मूषक दैत्य
मूषक दैत्य
बहुत समय की बात है। प्रतापपुर राज्य में एक राजा राज्य करता था।
उसी राज्य में एक छोटे से गांव में रामू नाम का लड़का रहता था।
रामू बहुत ही नेक लड़का था, उसे चित्र बनाने का बड़ा शौक था। उसका ज्यादा समय चित्र बनाने में बीतता ,जबकि उसके पिता चाहते कि वह खेती में उनका हाथ बटाए।
अचानक राज्य पर एक गहरा संकट मंडराया, मूषक दैत्य ने राज्य में आतंक फैलाना शुरू कर दिया ,खेत खलिहान सबका अनाज मिनटों में चट कर जाता।
हर तरफ हाहाकार मच गया।
वह रात वो आता और सारा अनाज चट कर जाता।
हर जगह उसी के चर्चे थे। रामू के पिता रामू के चित्र बनाने की वजह से खासे नाराज थे।
एक रात उन्होंने रामू को घर से बाहर निकाल दिया।
रामू रोते हुए बाहर बैठा था, फिर उसे क्या सूझा उसने फिर वहीं जमीन पर चित्र बनाना शुरू कर दिया ,आज उसने बिल्लियों का चित्र बनाया था।
अचानक उसे जोर की चलने की आवाज सुनाई दी ,आसपास की धरती जैसे कांपने लगी।
आज मूषक दैत्य उसके गांव में घुस आया था।
रामू घबरा गया, उसने देखा मूषक दैत्य जो दिखने में बहुत भयानक था, उसकी ओर बढ़ा चला आ रहा है।
वह डर से घर की ओर भागा और जोर जोर से दरवाजा पीटने लगा।
रामू के पिता ने गुस्सा होते, दरवाजा खोला रामू डर से थर थर कांप रहा था।
उसने झट से दरवाजा बंद किया और खिड़की की ओर बढ़ा, खिड़की हल्की खोल कर देखा तो रामू के पिता और स्वयं रामू ये देख कर हैरान हो गए। जो बिल्लियां उसने अभी अभी जमीन पर बनाईं थीं वो सजीव हो गईं थीं, और उन्होंने उस दैत्य पर हमला कर दिया था। अंत में उन्होंने उस मूषक दैत्य को मार गिराया। और फिर वे चित्र में समा गईं। चारों ओर खुशहाली छा गई।
पूरे राज्य और गांव में उस दैत्य का आतंक खत्म हो गया। राजा ने सुना तो रामू को पुरस्कृत किया और राज्य के चित्रकार के रूप में उसकी नियुक्ति कर दी गई।
रामू के पिता को अब रामू पर नाज था।
सीख-बच्चे के अंदर छुपी प्रतिभा को दबाएं ,बल्कि उसे प्रोत्साहित करें।
समाप्त।