Padma Agrawal

Others

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परिवार की यादें

परिवार की यादें

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80 वर्षीय गायत्री जी विशाल जर्जर कोठी के एक हिस्से में अपने पुराने नौकर दीनू काका और उनकी बेटी सुमित्रा के साथ रहती हैं । लगभग एक महीने पहले उनके शरीर का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है , उसके बाद से वह अपना काम भी नहीं कर पातीं .... पैसा तो बैंक में उनके पास है परंतु इस समय तो उन्हें कोई अपना चाहिये जो कुछ उनकी सुने , कुछ अपनी कहे .... एक बेटा ऋषि है , वह अमेरिका में बस गया है ... साल दो साल में आता है तो उनसे अपने साथ चलने का आग्रह करता है , एक बार वह तीन महीने के लिये गईं थी परंतु महीने भर में ही लौट आईं थी ..उनकी अंग्रेजन बहू के साथ उनकी पटरी नहीं बैठी थी ।

     यहां पर दीनू काका हैं , जो अब काफी बूढे हो गये हैं , उनकी बिटिया सुमित्रा उनकी खूब सेवा करती है ... ऋषि को फोन करके दीनू काका ने बताया तो उसने कह दिया कि ऐसी हालत में मैं आकर क्या करूंगा ... कहो तो हॉस्पिटल में एडमिट करवा दूं .... यह सुनते ही उनका दिल टूट गया था ... सुमित्रा तो उनके साथ परछाईं की तरह रहती है लेकिन फिर भी मन में हूक उठती है काश मेरे परिवार का कोई अपना हो , जो उनके दुख दर्द को महसूस करे , उनके पास बैठे ... कुछ उनकी सुने ... कुछ अपनी कहे ..परंतु शायद परिवार का सुख उनकी किस्मत में नहीं ...

वह अपने अतीत में खो गईं थीं ...16 वर्ष की अल्हड़ उम्र में जब वह इस आंगन में भारी जेवरों से लदी हुई दुल्हन बन कर आई थीं तो पूरा घर भरा हुआ था ... सास ससुर , जेठ जिठानी , देवर और दो नंदे और सेवकों की पूरी जमात .....वह बड़े बेटे कूंअर बाबू की दुल्हन बन कर आई थी सबने जी भर कर लाड़ प्यार बरसाया था .. वह अपने को बहुत भाग्य शाली समझती थी ।

फिर जैसे जैसे दूसरी पीढी आई शिक्षा का प्रसार बढने लगा , बच्चे हॉस्टल में पढने के लिय जाने लगे , फिर स्वाभाविक था कि नौकरी भी बाहर करने लगे .... जेठ जी खतम हुये तो जिठानी को उनका बेटा अपने साथ ले गया ... क्यों कि छोटे शहर में रोजगार नहीं थे ... साधन सीमित थे .... जीवन में आगे बढना है तो कदम आगे की ओर बढाना ही होगा .... नंदें ललिता और वनिता भी अपने बाल बच्चों में रम गईं थीं और अब तो वह भी बिस्तर में पड़ी हैं ।...

अब पूरे परिवार ने तय किया है कि कोठी को बेच कर पैसे का बंटवारा कर लिया जाये ... गायत्री जी जो सबकी पूजनीया थीं अब विलेन बन गई हैं क्योंकि उनका कहना था कि उनकी सांस टूटने तक इंतजार कर लो , लेकिन वाह री दौलत ... सबको अंधा कर देती है .... एक बेटी सोना थी , वह ससुरालवालों के अत्याचार से तंग होकर पंखे से लटक गई ...

लगभग 100 लोगों का विशाल परिवार , परंतु इस बूढी जर्जर काया के लिये कोई ठिकाना नहीं ... कोई अपना नहीं जो उनकी सेवा कर सके ....उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे ...

सुमित्रा बोली , "रानी मां आप दुखी मत हो , मेरा बेटा संजू आयेगा और हम लोगों को अपने घर में लेकर जायेगा ।"

अब कहीं से कोई मोहलत नहीं मिल सकती ...कोर्ट से नीलामी की तारीख आ गई है ....उनकी आंखों से निरंतर आंसू बह रहे हैं .... वह सोच रहीं थीं कि भौतिकता की आंधीं ने इंसान से उसकी इंसानियत छीन ली है और उसे रोबोट की तरह भावना हीन बना दिया है ...

एक समय था जब पूरा परिवार इसी घर आंगन में खुशी खुशी रहता था औररसोई में जो कुछ बनता था सब प्रेम से साथ बैठ कर खाया करते थे .... लेकिन उस पीढी के विदा होते ही नई पीढी मैं और मेरा एकल परिवार के फार्मूले पर चल निकली है ...वह दुख से भावविह्वल हो रहीं थी ...क्या कल उन्हें सुमित्रा के घर पर जाकर उसके बेटे के साथ रहना होगा .....

 सुबह दीनू काका पुकारते रह गये रानीमां टैक्सी आ गई लेकिन रानी मां तो अपनी अनंत यात्रा पर निकल चुकीं थीं


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