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vartika agrawal

Children Stories

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vartika agrawal

Children Stories

मित्र

मित्र

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सोहन और रोहन दोनों पक्के मित्र थे।दोनों का घर एक दूसरे के करीब था।अतः स्कूल भी साथ जाया करते थें।सोहन स्वभाव से थोड़ा चुलबुला था और बात-बात पर रोहन को छेड़ता रहता था।मगर रोहन उसकी कोई भी बात का बुरा न मानता था।

 एक दिन की बात है स्कूल जाने के एक दिन पहले रविवार को रात्रि में जोरों की बारिश हुई और थम गयी।अब क्या था जगह- जगह गड्ढों में पानी लग गया था।सोहन अगले दिन साइकिल पर था और रोहन पैदल था।चलते- चलते सोहन को एक खुरापात दिमाग में आया और गड्ढे में साइकिल को उतार दिया ,अब क्या था रोहन के जूते-मोजे पैंट सब मिट्टी के छीटें से लथपथ हो गये।रोहन नीचे चेहरा किये अपने रूमाल से पैंट साफ करने लगा।मगर कीचड़ ऐसे कैसे साफ होता।

दोनों स्कूल पहुँचे,प्रार्थना का समय था।प्रार्थना के पश्चात् सभी के स्कूल यूनीफार्म देखे जा रहे थे।रोहन को अलग खड़ा कर दिया गया और सोहन कक्षा में चला गया।दो पीरियड रोहन बाहर मैदान में खड़ा रहा और किसी से कुछ भी एक शब्द न कहा।

 कक्षा में जाने के पश्चात् रोहन अपने छूटे कार्य पूरा करता है और आगे की पढ़ाई में लग जाता है।पूरी छुट्टी होती है,सोहन उससे माफी माँगता है,और रोहन माफ भी कर देता है।सोहन रोहन से पूछता है कि उसने सर को उसका नाम क्यों नहीं बताया।वो चाहता तो उसे बता सकता था।इस पर रोहन मुस्कुराकर कहता है कि सच्चे दोस्त अपने दोस्त को मुसीबत में डालते नहीं बल्कि मुसीबत से निकालते हैं और सोहन तो रोहन का सच्चा यार है।सोहन की आँखो से आँसू बहने लगते है और वो रोहन को माफी माँगते हुए गले से लगा लेता है।


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