मूर्खता का साम्राज्य
मूर्खता का साम्राज्य
"छत्रकेतु या छत्तर दादा क्या पुकारुं तुमको? तुम पढ़े लिखे आदमी हो; अमेरिका में एक राइटर के तौर पर नाम कमा चुके हो......अब ये क्या हाल बना रखा है? यहाँ गुलफाम नगर के मूर्खो में मुर्ख क्यों बने हुए हो?" ज्योग्रापिक टुडे की कॉलमनिस्ट जैनेट ने कभी बहुत ही स्मार्ट रहे छत्तर दादा के थके हुए चेहरे को देखते हुए पूछा।
"जैनेट पहले सवाल मैं पूछूँगा, तुम मुझ पर स्टोरी क्यों करना चाहती हो? मैं यहाँ शांति से अपना जीवन जी रहा हूँ; अब जीवन का अंतिम दौर चल रहा है, अब मैं भीड़ और शौर से दूर शांति से मर जाना चाहता हूँ।" छत्तर दादा अपने अस्तबल के कारिंदो को काम करते हुए देखकर बोला।
"जिस छत्रकेतु को मैं जानती हूँ वो इतना निराशावादी तो कभी नहीं था। शायद तुम तुम भूल रहे हो कि तुम्हारे अस्तबल के घोड़े हॉलीवुड की मूवी ड्रेडेड वैली में प्रयोग किये गए है, ये घोड़े भी मूवी की जबरदस्त कामयाबी का एक हिस्सा है, दुनियाँ जानना चाहती है कि ये घोड़े किसके है? इसी वजह से ज्योग्राफिक टुडे तुम्हारे घोड़ो पर एक आर्टिकल छापना चाहती है, इसी वजह से आज तुम्हारा इंटरव्यू भी लेना पड़ेगा।" जैनेट ने फोटोग्राफर को फोटो लेने का इशारा करते हुए जवाब दिया।
"तो घोड़ो के बारे में लिखो उनकी फोटो छापो; मुझे इस सबसे से दूर रखो......" छत्तर दादा फोटोग्राफर को फोटो न लेने का इशारा करते हुए बोला।
"तुम पुराने पापी, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ जैसी खूबसूरत लड़की को इंटरव्यू देने से इंकार करने की......अपनी अमेरिका वाली आवारागर्दी को भूल गए; जब शादीशुदा होकर भी मुझे फ़्लर्ट करते थे, अब ढंग के कपड़े पहन लो और इंटरव्यू के लिए तैयार हो जाओ।" जैनेट हँसते हुए बोली।
"तुमसे जीत न सकूँगा, मैं यहाँ इन्ही कैजुअल कपड़ो में काम करता हूँ इसलिए यही कपडे सही है; पूछो क्या पूछना है।" छत्तर दादा हथियार डालते हुए बोला।
"सवाल वही है, इतने काबिल इंसान होकर यहाँ मूर्खो के बीच मूर्ख क्यों बने हुए हो?" जैनेट ने पूछा।
"जैनेट, यह गुलफाम नगर जहाँ मैं रहता हूँ, भारत के केंद्र में ऐसे स्थान पर स्थित है जिसके एक तरफ भयानक काली घाटी है जो निरंतर फैलती जा रही है और अपनी रेतीली जमीन की वजह से तरक्की के हर मार्ग को बंद करती जा रही है। इस नगर के दूसरी तरफ विल सिटी का विस्तार है जो भारत की अपराध की राजधानी है, कभी अपहरण यहाँ का मुख्य अपराध था, अब यह हर तरह के जरायम पेशा लोगो की ऐशगाह है। अपराधो की वजह से कोई भी व्यवसाई यहाँ कोई व्यापारिक संस्थान खोलने के लिए तैयार नहीं है। वर्तमान में जो व्यवसाई है वो भी अन्यत्र पलायन करने के लिए तैयार है। ऐसे में चारो तरफ बेरोजगारी और गरीबी का दलदल है मेरे इस अस्तबल की वजह से बहुत से लोगो को अनवरत रोजगार मिला हुआ है। लोग मेरा सम्मान करते है, अपनी समस्याएं लेकर मेरे पास आते रहते है, कुछ मुफ्तखोर भी आ धमकते है मैं उन्हें जो चाय नाश्ता कराता हूँ उसके बदले उनसे कुछ मूर्खतापूर्ण काम जैसे उधार का दूध चीनी आदि लेकर आना। इसी सब की वजह से यहाँ हँसी मजाक का माहौल बना रहता है, उसी की वजह से लोग मुझे इन मूर्खो का सरदार समझते है। यह अस्तबल मेरा साम्राज्य है यदि किसी को यह मूर्खता का साम्राज्य लगता है तो बताओ इसमें मेरा क्या दोष है?" लम्बा व्याख्यान देकर छत्तर दादा चुप हो गया।
जैनेट मूँह खोले मंत्रमुग्ध होकर छत्तर दादा की बातें सुनती रही और जब उसकी तंद्रा टूटी तो वह अगला सवाल पूछने की तैयारी करने लगी।
