Surya Barman

Children Stories Comedy

4  

Surya Barman

Children Stories Comedy

" सिंह पछाड़ हास्य कहानी "

" सिंह पछाड़ हास्य कहानी "

5 mins
1.0K


एक जंगल में एक गीदड़ और उसकी पत्नी गीदड़नी रहते थे। गीदड़नी हाल फिलाहल पेट से थी. बस कुछ ही पल बचे थे जब उनके बच्चे बाहरी दुनिया में आने वाले थे। दोनों पति – पत्नी अपने बच्चो की डिलीवरी करने के लिए एक स्थान की तलाश में इधर – उधर घूम रहे थे। इतने में ही उनको एक गुफा दिखाई दी दोनों उस गुफा को देखकर समझ तो गए थे की यह जरूर जंगल राज सिंह की गुफा है जो फ़िलहाल अपने शिकार की तलाश में निकला था।

दोनों को अपने बच्चो की डिलीवरी के लिए जगह तो मिल गयी थी लेकिन साथ ही ये दर भी था की अगर शेर आ गया तो क्या होगा ? इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गीदड़ को एक मंत्र याद आया उसने अपनी पत्नी गीदड़नी के कान में मंत्र बताया और कहा जैसे ही सिंह आता है, मैं तुम्हे इशारा कर दूंगा फिर तुम मंत्र बोलना शुरू कर देना।

( असल में यह मंत्र उनका एक चालक प्लान था जिसमें इन्होने अपने नाम बदलिए थे और शेर को भयभीत करने की योजना बनाई थी )

गीदड़नी जो यह मंत्र समझ चुकी थी बोली ठीक है। गीदड़ गुफा की छत पर जाकर बैठ गया ताकि वहा से सिंह के आने का संकेत मिल जाये। थोड़ी देर बाद गीदड़नी ने धीरे – धीरे चार बच्चो को जन्म दे दिया। गीदड़ के कानो में जब बच्चो के रोने की आवाज गयी तो वह बड़ा प्रसन्न हुआ। अब दोनों माँ – बाप जो बन गए थे। लेकिन इसी बीच गीदड़ ने जंगल राज सिंह को अपनी गुफा की ओर आते देखा। गीदड़ ने तुरंत अपनी पत्नी को शेर के आने की खबर दी और मंत्र शुरू करने के लिए कहा।

( अब देखते है उनका मंत्र क्या था )

गीदड़नी ने यह बात सुनते ही अपने बच्चो को रुलाना शुरू कर दिया। सिंह जो अपनी गुफा के करीब पहुंच गया था, बच्चो की आवाज सुनते ही झाड़ियों में छुप गया और देखने की कोशिश करने लगा की आज मेरी गुफा में कौन शरणार्थी घुस आए हैं । वहां दोनों का मंत्र ( योजना ) शुरू हो चूका था।

गीदड़ ने गुफा की छत से ही आवाज लगाई और बोला – अरे चन्दाबदनी ! आज बच्चे क्यों रो रहे हैं ।

निचे से गीदड़नि ने आवाज लगाई और बोली – सिंह पछाड़ ! ये आज खाने में शेर का कलेजा मांग रहे हैं ।

शेर ये बात सुनते ही सफ़ेद हो गया और सोचने लगा की ये कौन – सी बला आ गयी जंगल में जिन्हे खाने में शेर का कलेजा चाहिए और इसका तो नाम भी सिंह पछाड़ है। सिंह पछाड़ नाम की दहशत उसके मन में बैठ गयी। फिर ऊपर से गीदड़ बोलता है ठीक है किसी शेर को दिखने दो आज तुम्हे शेर का कलेजा ही खिलाता हूं । यह बात सुनते ही जंगल का राजा शेर वहां से ऐसे भगा मनो जैसे सच में आज कोई उसका कलेजा निकाल लेगा। भागते – भागते शेर को रास्ते में एक लोमड़ी मिली।

लोमड़ी – "अरे जंगल राज ! इतने भयभीत होकर कहा भागे जा रहे हो ?"

शेर – "काहे का जंगल राज ! आज तो बाल – बाल बचा हूँ , नहीं तो मेरा कलेजा खा जाते, न जाने जंगल में कौन सी बला घुस आई है।"

लोमड़ी – "क्या हुआ मुझे ठीक – ठीक बताओ।"

शेर ने उसे सारी आपबीती सुनाई ये सुनते ही लोमड़ी जोर – जोर से हँसने लगी।

शेर गुस्से में – "मेरी जान पर बन आई और तू हंस रही है।"

लोमड़ी – "अरे जंगल राज ! तुम जितने खतरनाक हो उतने ही नासमझ भी। तुम्हारी गुफा में कोई बला नहीं आई है, बल्कि जंगल के ही जानवर गीदड़ और गीदड़नी है जिन्होंने तुम्हारी गुफा में बच्चे दिए है और तुम्हारे आने के डर से ये सारा खेल रचा है। मैं कब से बैठी वहां उनका खेल देख रही थी।

सिंह को फिर भी उसकी बातो पर विश्वाश नहीं हो रहा था। वह उनकी बाते सुनकर भयभीत हो चुका था। तो लोमड़ी ने कहा "अच्छा तुम मेरे साथ चलो तुम्हे खुद पता लग जायेगा।" शेर ने जाने से तुरंत मना कर दिया और बोला "अगर वे सच में कोई खतरनाक चीज़ निकले तो मैं अपना इतना विशाल शरीर लेकर कहा छुपूँगा ? तू तो घुस जाएगी कही भी।" काफी मुश्कत के बाद सिंह चलने के लिए राजी हो गया लेकिन उसने लोमड़ी को अपनी पूंछ से बांध लिया और बोला अगर मैं मरा तो तू बच कर कहाँ जाएगी। फिर दोनों सिंह की गुफा की ओर चल दिए।

अब गीदड़ ने फिर देखा की शेर दुबारा आ रहा है और अब तो साथ में एक लोमड़ी भी है। उसने दुबारा अपनी पत्नी को मंत्र शुरू करने के लिए इशारा किया। गीदड़नी ने फिर कुछ न कुछ करके बच्चो को रुला दिया।

गीदड़ – "अरे चन्दाबदनी ! बच्चो को चुप क्यों नहीं कराती ?"

गीदड़नी – "अरे सिंह पछाड़ ! ये कह रहे है अभी तक शेर का कलेजा क्यों नहीं आया ?"

शेर जो लोमड़ी के साथ झाड़ियों में बैठा सुन रहा था फिर सिंह पछाड़ के नाम से भयभीत होने लगा ओर बोला "देख लिया लोमड़ी मैंने कहा था ना, जरूर कोई बुरी बला है। आज मेरा कलेजा खाकर ही मानेंगे।" लोमड़ी बोली यह "इनकी चतुराई है चलो इनके पास जल्दी चलो।" भयभीत शेर ने जैसे ही उनके पास जाने के लिए कैदम बढ़ाया। गीदड़ अपनी पत्नी से बोला बच्चो को कहो बस थोड़ी देर रुक जाये मैंने एक लोमड़ी को भेजा है। वह लाती ही होगी किसी शेर को हमारे पास।

भाई साहब ये सुनते ही शेर जो वहां से भागा।चूँकि लोमड़ी भी उसकी पूंछ से बंधी थी वह भी घीसटती हुई चली गयी। जब शेर ने रुक कर लोमड़ी पर अपना गुस्सा उतारना चाहा ! देखा तो वह मर गयी थी।



Rate this content
Log in