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anuradha chauhan

Children Stories

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anuradha chauhan

Children Stories

सनक

सनक

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रघु अकेला बैठा ज़िंदगी के बारे में सोच रहा था। भरा-पूरा परिवार था। अच्छी ज़िंदगी चल रही थी। पत्नी बेचारी बच्चों के लिए आँसू बहा रही थी।अब अकेले जो रह गए,बच्चे घर की खुशियों को साथ लेकर चले गए। रेवती से भी खूब कहा साथ चलने के लिए,पर जाती कैसे रेवती। शादी के सात वचनों का पालन जो कर रही थी,ब्याह के आई तो मरकर ही जाएगी।आज के दौर में भी बड़े ही संस्कार देकर बड़ा किया था बेटों को।कहाँ जाना चाह रहे थे दोनों,माँ-बाप को छोड़कर।पर गंगाराम की सनक घर टूटने का कारण बन गई। रेवती अपनी बेटी को तो नहीं पढ़ा पाई।तब उसमें वो शक्ति नहीं थी ।जो आज है इसलिए बेटी को छोटी उमर में ससुराल जाते देखती रही।पर पोतियों के सपने टूटने से बचा लिए।कसम देकर बेटों को अलग रहने पर मजबूर कर दिया।आज आँखों में आँसू के साथ दिल में सुकून है कि अब दोनों पोती पढ़-लिखकर कुछ बन सकेंगी।


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