शीर्षक - सीख
शीर्षक - सीख
गर्मियों का मौसम था मेरी उस समय वार्षिक परीक्षाएं चल रही थीं।
दोपहर का समय था ,हमारे यहां एक अजनबी आया और उसने कहा कि वह हमारी चाचा की बेटी का देवर है।
पुलिस में नौकरी करता है। कुछ काम के सिलसिले में यहां आया हुआ है और दीदी ने हमारे घर का पता बताया है कि वहां रुक जाना।
हमने उसका परिचय पत्र देखा तो शक की कोई गुंजाइश नहीं बची थी।
वह अजनबी हमारे यहां पूरे एक दिन रुका, भाई के साथ में मंदिर भी गया और वहां उसने प्रसाद वगैरह चढ़ाया जो हम सभी ने खाया।
अगले दिन अजनबी चला गया।
हम सभी यह बात भूल चुके थे पर अचानक एक दिन दीदी आई तो मां ने उनसे उनके देवर की बात छेड़ी तुम्हारा देवर तो बहुत सुंदर है और बहुत अच्छे स्वभाव का लड़का है।
दीदी बोली आप कौन से देवर की बात कर रही हो?
मां ने कहा तुम्हारे चाचा ससुर का लड़का!
दीदी बोली चाची मेरा ऐसा कोई देवर नहीं है।
अब हम सभी को काटो तो खून नहीं अनजाने भय की आशंका से हम सभी की हृदय गति भी तेज हो चुकी थी।
लेकिन वह अजनबी रहा जरूर पर ईश्वर की कृपा से घर में कोई अनहोनी नहीं होने पायी ।
उसके लिए हम सभी ने ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद किया और इस घटना से यह सीख ले ली कि जिसको हम पहचानते नहीं हैं वह कितनी भी रिश्तेदारी बताएं उसको घर में नहीं रखेंगे।