प्रिय डायरी चुंबक
प्रिय डायरी चुंबक


कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। तब तो उन्हें खुश होना चाहिए। जीवन की आपाधापी में, जब दिन ऑफ़िस से घर और घर से ऑफ़िस की दौड़ में कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता। हम जीवन साथी, घर ,परिवार, बच्चों के साथ समय गुजारने के बहाने तलाशते रहते हैं कि कब छुट्टियां हो और जीवन साथी, बच्चों और परिवार के साथ घूमने जा सके।
लेकिन लॉकडाउन के दौर मे जब हमें प्रकृति ने ही अपनों के साथ समय बिताने का मौका दिया है, तो घरेलू हिंसा की खबरें पढ़ने को मिल रही है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार सिर्फ पहले 11 दिनों में देश के विभिन्न नंबरों पर उनके पास 92 हजार घरेलू हिंसा के मामले आए हैं।
उधर पिछले दिनों एक घटना पढ़ी, एक युवक की पत्नी मायके गई थी तभी देश में लॉकडाउन हो गया और वह मायके में ही फँस गई। इस बात से वह युवक परेशान रहने लगा और उसने फांंसी लगी ली।
सामान्य दिनों में लोग गुस्सा आने पर घर के बाहर निकल जाते हैं, फिर चाहे वह ऑफ़िस के लिए जा रहें हो या किसी और बहाने से। यह मनुष्य का स्वभाव है, जब दिन भर एक ही चेहरा देखना पड़ता है, तो लोग खीज़ जाते हैं।
आज एक और वाक़या पढ़ा, एक युवा शादी के लिए 1000 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से करके लड़की वालों के यहां जा रहा था। लेकिन पुलिस ने उसे रास्ते में पकड़ लिया और क्वॉरेंटाइन सेंटर भेज दिया।
फंडा यह है कि चुंबक के दो ध्रुव जब दूर होते हैं तो पास आना चाहते हैं और पास हो तो दूर भागते हैं।