Babita Consul

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पारम्पारिक खेती

पारम्पारिक खेती

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बेटा !

"तुम ने तो इस गाँव का रूप ही बदल दिया है।,

चाचा जी जब मैं पिछली बार आया था तब गांव की हालत देख

बहुत दुखी था। जिस गाँव मे हरभरी खेती और अनाज से भरा रहता था।अब उसकी पहचान बंजर ज़मीनसे होनें लगी थी। आत्महत्या करते किसान भाईयों की हालत देख , मैने निश्चय कर लिया , गाँव में रहकर अपने गाँव के लिए ही काम करूँगा।

"हां बेटा हमारा देश कृषि प्रधान देश है, किसानों की समस्या शीर्ष पर है।किसान पढ़े लिखें नहीं होने के कारण सरकार के द्वारा चलाये नयी तकनीक को नहीं समझ पाते हैं।

सरकारी नीतियाँ भी किसानों तक नहीं पहुँच पाती हैं"।

"चाचा जी! मैने अपने मित्र की सहायता से नयी टैकनोलोजी से काम कर किसान भाइयों की स्थानीय और तत्कालीन समस्याओं को समझ कर उन को दूर करने में उनका साथ दिया। 

 सोशियल मीडिया पर भी उनकी समस्याओं का समाधान साझा किया।उससे मिले सुझावों से ये फ़ायदा हुआ कि नयी तकनीक से खेती करने के सुझाव भी मिलने लगे।

कैसे मिट्टी की उर्वरा शक्ति की पहचान, नयी खाध, के बारे में बताना, और उसको कैसे नयी तकनीक से उगाया जाये।

"बेटे ! गाँव की ख़ुशहाली ओर लहलहाती फ़सले ये सब तुम्हारी महनत से संभव हुआ।

बेटे ये समय की मांग है कि  गांव से पढ़ने गये नौजवान वापस आकर पारम्परिक खेती को सम्भाले।"


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