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kacha jagdish

Children Stories

4  

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पिंटू और रोकी

पिंटू और रोकी

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पिंटू एक शाम उदास होके अपनी बालकनी में खड़ा था। तभी घर में से आवाज आती है, " पिंटू, क्या कर रहे हो?" पिंटू सूनकर भी अनसूना कर बालकनी में गुमसुम खड़ा रहा। तभी पिंटू की माँ आती है और देखती है कि पिंटू बालकनी के एक कोने मे खड़ा है। 


पिंटू की तबीयत देखते हुए उसकी माँ पूछती है, " क्या हुआ? ऐसे क्यूँ यहाँ खड़े हो।" 


पिंटू :" पता तो है फिर क्यूँ पूछ रही हो। "


पिंटू की माँ :" तो क्या हुआ अगर खेलने के लिए कोई दोस्त नहीं, अंदर आके टीवी देखो"


पिंटू : " क्या पूरा दिन टीवी ही देखता रहूं। वेकेशन का तो अभी दूसरा दिन ही हुआ है। 


पता नहीं मेरा कोई दोस्त क्यों नहीं? कल ही पापा ने मुझे नया फुटबॉल लाकर दिया, लेकिन खेलू किसके साथ। 


पिंटू की माँ :" मेरे पास टाईम होता तो खेलती लेकिन क्या करूं कितना काम है। "


पिंटू :" आप रहने ही दो, आप को हमेशा कोई ना कोई काम रहता है। "


और उदास होकर बिस्तर पर लेटकर सो गया और दिन ऐसे ही बीत गया। पिंटू की माँ ने यह बात उसके पापा को बताई। 


उसके पापा ने अगले दिन एक कुत्ते का छोटा सा पिल्ला लाकर पिंटू को खेलने को दिया। 


पिंटू इस बात से बहुत खुश हुआ। फिर न जाने कैसे पूरा दिन खेलने में गुजर जाता पता ही नहीं चलता। 


पिंटू ने उसका नाम रोकी रखा।


एक रात पिंटू सोते हुए भगवान से कह रहा था कि आप सब देते हो तो मैं चाहता हूँ कि रोकी बोलने लगे। क्योंकि वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया बस एक बात की कमी है की वो बोल नही पाता। 


सुबह पिंटू सो रहा था तभी रोकी उठाते हुए कहता है " उठ भी जा, पूरा दिन क्या सो के निकालना है।" 


पिंटू नींद में सोने भी दे। लेकिन ध्यान में आता है रोकी बोल रहा है। तो आश्चर्य से रोकी को देखता रहा। फिर पूछा तुम बोल कैसे रहे हो। रोकी जवाब देते हुए, " पता नहीं, सुबह से ही ऐसा चल रहा है।लेकिन तेरे अलावा मुझे कोई नहीं सुन सकता मैं सबके पास जाकर आया जैसे मैं रोज जाता हूँ। खेर यह सब जाने दे, जल्दी तैयार हो जा तेरी मम्मी आ रही। नहीं तो बहुत डाट पड़ेगी।" 


पिंटू झटपट तैयार होने को चला जाता है। फिर नास्ता करने चला जाता है। लेकिन जैसे ही समय मिलता है वो रोकी के साथ रूम में जाता है। उससे ढेर सारे सवाल करने लगता है। रोकी भी उसका जवाब देता है। 


उसके बाद दोनों खेलते बातें करते पूरा दिन बिताते। 


एक दिन पिंटू रोकी से कहता, " तेरे आने से पहले कोई मेरा दोस्त नहीं था। रोकी जवाब में कहता है," मैं जानता हूँ। लेकिन आज भी मेरे अलावा कहाँ कोई तेरा दोस्त हैं। जानते हो क्यों? क्योंकि तू सामने वाले का इंतजार करता रहता है। तुझे खेलना होता है तो जाके उस से नही पूछता। अब यह सारी बातें छोड़ तेरी छुट्टी खत्म होने वाली है। और तूने पूरा वेकेशन खेलने में निकाला है। मेरा मान तो होमवर्क करना शुरू कर दे। "


पिंटू न चाहते हुए भी होमवर्क करता, खेलता। 


एक दिन रोकी कहता है जाके अपने दोस्त को खेलने बुला, देख जा रहा है। पिंटू बुलाता है। वो भी आता है, तीनों मिलकर खेलते हैं। दिन हसी खुशी से बितता है। 


ऐसे दोनों एकदूसरे के सहारे दिन काटते रहे। 



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