Kumar Vikrant

Children Stories

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मुर्गी चोर

मुर्गी चोर

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"बल्लू देख तो सही अपना कालू खा-खा कर कितना मोटा हो गया है......मुझे तो यह भरोसा नहीं है कि यह हमारे घर में किसी चोर या बदमाश के घुसने पर भौंकेगा भी......?" बल्लू ने अपने दोस्त दीपू को उनके घर के हर टाइम सोने वाले कुत्ते कालू की तरफ देखते हुए कहा।

"सही कह रहा है तू, दोनों टाइम रोटी और बोटी खाने के अलावा इसे कोई काम नहीं है, आज कल तो वैसे भी पैसे की बड़ी किल्लत है, अब यार इसकी रोटी बोटी का इंतजाम अपने बस की बात नहीं है, चल यार चलता कर इसे।" कहते हुए लल्लू ने कालू को एक जोरदार लात मारी।

लात इतनी जोर से लगी थी कि कालू च्याउ-च्याउ करते हुए बल्लू और लल्लू के घर से बाहर भाग गया।

"अबे यार कालू को तो रपटा दिया, लेकिन अब अपना पेट भरने का भी कुछ इंतजाम कर......" बल्लू ने लल्लू की तरफ देखते हुए कहा।

"बेटे नमक की रोटी बनेगी, आज घर में न तो दाल है और न कोई सब्जी....." लल्लू ने चरपाई पर लेटते हुए कहा।

"तो चारपाई पर क्यों लेट रहा है? चल जाकर नमक की ही रोटियां बना......." बल्लू ने लल्लू को डांटते हुए कहा।

"डपट मत यार लगता है आज की रोटी के साथ बोटी का इंतजाम भी हो गया।" लल्लू ने हँसते हुए अपने कमरे से बाहर की तरफ इशारा किया।

बल्लू ने देखा उनके कमरे से बाहर उनका कुत्ता कालू मुंह में चार मुर्गिया दबाये खड़ा था।

"मुगियां काट कर बिलकुल साफ़ की हुई है, लगता है आज कट्टू कसाई की दुकान पर कालू का दांव लग गया तभी तो चार मुर्गिया मुंह दबाए आ रहा है.......जा छीन ले उसके मुंह से मुर्गिया और एक लात और रसीद कर देना ताकि दो चार मुर्गिया और चुरा लाए........बेटे इसके इस हुनर आज पहली बार ही पता लगा कि ये लतखोर कुत्ता है।" लल्लू ने हँसते हुए बल्लू को हुक्म दिया।

बल्लू ने आव न देखा ताव और झट से जाकर कालू के मुँह से वो मुर्गियां छीन कर उसे एक जोर की लात मारी। कालू फिर से च्याउ च्याउ करते हुए उनके घर से बाहर भाग गया।

हाथ के हाथ तीन मुर्गिया धोकर फ्रिज में पहुचाई गई और एक को कायदे से काट कर उसे पकने के लिए चूल्हे पर चढ़ा दिया गया।तभी उनके घर के बाहर एक गाड़ी रुकने की आवाज आई और एक ही मिनट बाद दारोगा तूफान सिंह चार सिपाहियों के साथ उनके घर में आ घुसा और चिल्ला कर बोला, "क्यों बे मुर्गी चोरो, कुकर में क्या पक रहा है?"

"मुर्गी है हुजूर अभी हमारा कुत्ता कहीं से उठाकर लाया था........" बल्लू ने थर थर कंपते हुए कहा।

"और तुम कुत्ते की खाई मुर्गी पका रहे हो? ज्यादा बकवास मत करो तुम दोनों कट्टू कसाई की मुर्गिया चोरी कर रहे हो आजकल, अबे लड़को इनके घर की तलाशी लो देखो मुर्गियां कहाँ छिपा रखी है इन्होने?" दारोगा तूफान सिंह अपने साथ आए सिपाहियों को हुक्म देते हुए बोला।देखते ही देखते फ्रिज से तीन मुर्गियां निकल आई, उसके बाद तूफान सिंह ने उनकी एक न सुनी और उन दोनों को पीटते हुए थाने ले गया और सारी रात पीट पीट कर उनसे वो जुर्म भी कबुलवा लिए जो उन्होंने कभी नहीं किए थे।

अगले दिन उन दोनों को कट्टू कसाई की शिकायत के आधार पर जज के सामने पेश किया गया। उन्होंने जज के सामने लाख कहा कि चोरी उन्होंने ने नहीं बल्कि उनके कुत्ते कालू ने की थी। जज ने उनकी एक दलील न सुनी और उन्हें मुकदमा चलने तक जेल की हवालात में कैद रखने का हुक्म दिया।

जब लल्लू और बल्लू को जेल ले जाया गया तो कालू और कट्टू कसाई को जी भर के गालियाँ दे रहे थे।

जज की अदालत में मुकदमा ज्यादा लंबा न चला, एक महीने की सुनवाई के बाद उन्हें कट्टु कसाई की मुर्गिया चोरी करने के जुर्म में छह महीने की सजा सुना कर जेल भेज दिया गया।

छह महीने की जेल में उन दोनों का पाला बड़े-बड़े बदमाशों से पड़ा जो उन्हें पहले जी भर कर पीटते थे और फिर बाद में अपनी चाकरी में रख लेते थे।

उन दोनों के साथ जो भी हो रहा था उसके लिए वो लालच को नहीं बल्कि कालू को दोषी मान रहे थे और रोज उसे पानी पी पी कर कोसते थे।छह महीने की जेल का समय पूरा हुआ और वो अपने घर पहुंचे तो उन्हें उनके घर के सामने लेटा हुआ कालू दिखाई दिया।

उसे देखते ही बल्लू ने उसकी तरफ लात चलाई तो लल्लू ने उसे रोकते हुए कहा, "मत मार बेटे, पहले लात मारी थी तो छह महीने जेल काटनी पड़ी अब न जाने क्या होगा।"

"ठीक है, ठीक है नहीं मरूंगा लात लेकिन ये मुर्गीचोर मुझे अब यहाँ नजर नहीं आना चाहिए।" बल्लू गुर्रा कर बोला।

लल्लू ने जैसे ही अपने घर का दरवाजा खोला वैसे ही उन दोनों से पहले कालू उनके घर में जा घुसा और उसके बाद तो उनके घर में कोहराम सा मच गया। वो दोनों दौड़कर अंदर गए तो अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था। उनके कमरे के अंदर कालू एक भयानक नाग से मुकाबला कर रहा था।

उस मुकाबले को देख कर लल्लू और बल्लू उनके घर के बाहर रखा एक मोटा सा डंडा उठा लाए लेकिन उनके उस कमरे में आने से पहले ही कालू ने उस नाग के फन को दबोच कर उसे मार डाला था।

उन दोनों ने उस नाग को घर से दूर एक तालाब में जा फेंका और वापस आकर अपने घर का कोना-कोना अच्छे से तलाश किया, उन्हें शक था उनकी गैर मौजूदगी में उनके घर में और सांपो ने डेरा न डाल रखा हो। लेकिन काफी तलाश करने पर भी कोई और सांप न मिला तो लल्लू ने कालू का सिर सहलाते हुए कहा, "बेटे आज तो तूने हम दोनों की जान बचा कर सिद्ध कर दिया कि तू हम दोनों का सच्चा दोस्त है, लेकिन बेटे आज से तू भी सादी दाल रोटी खाने की आदत डाल ले क्योकि आजसे इस घर में सिर्फ सादी दाल रोटी ही बनेगी, बेटे न तो खुद मुर्गी खाना और न ही हमे ललचाना नहीं तो बेटे इस बार तू जेल जाएगा हम नहीं।"

कालू ने उन दोनों की तरफ ऐसे देखा जैसे वो सब समझ गया हो और फिर वो उन दोनों के पैरों के पास लेट गया।


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