"फटी जेब"
"फटी जेब"
अरे भौजी पूरी पलटन के साथ का कर रही हो? भैया शहर में दुर्गा जी के पंडाल देखने आए थे हमारे गांव जाने वाली आखिरी बस छूट गई अब सोच रहे हैं हम रात भर कहाँ बिताएँ ? बस तो सुबह मिलेगी। रिक्शे वाला रामशरण अपने गांव के लोगों को देखकर खिल उठा। रोजी रोटी की तलाश में वह शहर आ गया था और वही एक कमरा किराए से ले लिया था। आओ मेरी रिक्शे में आ जाओ सब अपने कमरे पर ले चलता हूं सुबह निकल जाना।बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी मुझे शहर ले आई। भैया मेरे और ननद के इतने सारे बच्चे तुम्हारे रिक्शा में कैसे आएंगे हंसकर कहते हुए सब रिक्शे में चढ़ गए। रामशरण के कमरे में जाकर सब ने मिलजुल कर खाना बनाया और मिलजुल कर खाया फिर बेफिक्री से सो गए। सुबह विदा होते हुए समय रामशरण को धन्यवाद देते हुए कहा भैया आप ना होते तो बच्चियों के साथ मैं कहाँ जाती?
"हो भलाई का तसव्वुर जहाँ में
ये ज़मीन जन्नत तभी बन पाएगी"
