सफ़र
सफ़र
ऐना -"क्या हुआ पापा ?आप गुस्सा क्यों कर रहे हैं?और वो फूफा जी का फोन क्यों आया था?"
पापा (वरुण)-"वे कह रहे हैं कि ऐना को पढ़ने के उद्देश्य से यहाँ मत भेजिएगा। उसे इस कॉलोनी के कई लोगों ने किसी के साथ देखा है ।बताओ ऐना! क्या यह सही है ?क्या फूफा जी सही कह रहे हैं?"
ऐना-" नहीं पापा! ऐसा कुछ भी नहीं है और जिसे लोग देखे होंगे वह मेरा दोस्त है।"
वरुण-"मैं कुछ नहीं जानता। अब तेरी पढ़ाई- लिखाई बंद ।अब तू यही रह। कोई जरूरत नहीं है ,तुम्हें आगे पढ़ने की ।"
ऐना-" पर पापा !ऐसी कोई बात नहीं है ।"(इतना कह वह रोने लगती है और तभी ऐना की मम्मी हाथों में एक ट्रे दो कप चाय की लिए हुए कमरे में प्रवेश करती है और पूछने लगती है,
"क्या हुआ ?तुम रो क्यों रही हो ?और आप (वरुण को देखते हुए)इतना गुस्सा क्यों कर रहे हैं ?"(साथ में वरुण को चाय भी पकड़ाती है ।)
ऐना की माँ वरुण से बात जानने का प्रयत्न करने लगती है ।
वरुण-"अभी नरेश जी का फोन आया था ।वह कह रहे थे कि अब वह ऐना की जिम्मेदारी नहीं उठाएंगे ।उसका अध्ययन छुड़वा दीजिए ।कॉलोनी में हल्ला है कि ऐना का किसी के साथ चक्कर है ।कुछ ऊँच-नीच हो गई तो वह क्या करेंगे ।मैं ऐना की पढ़ाई बंद करवाने का निर्णय ले चुका हूँ। अब ये आगे नहीं पढ़ेगी ।"
ऐना-" माँ! पापा को समझाइए ।मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।"
(माँ अब वरुण को समझाने का प्रयास करती है और ऐना को गर्ल्स हॉस्टल में डालने की बात करती है। वरुण खुद को समझाते हैं और स्वयं को मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं।ऐना की पढ़ाई अब फिर से आगे के लिए सोचा जाता है ।ऐना के लिए वरुण गर्ल्स हॉस्टल चुन लेता है जो कॉलेज से दस कदम की दूरी पर था। पढ़ाई शुरू होती है ।ऐना का व्यवहार अब बुआ फूफा जी के लिए पहले जैसा नहीं रह जाता है ।वह उनके घर आने-जाने से कतराने लगती है ।ऐना के बुआ-फूफा जी अब सब की नज़र में पहले जैसा स्थान नहीं रखते हैं। समय बीत रहा है ।ऐना को एक के बाद एक डिग्री मिलती जाती है ।छुट्टियों में ऐना घर पहुँचती है ।अब वरुण ऐना की शादी की बात शुरु करने को कहते हैं ।इस पर ऐना दो साल का समय माँगती है ।दो साल फिर निकलता है। फिर ऐना की छुट्टियों में ऐना के पिताजी शादी की बात उठाते हैं। ऐना फिर से एक साल माँगती है। इस पर ऐना के पिताजी भड़क जाते हैं और कहते हैं ,"अब मैं कुछ भी नहीं सुनूंगा और अब शादी होकर रहेगी ।"
वरुण ऐना की चार-पाँच फोटो खिंचवाते हैं और शादी के सिलसिले से इधर-उधर भेजना शुरू कर देते हैं ।ऐना परेशान हो जाती है और फिर एक दिन,
" पापा! पापा! मैं ..मैं ...किसी से प्यार करती हूँ।"
वरुण-"क्या इसी दिन के लिए ही मैंने तुम्हें पढ़ाया लिखाया था ?यह नहीं हो सकता ।"
ऐना-"पर पापा! यही सच है।मैं उसके बिना नहीं जी सकती।मैं उसी से शादी करूंगी।"
वरुण-"(चिल्लाते हुए)ऐना!"
ऐना चुप रहती है ,तभी ऐना की माँ दौड़ती हुई कमरे में आती है और पूछने लगती है .."क्या हुआ ?आखिर आप क्यों चिल्ला रहे हैं?"
वरुण-" पूछो अपनी लाडली बेटी से.. क्या हुआ ?"
ऐना की माँ-" क्या हुआ ऐना!..? कुछ मुझे भी तो बताओ ।"
ऐना -"माँ! मैं राज से प्यार करती हूँ। और उसी से शादी करूंगी ।"
माँ-"बस इसी दिन का भय था ।आज वह भी दिन आ गया।"
ऐना की माँ अपना कलेजा पकड़ पलंग के किनारे दीवार से सटकर जा बैठ जाती है ।घर में घोर शांति का साम्राज्य हो जाता है ।कोई किसी से कुछ बात नहीं करता है। वरुण को क्रोध से पसीने छूट रहे होते हैं ।
चार दिन यूं ही बितता है ।घर में मातम का माहौल है ।और फिर पाँचवें दिन ऐना के चाचा वरुण से,
"भैया !कर दो शादी ।इसी में हम सबकी भलाई है।अगर लड़का ,घर- परिवार सब बढ़िया है, तो हर्ज क्या है? ऐना से पूछो,"लड़का कहाँ का रहने वाला है,क्या पढ़ा है,क्या कमाता है?कहीं और जबर्दस्ती शादी करना अच्छा नहीं।तीन घर बर्बाद होंगे।भैया! मान जाओ।सब जानने समझने के बाद शादी के लिए हाँ कर दो।"
वरुण शांत दिमाग से दो दिन व्यतीत करता है और अंत में,ऐना से लड़के के बारे में पूछता है।ऐना की बात से वरुण को ,ऐना की माँ को ,ऐना के चाचा को सबको लड़का ठीक समझ आता है। लड़के के पिता जी से ऐना के चाचा बात करते हैं और उन दोनों के विषय में पूछने लगते हैं ।इस पर लड़के के पिताजी उन्हें सपरिवार घर आने का निमंत्रण देते हैं और बेटे से भी मिलवाने की बात करते हैं ।अब क्या था लड़के के माता-पिता को ऐना पसंद आ जाती है ,और ऐना के माता- पिता को लड़का पसंद आ जाता है। अब दोनों ओर से मुँह मीठा कराया जाता है और अगली बार शादी की तारीख के साथ मिलने के लिए निमंत्रित कर दिया जाता है।
