Vibha Rani Shrivastava

Children Stories

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Vibha Rani Shrivastava

Children Stories

मुट्ठी में सृष्टि

मुट्ठी में सृष्टि

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दृश्य एक

कैलिफोर्निया की रात्रि के आठ बज रहे थे तो ठीक उसी समय भारत की सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे। एक घर में वीडियो कॉल पर बातें चल रही थी..

"भैया की तबीयत अब कैसी है?"

"दस बजे सिटी स्कैन होने जाएगा तो पता चलेगा कि कितनी चोट है..!"

"क्या बिना हेलमेट लगाए मोटरसाइकिल चला रहे थे कि सर में चोट लगी ?"

"घर के नजदीक ही.."

"माँ! आप हमेशा उनके गलत पक्ष को ढ़कने की कोशिश करती रहती हैं..। खैर जैसा भी रिपोर्ट आये, बिना देर किए आपलोग दिल्ली पहुँचने की कोशिश करें..।"

दृश्य दो

सिडनी के मध्याह्न के एक बज रहे थे और भारत की सुबह के साढ़े आठ बजे वीडियो कॉल से बात हो रही थी... उसी परिवार में अन्य से वीडियो कॉल पर बातें हो रही थीं...

"रात में, वर्षा और पावर कट की स्थिति में तथा शहर के जख्मी सड़क पर निकलना ही नहीं चाहिए था। ऐसी स्थिति में असावधानी हो जाना स्वाभाविक है..!"

"मेरी बात सुनता कौन है..!"

"आप चिन्ता ना करें सब ठीक हो जाएगा हम आ रहे हैं।"

दृश्य तीन

अमरीका की रात्रि के साढ़े आठ बज रहे थे और सिडनी के मध्याह्न के डेढ़ बज रहे थे और वीडियो कॉल में बात चल रही थी...

"तू अपने ऑफिस से छुट्टी ले घर जा तैयारी कर और एयरपोर्ट पहुँच। मैं तेरी टिकट कटवाकर तुझे व्हाट्सएप्प पर भेज और मेल करता हूँ।"

"और आप भैया ?"

"मैं भी अपनी टिकट लेकर पहुँच रहा हूँ। लगभग एक समय ही हम सभी दिल्ली पहुँचेंगे..!"

"दिल्ली में मदद मिल सके.. व्हाट्सएप्प और फेसबुक के समूहों में हमें अनुरोध का पोस्ट बना देना चाहिए..!"


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