शीर्षक-अरमान
शीर्षक-अरमान
अमन का सपना था एक बहुत बड़ा संगीत विद्यालय खोलने का ,लेकिन जीवन की भागदौड़ में परिवार के पालन-पोषण में उसका यह सपना कभी पूरा ना हो पाया।
हमेशा सोचता था कि उसका यह सपना कैसे पूरा होगा।
उम्र के आखिरी पड़ाव में वह पहुंच गया तो शायद उसने अपने इस सपने की उम्मीद भी छोड़ दी थी।
लेकिन अचानक एक दिन
"अरे! अमन तुम कैसे हो?"
वरुण उसके बचपन के मित्र का फोन आया।
अमन-"ठीक हूं यार वरुण तू सुना कैसी चल रही है?"
वरुण - "अमन तेरा संगीत विद्यालय खोलने का जो सपना था उसका क्या हुआ?"
अमन बोला "मेरा यह सपना तो शायद सपना ही रह गया।"
वरुण बोलता है "तू उदास मत हो मेरे पास मेरे चार पांच मित्र और ऐसे हैं जो संगीत में रुचि रखते हैं ।मैंने इसीलिए तुझे फोन किया है।हम सब मिलकर एक ऐसा संगठन बना लेते हैं, मेरे घर पर बहुत कमरे खाली हैं। मैं अकेला रहता हूं तो चल कुछ ऐसा करते हैं जिससे हम सब मित्रों को यह अहसास हो कि उम्र के इस आखिरी पड़ाव पर हम किसी के लिए कुछ कर सकते हैं और समाज को कुछ देकर जा सकते हैं।
अमन का तो जैसे अरमान ही पूरा हो गया
उसने कभी सोचा नहीं था कि रास्ते इतनी आसानी से मिल जाएंगे।
फिर सभी मित्रों ने मिलकर एक संगीत का विद्यालय खोला और गरीब बच्चों को निशुल्क सिखाने का प्रयास किया। अमन के दोस्त वरुण ने अमन का यह अरमान पूरा किया।
