पापा और उनके परांठे
पापा और उनके परांठे
"मम्मा ,बहुत तेज़ भूख लगी है ;जल्दी से कुछ खाने के लिए दो न। "नन्ही शुभी ने स्कूल से घर आते ही अपनी मम्मी इशिता से कहा।
इशिता के कुछ बोलने से पहले ही चैटर बॉक्स शुभी चालू हो गयी थी ,"आप जब भी परांठे देते हो ;मेरे सारे फ्रेंड्स मेरा टिफ़िन खा जाते हैं। बोलते हैं ;तेरे मम्मी के हाथ के परांठों का मज़ा ही अलग है। "
नन्ही शुभी की बातें सुनकर इशिता के मन में आज अपने पापा और उनके परांठों की याद फिर से ताज़ा हो गयी थी। इशिता और उसके बड़े भैया तब छोटे ही थे ;जब उनकी मम्मी की मृत्यु हो गयी थी। इशिता के पापा ने दोनों बच्चों की खातिर शादी भी नहीं की। पापा खुद ही दोनों बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करते थे ;घर के दूसरे कामों में मदद के लिए एक घेरलू सहायिका थी।
जब कभी वह नहीं आती थी या उसको देर से आना होता था ;तब पापा बच्चों के लिए टिफ़िन तैयार करते थे। पापा से रोटी कभी गोल नहीं बन पाती थी ;इसलिए पापा हमेशा तिकोना परांठा बनाते थे। जिस दिन पापा परांठा बनाते थे ;उस दिन इशिता को भी स्कूल में भूखा ही रहना पड़ता था।
पापा के हाथ में कुछ जादू था या उनका प्यार था ;पता नहीं कुछ तो था ;इशिता का टिफ़िन जैसे ही खुलता था ;सारे फ्रेंड्स उस पर टूट पड़ते थे। जब पापा को घर पर आकर बताती तो पापा पहले तो खूब हँसते। उसके बाद गंभीर होकर कहते थे कि अब से रोटी बनाकर रखेंगे। तब इशिता कहती ,"नहीं पापा ;मुझे तो आपके हाथ के परांठे ही चाहिए। "
पापा के परांठों ने भी इशिता के साथ -साथ स्कूल से लेकर कॉलेज तक का सफर तय किया। अब इशिता भी पापा की घर के कामों में मदद करने लगी थी। लेकिन कॉलेज ले जाने के लिए परांठे पापा से ही बनवाती थी। अब तो परांठे कॉलेज पहुंचने से पहले ही कॉलेज की बस में ही गायब हो जाते थे।
आज जब इशिता की शादी हो गयी है और वह खुद भी एक माँ बन गयी है। तब उसे समझ आता है पापा अपनी बेटी को हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते थे। उसे अपनी माँ की कमी का कभी भी एहसास न हो इसलिए टेढ़ी-बांकी रोटी न बनाकर परांठे उसके टिफ़िन में देते थे .आज भी इशिता जब अपने पापा के पास जाती है तो उनके हाथ के बने परांठे जरूर खाती है .इशिता की परांठों की फरमाइश पापा की बूढ़ी आँखों में एक चमक ले आती है .
"अरे मम्मा,आप क्या सोचने लग गए .जल्दी से कुछ खाने को दो न .पेट में चूहे दौड़ रहे हैं ."नन्ही शुभी के आवाज़ से इशिता अपने वर्तमान में लौट आयी थी .
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