मालती के पिता पुलिस को मेसेज दिखा देते हैं और बेटी को बचाने की गुहार करते हैं। पुलिस रेलवे स्टेशन की सी सी टी वी फुटेज के आधार पर चारों बदमाश की पहचान पुख्ता करती है। इधर चारों बदमाश मालती को लेकर कहीं और ले जाते हैं पर मालती की सूझबूझ की वजह से पुलिस उसकी मोबाइल की लोकेशन के आधार पर चारों बदमाशों तक पहुँच जाती है। इससे पहले कि पुलिस उनको पकड़ती वे चारों भागने में सफल हो जाते हैं। मालती को पुलिस उसकी मोबाइल लोकेशन के आधार पर ढूंढ लेती है। और उसके माता – पिता को सौंप देती है। पुलिस की नाकाबंदी की वजह से चारों बदमाश पकड़ लिए जाते हैं और उन्हें मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लेती है।

दूसरी ओर मालती अपनी गलती पर शर्मिन्दा होती है और भविष्य में ऐसी कोई भी गलती न करने का विश्वास दिलाती है।


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