पार्टी
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सुन यार, फ़ेयरवेल पार्टी देनी है सीनियर्स को। दो समस्यायें हैं एक पैसा कम से कम लगे, दूसरा जो अमन / विशाल और हितेश की तीगड़ी को हैंडल करना। सुखवीर ने सुरेंद्र से कहा।
क्यों सिरदर्द ले रहा है। पड़ाई / लिखाई में ध्यान दे। करने दे उन तीनों को। वो बड़े बाप की औलादें है, डोनेशन दे कर सीट ले लेंगे। अपनी सोच ! अगर सिलेक्शन नहीं हुआ तो क्या करेंगे ? खेती करनी पड़ेगी और खेती तुम जानते हो बारिश के सहारे, सिंचाई का कोई साधन तो है नहीं। इन पचड़ों में मत पड़ ठंड रख भाई। सुरेंद्र ने समझाया।
देख !! इलेक्शन हम लोग जीते थे। वो चोपड़ा क्या कम पैसे वाला था। फिर भी हम लोग जीते वो भी एक सौ छब्बीस वोटों से। तुम यार कितनी मेहनत किये थे। और तुम्हारा सिलेक्शन हो जायेगा, मैं दुकान पर बैठ जाऊँगा। बस यह आख़िरी काम, उसके बाद बस स्टडीज़। यह तीनों अगर organise किये तो बहुत महँगा हो जाएगा। सब लोग इतना पैसा नहीं दे पाएंगे। जयंत की सोच, रमेश की सोच और भी कितने लोग हैं। सुखवीर ने भाषण दे डाला।
कमीने ! मैं कोई वोटर हूँ, जो भाषण झाड़ रहे हो। ऐसा करते है, सतपाल, सोमदत्त, रीना, रेणु, वंदना से भी बात कर लेते हैं। और मनीष और अमर से भी, अगर यह सब लोग तैयार होंगे तभी हम लोग आगे बढ़ेंगे। ठीक !!सुरेंद्र ने फ़ैसला सुनाया।
अरे ! यह सब तैयार हैं, मैंने बात कर ली। बस तू हाँ कर।
पक्का नेता हो गया है तू, धोखेबाज़। जब सब पहले ही तय कर चुका है, तो नौटंकी क्यों कर रहा था ?
उन सब ने कहा था, सुरेंद्र तैयार तो हम सब तैयार। सुखवीर ज़ोर से हँसा।
तू उस एम॰ एल॰ ए॰ के साथ रह कर नंबरी हो गया है।
“ एम॰ एल॰ ए॰ से इलेक्शन के बाद कभी नहीं मिला, सच्ची !! तेरी क़सम। सुखवीर गले को हाथ लगाते हुए बोला।
रहने दे बेटा। चल सब मिल कर तय कर लेते हैं, क्या / क्या करना है।
क्लासरूम में सतपाल, सोमदत्त, रीना, रेणु, वंदना, सुखवीर, मनीष ,अमर और सुरेंद्र बैठे थे।
देखो ! अगर एक सौ छयालिस लोगों में से एक सौ पच्चीस आ पैसे दे देते हैं तो पाँच सौ के हिसाब से बासठ हज़ार पाँच सौ रुपया हो जायेगा। हाल का किराया पन्द्रह हज़ार, सीनियर्स के लिए गिफ़्ट्स दस हज़ार। बाक़ी खाने में। आराम से हो जाना चाहिये। सुखवीर ने बजट पेश किया।
ठीक रहेगा। कुछ कम पड़ गया तो हम लोग आपस में मैनेज कर लेंगे। सतपाल बोला।
क्या हो रहा है ? हितेश ने क्लास में आते हुए पूछा।
फ़ेयरवेल पार्टी की तैयारी, पाँच सौ रुपए प्रति व्यक्ति।रीना बोली।
पागल हो तुम, डेड़ हज़ार रखो कॉंट्रिब्यूशन। अमन बता रहा था, दो साल पहले उसके बड़े भाई के बैच ने दो / दो हज़ार दिये थे। शिप्रा रेस्ट्रॉं में क्या शानदार पार्टी हुई थी।
भाई हम लोग एस॰ एफ़॰ डी॰ हाल में करेंगे। सुखवीर बोला।
इतनी दूर ? पगला गये हो क्या। हितेश ने आँखे फैलाई।
तुम्हारे पास तो गाड़ी है, क्या वांदा है ,जो लोग पैदल है, जब वो तैयार हैं, तो तू भी मान जा। मनीष बोला।
लो अमन भी आ गया, और रात में लड़कियाँ कैसे आएँगी इतनी दूर से ? हितेश बोला।
हम लोग इंतज़ाम कर लेंगे। वंदना बोली। फिर बड़ा हाल रहेगा तो मज़ा आयेगी।
ठीक है। पर खाना अच्छा होना चाहिए। अमन बोला।
उसकी चिंता मत कर। सुरेंद्र बोला।
चलो हितेश, मार्केट तक हो आयें। अमन और हितेश चले गए।
बड़े आराम से मान गये। सतपाल बोला।
फिर भी चौकस रहना पड़ेगा, रेणु बोली। इन तीनों पर भरोसा नहीं कर सकते।
अब यह बताओ गिफ़्ट कौन लायेगा ? सुखवीर ने पूछा।
मैं, नीलम, मीनाक्षी, अनिल और सतपाल, रेणु बोली।
ठीक। सोम, मैं और सुरेंद्र हाल बुक करा लेंगे।
खाना गोविंद केटरर का रखेंगे। सुखवीर जोश से बोला।
सनी केटरर ठीक रहेगा, उसका खाना ज़्यादा अच्छा रहता है। अनिल बोला।
छोड़ यार, उससे नहीं लेंगे, बहुत ऐटिटूड दिखाता है। गोविन्द ठीक है।
“ गोविन्द फ़ाइनल ” सब एक साथ बोले।
कल से पैसे जमा करने है ! सब लोग पाँच/पाँच सौ ले आना ! अपने/अपने दोस्तों से भी बोल देना ! सुखबीर ने सबको हिदायत दी !
" चलो चाय पीने चलते हैं " सतपाल बोला
चलो!!! सब कैन्टीन की तरफ चल दिये !
चाय बना दे स्पेशल। रोहन भाई और सुनो एक / एक समोसा भी दे दो सबको।
क्या बात है सुखबीर भाई ? बड़े ख़ुश हो आज, रोहन बोला।
दिमाग़ मत चाट भाई चाय / समोसा दे दे।
वो तो ठीक है, हिसाब भी बना दूँ पिछले दो महीने का ? रोहन धीरे से बोला।
देख रहे हो, लड़कियाँ साथ है, कल कर लेंगे हिसाब। सुखबीर झेंपते हुए बोला।
पक्का। चलो एक बार फिर विश्वास कर लेता हूँ। रोहन धीरे से बोला।
अभी देता हूँ, बैठिए भाई सबको सुनाते हुए रोहन ज़ोर से बोला।
इज़्ज़त की नीलामी कर के ही मानेगा कमीना, सुखबीर दाँत पीसते हुए बुदबुदाया।
क्या हुआ गुरु। अप्सेट लग रहे हो। सतपाल ने ध्यान से उसे देखते हुए पूछा।
कुछ नहीं। सिर दर्द कर रहा है, चाय पीयूँगा तो ठीक हो जाएगा। सुखबीर बोला।
सोच रहा हूँ पार्टी का इंतज़ाम अमन लोगों को ही करने दिया जाए।
क्यों ??? सब एक साथ बोले।
तबीयत ठीक नहीं लग रही। सुखबीर बोला।
पर मन ही मन पैसों की चिंता हो रही थी।
मैं नहीं कर पाऊँगा। सुखबीर उठ खड़ा हुआ। मुझे गाँव भी जाना है।
लो हो गयी पार्टी। नीलम बोली। सब के चेहरे लटक गए।