ममता
ममता
सुबह कांव-कांव की कर्कश आवाज सुन मेरा ध्यान घर के पीछे वाले प्लॉट की तरफ गया। आवाज वहीं से आ रही थी। जाकर देखा तो एक कौवा तीतर के जोड़े पर हमला कर रहा था ।मैं उसे बचाना चाहती थी पर वह मुझसे काफी दूर था। कौआ बड़ी तेजी से कांव कांव की आवाज करता उड़ता हुआ नीचे आता। शायद तीतर के अंडे खाना चाहता था।
वहां पेड़ों के झुरमुट में मैंने कई बार पहले भी तीतर के जोड़े को इधर-उधर घूमते देखा था। शायद वहां उन दोनों ने घोंसला बनाया था ।कौवा बहुत बड़ा था और अपने पूरे पंख फैलाकर उन दोनों पर अपने शक्ति का प्रदर्शन कर रहा था ।जैसे वो उड़ते हुए नीचे आता दोनों चिल्लाने लगते और उसके पंख पर अपने चोंच से वार करते ।उनके चोंच की चोट खाकर वह उड़ जाता पर उसने शायद अंडे देख लिए थे इसलिए बार-बार वह नीचे आकर अंडे खाने की कोशिश कर रहा था। दूर से देख मेरे मन में ख्याल आया ईश्वर ने मां को ममता का उपहार दे कितना शक्तिशाली बना दिया है। पशु पक्षी हो या मनुष्य अपने बच्चों पर खतरा देख मां अपनी जान की बाजी लगा देती है ।आज मैं तीतर और कौए के संघर्ष में ये देख रही थी। तीतर कौए के मुकाबले में काफी छोटी थी पर उसने कौवे के पंख पर बार-बार चोच से वार कर उसे आखिर में भगा ही दिया और ख़ुशी ख़ुशी अपने घोंसले में अण्डों के पास लौट गयी।