नौवा भाग : अच्छा गणित करने की कीमत
नौवा भाग : अच्छा गणित करने की कीमत
मैं जब कोई ऐसी गणित की समस्या को हल करती जो बाकी सब कठिन मान रहे होते, मुझे बड़ा अच्छा लगता। मेरा आत्म विश्वास एक दम से जाग जाता। अब तो सर ने ये भी बता दिया था की मुश्किल सवाल करने से दिमाग बढ़ता है, साइनप्स में फाइरिंग होती है। मुझे भी पंगे लेने में मजे आने लगे थे। पर ऐसा मौका हमेशा सब को नहीं मिला, खास तौर पर अगर वो आदमी नहीं है मतलब स्त्रीलिंग है। जान तक कुर्बान करनी पड़ी है इस गणित की खातिर, ऐसी कहानी मुझे क्यूँ सुनाई, काफी दिनों तक सोचती रही, सच में ऐसा हुआ होगा क्या?
आपके साथ भी साझा करती हूँ,
ग्रीक में 370 CE पुरानी बात है। गणित की कमान केवल पुरुषों ने थाम रक्खी थी, यूक्लिड, पाइथागोरस, अरस्तू, प्लूटो ...कोई भी प्राचीन इतिहास में जाकर सोचो, कोई भी महिला गणितग्य का नाम जेहन में आएगा ही नहीं, होगा तो आएगा ना। आज की कहानी ऐसे ही पहली महिला गणितग्य की है जिसके बारे में दस्तावेजों में जानकारी मिलती है।
थिओन, जो उस समय के बड़े गणित शास्त्री थे, पहले तो एक बात साफ कर दूँ, उस दौर में केवल गणित शास्त्री नहीं हुआ करते थे, जो गणित शास्त्री होते थे वो दर्शन शास्त्री, ज्योतिष शास्त्री, खगोल शास्त्री ,,,और भी एक -दो शास्त्री रह गए होंगे, सब होते थे। ऐसे ही इस कहानी के थिओन हैं, पर मैं उन्हे गणित शास्त्री कहकर ही संबोधित करूंगी।
आज उनके घर में नया मेहमान आने वाला था, पर गणित करने वाले को गणित के सिवा कुछ ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं लगता, वो तो रेट पर एक नुकीले भाले से कुछ चित्र उकेर रहे थे, वक्र रेखाओं से बने चित्र।
कोई उनके पास आया पर जनाब को पता ही नहीं चला, उन्हें छूकर -हिलाया तो बोले – दिख नहीं रहा, बहुत महत्वपूर्ण समस्या को सुलझा रहा हूँ, जाओ, बाद में आना।
वो संदेशवाहक चला जाता है। थिओन की पत्नी ने पूछा की बता आयें – नहीं, अभी वो समसस्या का समाधान कर रहे हैं।
काफी देर बाद थिओन की पत्नी स्वयं ही थिओन के पास पहुंची, और उन टेढ़ी रेखाओं के ऊपर उस नए मेहमान को रख दिया,
थिओन ने उसे गोदी में उठाया, और वापस उसकी माँ को थमा दिया। आज की समस्या बिना सुलझे ही अधूरी ही रह गयी।
ऐसे कई समस्या इकक्ठे हो गईं थी थिओन के पास जिनका हल वो नहीं खोज पा रहा था।
थिओन के बेटी हुई थी। थिओन की माँ ने कहा – जो आप जानते हैं, इसे बताओंगे तो सीख जाएगी, क्या इसके लिए लड़का होना जरूरी है?
पर समाज तो इसे स्वीकार नहीं करेगा, की लड़की शास्त्र कर रही है, गणित को बुझा रही है – थिओन ने कहा।
थिओन की पत्नी – क्या आपको समाज की हरकत ठीक लगती है? आपको क्या सही लगता है वो करो? समाज ने तो आपके गणित को कभी सही नहीं माना, वो तो धर्म की गोद से उतरना ही नहीं चाहता, तो क्या गणित करना बंद कर दिया आपने?
थिओन ने बच्ची को गोद में लिया, उसका माथा चूमा और उसका नाम हाइपसिया रख दिया।
हाइपसिया बचपन से ही बड़ी मेधावी थी, वो बहुत तेजी से सीख रही थी। उन गणित की समस्याओं को भी जिन्हे थिओन ने अधूरा छोड़ दिया था, वो एक -एक करके सुलझाने लगी थी। थिओन के साथ यूक्लिड के काम के ऊपर लिखी जा रही रही किताब का हिस्सा बन रही थी। उसकी किर्ति बढ़ती जा रही थी। उसे फ़िलॉसफ़ि और तर्क पर बात करने में बड़ा आनंद आता था। लोग उसकी बात सुनने आने लगे। उससे सीखने लगे और वो निकली सिखाने में माहिर।
चर्चा दूर तक जाने लगी, लोग दूर -दूर से उसे सुनने आते, उससे गणित सीखने आते। पर चर्चा उन लोगों में भी पहुंची जिनकी आँखों में किरकिरी की तरह चुभने लगी हाइपसिया। उन्होने विरोध किया, धमकियाँ दी, डराया, नुकसान पहुंचाया। पर हाइपसिया थिओन का अभिमान थी, थिओन ही नहीं पूरे ग्रीक का। सामंत, राजा सभी उसके गणित का लोहा माने लगे, उससे सीखने लगे, उसके दर्शन से भरे तर्कों को सहारने लगे। उसे ग्रीक वालों ने स्कूल का सबसे सर्वोच्च पद भी दिया।
पर जितनी उसकी ख्याति फैली उतना ही एक ऐसा समूह भी बलवती होने लगा जिसे किसी लड़की का गणित करना, इस पर बात करना बिलकुल भी नहीं भाता था। एक बार वो भी आयें उसका लैक्चर सुनने, पर वो तो कुछ और ही करने आए थे। जैसे ही हाइपसिया ने बोलना शुरू किया, उन्होने उसका विरोध करना। देखते ही देखते बड़ा हँगामा हो गया। विरोधी – धर्म के उन्मादी संख्या में बहुत ज्यादा थे। उन्होने हिंसा शुरू कर दी। गणित की लिखी पाण्डुलिपि को जलाने लगे। जो उनके सामने आता, उन्हे रोकने की कोशिश करता उसे मारने लगे। सभी गणित को चाहने वाले भागने लगे, पर हाइपसिया अपनी आँखों के सामने आंपने किए गणित के कार्य और पहले से मौजूद गणित के कार्य को अपनी आंखो के सामने जलता देख सुन्न हो गयी, भाग ना पायी।
दरिंदों ने उस पर पत्थर बरसाएँ, वो गिर गयी। उसे गणित की पाण्डुलिपि से ढक दिया, उस पर ईधन डाला गया, हाइपसिया को भीड़ ने मार डाला, दर्दनाक मौत। उसकी चीखें ग्रीक के आसमान को चीरने लगी और एक दम शांत हो गया सब कुछ।
उसे गणित में अच्छा होने की सजा मिली।
