सौतेली मां
सौतेली मां
एक प्यारी सी बच्ची की उलझन भरी कहानी । अपनी मां के साथ बहुत खुशी खुशी रहती है । उसकी मां उसे बेइंतहा प्यार करती है क्योंकि उसकी मां की दुनिया में यही एकमात्र हस्ती है । बच्ची मां के साथ सुखी , खुशहाल और सुरक्षित तो है लेकिन अक्सर सौतेली मां की तरफ आकर्षित हो जाती है । सौतेली मां भी अगाध प्रेम लुटाती हैं । दोनों माएं अपनी अपनी तरफ से भरपूर स्नेह , ममता और प्यार देती हैं ।
यह तय करना मुश्किल है कि कौन सगी हैं और कौन सौतेली । बच्ची को तो यह अंतर भी नहीं मालूम है उसे तो बस इतना पता है कि दोनों उसकी अपनी है दोनों पर उसका ही अधिकार है । सगी मां अपना कर्तव्य भली भांति निभा रहीं हैं । लेकिन बच्ची जब भी रोती तो सौतेली मां को ही याद करती थी । उसके जीवन में कुछ भी घटना घटित होता तो सबसे पहले सौतेली मां को बताना जरूरी समझती । यह सब देखकर सगी मां को बहुत दुःख होता लेकिन चुप रह जाती । सौतेली मां भी बहुत निष्ठावान और भद्र महिला थी उन्हें खटकता और बार बार बच्ची को समझाती कि "कोई भी बात हो पहले अपनी मां को बताया करो वो तुम्हारे पास रहती हैं । तुम्हारी सुख सुविधा का ख्याल रखती हैं तुम्हारी हर जरूरतों को वही पूरी करती हैं । उनसे प्यार करो उनका सम्मान करो , उनकी कद्र करो । दुनिया में उनसे ज्यादा प्यार और परवाह करने वाला कोई नहीं है ।" सारी बातें सुनकर बच्ची वादा कर लेती की सिर्फ अपनी मां से प्यार करेगी । हर बात अपनी मां को ही बताएगी मगर बारह घंटे में ही संकल्प टूट जाता और सौतेली मां के पास चली जाती । सौतेली मां सगी मां की सभी खासियत और सद्गुण का गुणगान करती ताकि बच्ची के दिमाग में बातें अट सकें और हमेशा अपनी बुराई और खामी खराबियों को उजागर करती ताकि बच्ची के मन में नफ़रत पैदा हो जाएं । ऐसा नहीं है कि बच्ची अच्छी नहीं लगती या बच्ची से प्यार नहीं है । लेकिन इस बच्ची पर जितना अधिकार सगी मां का है उतना उनका नहीं है बल्कि जरा सा भी अधिकार नहीं होना चाहिए । बच्ची बहुत जिद्दी है सौतेली मां दूर करने की जितनी कोशिश करती वो उतने ही करीब होते जा रही थी ।
सगी मां को भी पता है की उसका झुकाव सौतेली मां की तरफ अधिक है इसलिए सौतेली मां से पूछ पूछ कर वह सब गुण अपने आप में पैदा करने लगी वो बिल्कुल उनकी तरह बनने का निश्चय करती हैं और अपने आचार , विचार और व्यवहार में बहुत परिवर्तन लाती हैं । सब कुछ बदल लिया और हर कीमत पर बच्ची का दिल जीतने में लग जाती हैं ।
सौतेली मां को इस मां की मनःस्थिति का अनुमान लगता है फिर वो भी उनकी मदद करने की ठानती हैं । इस तरह दोनों मांओं ने उस बच्ची का खूब ख्याल रखा और अपनी अपनी सौतन का भी । बड़ा अनोखा रिश्ता है सौतन होकर भी एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या , जलन और दुर्भावना नहीं है बल्कि बहुत स्नेहिल संबंध हैं ।जब कभी सौतेली मां बच्ची को सगी मां के करीब पहुंचाने के लिए कठोर व्यवहार करती अपने घर से निकाल देती तो रोते-रोते अपनी मां से उस सौतेली मां की खूब निंदा करती तब सगी मां उनकी तरफदारी करती ।
धीरे धीरे बच्ची बड़ी होने लगी उसे समझ में आने लगी दुनियादारी , रिश्ते-नाते , अपना-पराया । सब कुछ समझने बूझने के बाद भी सौतेली मां के प्रति आकर्षण , लगाव और अपनापन खत्म नहीं हुआ । दिन महीने साल बीतने लगे एक लम्बी दूरी आ गई लेकिन आज भी उसके जेहन से वो छवि धुंधली नहीं हुई ।
बदलाव जरूर हुआ है कि अब पहले की तरह चौबिसों घंटे उस मां का गुणगान नहीं करती है और उस मां से अपनी मां की शिकायतें कम करने लगी है । कभी कभी तारीफ भी करने लगी है । लेकिन सौतेली मां के प्रति मोह भंग नहीं हुआ । बेहोशी की हालत में उन्हें ही पुकारती , अब तो आदत सी पड़ गई है सगी मां को बुरा भी नहीं लगता । कल रात जब फिर बच्ची दर्द बुखार से तड़प रही थी हाथ पांव ठंडे पर गये थें आवाज बंद गई थी । इशारों से भी कुछ नहीं बता पा रही थी बड़ा ही नाजुक स्थिति हो चली थी । सगी मां को बर्दाश्त नहीं हो रहा था उन्होंने धीरे से पूछा बात हुई है तुम्हारी ? गुड नाईट हो गया ? बुला दूं वो प्यार दुलार कर देंगी तो तुम्हें आराम मिल जायेगा ? बच्ची अब बड़ी हो गई है उसे सारी बातें समझ में आ गई है । उसे अपनी सगी मां पर बेइंतहा प्यार उमड़ा और उसने फ़ैसला कर लिया अब कभी सगी मां को छोड़कर सौतेली मां के पास नहीं जायेगी । वो सुकून , वो चैन और वो आराम इसी मां के आगोश में तलाश लेगी । उसे बहुत दुःख हो रहा है सगी मां के मन की पीड़ा समझने लगी है । इसकी खुशी के लिए मां ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर ही तो भेजती होगी उस सौतेली मां के पास .... कितना मुश्किल होता होगा अपनी अमानत किसी गैर के हवाले करना और वो भी उस गैर को जो प्रतिद्वंद्वी रहा हो ...! कितना बड़ा ज़ुल्म करते आई है बरसों से । सरासर अन्याय हुआ है ।
बच्ची ने सौतेली मां को खत लिखा - मुझे सब पता चल गया है आप हमेशा अपनी बुराई और मेरी मां की तारीफ क्यों करती थी ? आप चाहती हैं कि मैं अपनी मां से प्यार करूं , उनका सम्मान करूं और हमेशा उनके पास ही रहूं तो मैंने आपकी सभी बात मान ली है । अब मैं अपनी मां से प्यार करने लगी हूं उनका बहुत ख्याल भी रखूंगी लेकिन यह कभी नहीं मानूंगी की आप बुरी हैं । मेरे दिलो-दिमाग में जो आपकी छवि है वो हमेशा वैसी ही रहेगी लेकिन अपने मन पर नियंत्रण रखने का कोशिश करूंगी । आपकी हर बात मानूंगी और आखिरी बात "आप दुनिया में सबसे अच्छी हो सबसे प्यारी हो मेरी सौतेली मां ।"
