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Priyanka Gupta

Children Stories Inspirational

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Priyanka Gupta

Children Stories Inspirational

प्रयास prompt -5

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"अरे, भाभी आप ही साँची को कुछ छोटा -मोटा दिलवा दो। नंगे गले घूमती है, अपनी भतीजी को ऐसे देखकर मुझे तो बिलकुल अच्छा नहीं लगता।" साँची की सविता बुआ ने उसकी मम्मी अनीता से कहा। 

"अरे इस गार्डन को क्या हो गया ? एक महीने पहले तो यह बहुत ही हरा -भरा था। सब तरफ बहुत ही सुन्दर फ्लावर्स खिले हुए थे।" अर्जुन ने दुःख मिश्रित आश्चर्य के साथ कहा। 

अर्जुन 8 वर्षीय बड़ा ही प्यारा बच्चा था। वह पिछले एक महीने से अपने एग्जाम की वजह से गार्डन में नहीं आया था। आज शाम को जब वह अपने घर के नजदीक ही स्थित इस बगीचे में आया तो बगीचे की हालत देखकर बहुत ही दुःखी हुआ। घास हरी से पीली हो गयी थी। पौधे सूख गए थे, जगह -जगह मिट्टी खुदी हुई थी।

अर्जुन ने अपने स्कूल में जब पर्यावरण वाला पाठ पढ़ा, तब उसके मन में प्रकृति के प्रति प्रेम का अंकुर फूट गया था। स्कूल में पृथ्वी दिवस मनाते हुए, उनकी टीचर बच्चों को अक्सर यही कहती थी कि, "हम मानवों के लिए अभी तक रहने योग्य यही एक ग्रह है, पृथ्वी।" पर्यावरण की रक्षा करो ताकि हम मानवों की रक्षा हो सके। पृथ्वी के अस्तित्व को नहीं, पर्यावरण विनाश से हम मानवों के अस्तित्व को खतरा है। इसीलिए पर्यावरण के सभी घटक यथा जल, जंगल, जमीन, पेड़ -पौधे की रक्षा करो। "

अर्जुन ने अपने घर पर भी एक छोटा सा बगीचा लगा रखा था। जब अर्जुन के नानाजी उनके पास रहने आये थे, तब उसने अपने नानाजी के साथ मिलकर घर के बगीचे में कई पौधे यथा सदाबहार, अशोक, चमेली, गुड़हल आदि लगाए थे। सुबह -शाम वह पौधों में पानी डालता था। पौधों के बीच में उसे बहुत ही अच्छा महसूस होता था। नानाजी के साथ अर्जुन बागवानी के कई गुर सीख गया था। 

अर्जुन और उसके दोस्त अक्सर इसी बगीचे में खेला करते थे। अर्जुन अपनी वार्षिक परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त हो गया था और फिर अपने घर के बगीचे की सार -सम्हाल भी करता था, इसीलिए वह बगीचे में नहीं जा सका था। 

अर्जुन अभी वहाँ खड़ा -खड़ा बगीचे की दुर्दशा पर दुःखी हो रहा था, तब ही गार्ड अंकल वहाँ आ गए। अर्जुन ने अपना दर्द उनसे साझा किया। 

"बगीचे की सार -सम्हाल करने वाला माली नौकरी छोड़कर चला गया है। मैंने 2 -3 बार सोसाइटी के लोगों को इस बारे में बताया भी है, लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं।" गार्ड अंकल ने अर्जुन को बताया। 

अर्जुन जैसे गार्डन में गया था, वैसे ही वह वापस लौट आया। वह गार्डन से आ तो गया था, लेकिन गार्डन भी उसके साथ ही आ गया था। डिनर करते हुए भी गार्डन उसके साथ ही था, वह यही सोच रहा था कि गार्डन को दोबारा पहले जैसा कैसे बनाया जाए। बिस्तर पर लेटे हुए उसे चिड़िया और शिकारी वाली कहानी याद आयी। दाने के लालच में बहुत सी चिड़िया जाल में फँस गयी थी, जाल तो काट नहीं पायी, इसीलिए सभी मिलकर जाल समेत उड़ गयी। अर्जुन को हल मिल गया था।

अगले दिन अर्जुन ने अपने दोस्तों को एकत्रित किया और उन्हें गार्डन की दुर्दशा के बारे में बताया और कहा कि, "हमें अपने गार्डन को पहले जैसा ही करना होगा ताकि हम सब दोबारा वहाँ खेल सकें। तितलियों के पीछे दौड़ सकें। चिड़ियों की चहचहाहट सुन सकें। शुद्ध हवा में साँस ले सकें। " 

अर्जुन और उसके दोस्तों ने पौधों को पानी देना शुरू किया, नए पौधे रोपने शुरू किये। बच्चों की मेहनत और लग्न देखकर बड़े भी आगे आये और कुछ ही दिनों बाद गार्डन दोबारा हरा -भरा हो गया। इतना ही नहीं गार्डन की देखभाल के लिए एक नया माली भी मिल गया। अर्जुन की अच्छी सोच और प्रयास के लिए उसे सम्मानित भी किया गया। 


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