हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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संगत का असर

संगत का असर

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बड़े बुजुर्गो ने कहा है कि मित्र उसी को बनाओ जो मित्रता के लायक हो । लोगों को पहचानने में समय लगता है । आजकल लोगों के चेहरों पर अनेक मुखौटे लगे हुए हैं इसलिए उनका असली चेहरा बहुत बाद में दिखता है । तब तक बहुत देर हो जाती है और पछताने के अलावा शेष कुछ नहीं बचता है । इसलिए मित्र बनाने से पहले उसके बारे में सब कुछ जान लीजिए फिर मित्रता का हाथ बढ़ाइए । लेकिन आजकल के बच्चे इन सब बातों को कहां मानते हैं । पहली बार की मुलाकात में ही फास्ट फ्रेंड बन जाते हैं । 

लाला जीवन लाल का किराने का काम था । बढिय़ा काम धंधा था । बड़ा बेटा शुभम इंजीनियरिंग की पढ़ाई पढ़ने के लिए जयपुर की सबसे नामी गिरामी कॉलेज में आ गया । बुद्धिमान तो था ही , मेहनती भी था । सबसे हंसकर मिलता था । उसके होठों पर हरदम मुस्कान खेलती रहती थी । सबको अपनी ओर खींचने की अद्भुत शक्ति थी उसमें । बेटी लवी अभी कस्बे में ही सीनियर कक्षा में पढ़ रही थी । शुभम की मम्मी बहुत ही सज्जन औरत थी और पूरी तरह भारतीय संस्कारों में रंगी हुई थी । पूरा परिवार खुशहाल जिंदगी जी रहा था । 


आज महीने का आखिरी रविवार था । आज के दिन सभी किराना की दुकानें बंद रहती थी , नहीं तो जीवन लाल जी तो रात के नौ बजे से पहले घर पर आते ही नहीं थे । शुभम जयपुर में ही था । लवी की आज इच्छा बाहर खाने की हो रही थी इसलिये वह पापा से बोली 

"पापा, बहुत दिन हो गये किसी अच्छे रेस्टोरेंट में गये हुए । कोरोना के समय से हम लोग कहीं पर गये नहीं हैं । आज आपकी छुट्टी भी है । क्यों ना हम लोग आज बाहर कहीं किसी ढ़ंग के रेस्टोरेंट में खाने चलें ? थोड़ी आउटिंग भी हो जायेगी और बढिया खाना भी । एक दिन मम्मी को आराम भी मिल जायेगा । चलेंगे ना " ? 


पापा की तो परी होती हैं बेटियां । बेटी की ख्वाहिश भला पूरी ना करें, पापाओं की इतनी हिम्मत नहीं है । लाला जीवन लाल जी ने तुरंत हां कर दी । 


थोड़ी देर में सब लोग तैयार होकर होटल रॉयल किंग पहुंच गये । यह होटल अभी नया खुला था । सब लोग इसकी प्रशंसा कर रहे थे । लवी की सहेली लावण्या ने तो इसकी तारीफों के पुल ही बांध दिये थे । बस, लवी ने उसी दिन तय कर लिया था कि अगला डिनर इसी होटल में होगा । 


लाला जीवन लाल , शोभा देवी और लवी एक मेज पर बैठ गये । शोभा और लवी मेन्यू देखने लगी । इतने में जीवन लाल जी के फोन की घंटी बोल पड़ी । 

लाला जी ने झटपट मोबाइल जेब से निकाला और देखा कि कॉल किसका है ? शुभम का नाम पढ़कर वे बहुत खुश हुए । बोले 

"बहुत लंबी उमर है तेरी । अभी अभी तुझे ही याद कर रहे थे हम सब । सब ठीक तो है न "? 

"पापा , ये ए एस आई अंकल हैं । ये आपसे बात करना चाह रहे हैं" । और यह कहकर शुभम ने मोबाइल किसी को पकडा दिया । उधर से शुभम की घबराई हुई आवाज आई 


"हैलो । मैं करधनी थाने से ए एस आई बोल रहा हूँ । तुम्हारा लड़का शुभम मोटरसाइकिल चुराते पकडा गया है । अभी थाने में बंद है । बस, यही सूचना देनी.थी" । और बिना कुछ सुने उसने मोबाइल काट दिया । 


जीवन लाल जी के हाथ से मोबाइल छिटक कर गिर पड़ा । उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी । इस अप्रत्याशित समाचार को सुनकर उनके मन में खलबली मच गई । उनकी ऐसी हालत देखकर शोभा कांप गई । लवी ने भी जब पापा को इस तरह देखा तो वह भी घबरा गई । शोभा ने पूछा "क्या हुआ जी ? आपका चेहरा फक्क क्यों हो गया ? क्या बात हो गई ? किसका फोन था वह ? क्या कह रहा था वह " ? 


"पापा , कुछ बोलो ना पापा । किसका फोन था वह" ? 


जीवन लाल जी इतनी देर में कुछ संयत हुए । कहने लगे 

"पुलिस थाने से फोन था , जयपुर से । शुभम को लेकर आये हैं पूछताछ करने " 


अब चौंकने की बारी शोभा और लवी की थी । दोनों एक साथ बोली "पुलिस थाना ? शुभम ? क्या हुआ" ? 


लाला जीवन लाल किसी तरह अपने जजबातों पर काबू करते हुए कहने लगे " किसी ए एस आई का फोन था । कह रहा था कि कोई मोटर साईकिल चोरी हो गई है । उसकी पूछताछ करनी है शुभम से" । 

"मोटर साईकिल चोरी ? पूछताछ शुभम से क्यों" ? शोभा एकदम विचलित होकर चीख पड़ी । 

"अब यह तो नहीं पता । इतना ही बताया था उसने । पर तू घबरा मत । कोई गलतफहमी हो गई होगी उन लोगों को । अपना शुभम ऐसा नहीं है । वह ऐसा काम कर ही नहीं सकता है । इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है । हम लोगों को अब चलना चाहिए । मैं जयपुर जाने की तैयारी करता हूँ" । 

जीवन लाल जी ने शोभा को कह तो दिया कि चिंता की बात नहीं है मगर वे खुद चिंता के मारे मरे जा रहे थे । उनका विश्वास हिला हुआ था । शुभम ऐसा कैसे कर सकता. है । हमारे संस्कारों में चोरी तो नहीं है । फिर ऐसा क्या हुआ कि शुभम को पुलिस उठाकर थाने ले आई । बहुत सोचने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने शोभा और लवी को कहा 

"हमें ये डिनर छोड़ घर चलना चाहिए" । 

इस पर दोनों ने तुरंत सहमति व्यक्त कर दी । 


शेष अगले अंक में 



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