सातवाँ भाग : नंबर फ्लेक्सिबिलिटी
सातवाँ भाग : नंबर फ्लेक्सिबिलिटी
गणित को अक्सर माना जाता है की हल करने के निश्चित तरीके होते हैं, कुछ सीखे सिखाये एल्गॉरिथ्म होते हैं, उन्हें फॉलो करते रहो, पर क्या गणित सच में ऐसा ही है? विकास सर को इंतज़ार रहता था ऐसे ही मुद्दो का, एक बार वो शुरू हो जाएँ तो तुम्हे गणित की दुनिया में उतरना ही पड़ेगा। जैसा उन्होने बताया था याद से साझा कर रही हूँ , उन्ही के शब्दों में -
कुछ लोग सोचते हैं कि किसी समस्या को हल करने का केवल एक ही तरीका है, या वे सोचते हैं कि किसी समस्या को हल करने का एकमात्र तरीका एल्गोरिदम का उपयोग करना है। जैसे गुणन में, जब आप दो संख्याओं की गुणा करते हैं, दोनों संख्याओं को ऊपर -नीचे लिखते हैं। प्रत्येक संख्या को चरण दर चरण गुणा करते हैं ।अक्सर यह लोगों को समझ में नहीं आता है कि हम ऐसा क्यूँ कर रहे हैं, जैसे जब हम दहाई से गुणा शुरू करते हैं तो 0 या × क्यूँ लगाते हैं? ।उदाहरण के लिए 12 × 16
इसे हल करने के लिए पहले 6 कि 2 से गुणा करेंगे, हमें मिलेगा 12, इकाई के अंक 2 को नीचे लिखेंगे और दहाई 1 को दहाई वाले कॉलम में ले जाएंगे, क्यूंकी हम स्थानीय मान आधारित पद्धति को मानते हैं, और इकाई, दहाई, सैकड़ा ... सबका स्थान तय है, 10 को आधार मानकर या 10 कि घात के गुणज से हम परस्पर स्थान बदलते हैं जैसे 10 इकाइयाँ 1 दहाई हो जाता है, और 10 दहाई मिलकर 1 सैकड़ा, 10 सैकड़ा मिलकर एक हजार ... ऐसे ही ये क्रम चलता रहता है।
6 कि गुणा करने के बाद अगली पंक्ति में 1 से गुणा करके लिखना होगा, यहाँ 1 का मतलब है 1 दहाई , और जब 1 कि 2 से गुणा होगी तो ये 2 दहाई होगा जिसे हम इकाई के स्थान पर नहीं लिख सकते इसलिए इकाई के स्थान पर 0 या × लगाते हैं। अब हम 1 कि एक से गुणा करेंगे मतलब दहाई कि दहाई से तो जबाब 100 इकाई मिलेगा, इसलिए मिले जबाब को सैकड़े के स्थान पर लिखा जाएगा।
12
× 16
72
12×
192
12 गुणा 16 के जबाब के लिए हमे 12 गुणा 6 जो है 72 और 12 गुणा 10 जो है 120, इन दोनों को जोड़ना होगा, 72 और 120 हुये 192
समान्यत: अधिकतर पढे -लिखे लोग इसी तरीके से गुणा करना जानते हैं, ये प्रक्रिया चरणों की संख्या अधिक हो जाने से बिना पेन व कागज के नहीं हो पाती है, दैनिक जीवन में मानसिक गणना करने के लिए अलग ही प्रक्रिया अपनाईं जाती हैं जैसे 18 गुणा 5 को हल करना हो तो 18 को पाँच बार जोड़कर 90 मिल सकता है या 5 को 20 बार हुये 100, इसमें से 2 बार 5 कम कर दो क्यूंकी 18 बार ही जबाब देना है, 100 में 10 कम यानि 90, या 12 गुणा 5 यानि 60 और 6 गुणा 5 यानि 30, दोनों को मिलाकर 60 और 30 हुये 90 या 18 का दो गुणा 36, फिर 36 का दो गुणा 72, हमें 5 गुणा चाहिए इसलिय 72 में एक बार और 18 जोड़ना होगा, कुल 90 या 9 गुणा 5 45 और फिर 9 गुणा 5 45 , कुल 90, या 18 दहाई 180, आधा किया मतलब 18 गुणा 5 हुआ 90
ऐसे ही 50 x 12 करने के लिए 50 का दुगना और 12 का आधा किया जा सकता है|50 x 12 = 100 x 6 = 600और 16 x 25 को हल करने के लिए 16 का आधा और 25 का दुगना करें (आपको मिलेगा 8 x 50)| फिर 8 को आधा और 50 को दुगना करें|
16 x 25 = 8 x 50 = 4 x 100
इसी तरह 24 को 11 से गुणा करने के लिए 24 को दस से गुणा करके उसमे 24 जोड़ सकतें है|
24 × 11 = (24 × 10) + (24 × 1)
संख्याओं को समस्या समाधान के लिए अपनी सुवधानुसार तोड़ना नंबर फ्लेक्सिबिलिटी कहलाता है, जो अच्छा गणित करने की एक शर्त है।
लोग गणित को बहुत अलग तरह से देखते हैं। और वे समस्याओं को सुलझाने में बहुत रचनात्मक हो सकते हैं । गणित की रचनात्मकता को जीवित रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप गणितज्ञों से पूछें गणित क्या है, उनमें से अधिकांश एक सुंदर रचनात्मक विषय के बारे में बात करेंगे, लेकिन अक्सर स्कूली गणित में सुंदरता और रचनात्मकता नहीं दिखती। जब आप स्कूल में गणित सीखते हैं, अगर कोई शिक्षक आपको कोई तरीका दिखाता है, तो आप खुद सोचिए, क्या इसे हल करने के अन्य तरीके हैं? हमेशा दूसरे होते हैं।
अपने शिक्षक या दोस्तों या माता-पिता के साथ उनकी चर्चा करें। इससे आपको गहराई से सीखने में मदद मिलेगी। अब मैं आपको संख्याओं का लचीले ढंग से उपयोग करने का एक और अवसर देना चाहूंगा। इस समस्या का प्रयास करें। और यदि आपने पहले किया था तो इस बार एल्गोरिथम का उपयोग न करें।लेकिन संख्याओं को मित्र संख्याओं में बदलने का प्रयास करें:
और समस्या 12 x 15 है।
इस पर अपनी -पनि नंबर फ्लेक्सिबिलिटी को आजमाइए, और नए अनुभव के लिए अगले अंक का इंतज़ार कीजिये।