पति का बटुआ

पति का बटुआ

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अगर नारी उत्थान और उसकी बहती विकासशील धारा की बात करें तो आज के समय में काफी आगे निकल रही हैं।

प्राचीन समय में महिलाएं अपने पति पर और शादी से पहले अपने पिता पर निर्भर रहती थीं।क्योंकि उस समय न तो शिक्षा का स्तर अधिक था और न उनको स्वतंत्रता मिलती थी ।हमने देखा तो नहीं है लेकिन सुना जरूर है कि पुराने समय में नारी सिर्फ घरघारी समझी जाती थी और जब इतनी मुसीबत में घिरी रहती थी तो जाहिर है कि अपने पति के बटुए पर ताकना पड़ता था।लेकिन आज सबकुछ बदल चुका नारी सिर्फ बटुए को ही नहीं अपनी गुलामी और बंधन से मुक्त हो चुकी है ,

आज कई महिलाएं ऊंचे ऊंचे ओहदों पर पहुंच चुकी है ।


प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी और यूपीएससी टॉपर टीना डाबी ने नारी विकास में एक अनोखा कदम बढ़ाया है।श्रीमती प्रतिभा पाटिल और इंदिरा गांधी ने तो देश के सबसे सफलतम ओहदे पर पहुंच कर नारी उत्थान को एक और नई दिशा दी है ।

और वैसे भी आज से समय में नारी को उस नजर से नहीं देखा जाता है जिस नजर से प्राचीन समय में देखा जाता था।

आज महिलाओं को अपने स्तर के लिए छात्रवृत्ति योजना दी जाती है ।पुरुषों के मुकाबले रिजर्वेशन भी दिया जाता है ।

मेरा कहना है कि नारी आज के इस युग में हर कदम पर आगे बढ़ रही है।

हिमा दास , स्मृति मंधाना जो स्पोर्ट्स में अपने कदम जमाए ,और कहीं न कहीं ये आगाज महिलाओं के लिए सार्थक साबित होगा ।

और अपनी इसी तरह की पहचान के कारण आज महिलाएं अपने पति के बटुए पर निर्भर नहीं है।



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