मित्र की शादी !
मित्र की शादी !


साल 2001 या आसपास, तुरन्त की बी एच यू की पढ़ाई के बाद पड़ी मित्र की शादी, पंकज राय बिहार वाले बक्सर से आगे किसी जगह
बलिया से दिनेश बिहार से श्याम और चंचल यू पी से हम बस ! सब तैयार ये तय हुआ हम दिनेश के यहां पहुँचेंगे। चंचल और श्याम बक्सर के आसपास मिलेंगे बलिया जिले से हमारा पुराना नाता ननिहाल रसड़ा के पास कामसीपुर ट्रेन से मऊ फिर जीप से रसड़ा फिर फेफना वहाँ से दिनेश के घर। भव्य स्वागत खाना पीना दिनेश से पूछे कितना दूर है बे!!!!
बक्सर से 65 किलोमीटर, ह्म्म्म फिर कल कब चला जायेगा ? भोर में !!
काहे ??(हम सोचे बक्सर एक घण्टा बक्सर 65 किलोमीटर और एक डेढ़ घण्टा और सही )
खूब हँसा दिनेश बोला, चलो पता चलेगा कल ही। खैर अगले दिन सफर शुरू हुआ, एक घण्टे में बक्सर श्याम ,चंचल साथ हो लिए जीप थी दिनेश की।
ड्राइवर दिनेश के बड़े भईया ,सफर शुरू .....
अपनी पूरी ज़िंदगी मे इतना गड्ढा नेशनल हाइवे पर कभी न देखे पुल पर लिखा होता पुल अतिक्षतिग्रस्त है सवारी बस से ऊपर अंदर की बजाय। कभी जीप से निकल कर पैदल चलते जीप पीछे छोड़ के। शाम पांच बजे तक किसी तरह भाई के बारात की जगह पहुँचे। पंकज भाई खूब खुश अपने भाई भतीजों के जिम्मे हम सब को लगाया, भईया आप लोग विद्यालय चलिए तैयार हो जाइए, विद्यालय मने एक परिसर जिसमे मैदान हो दस बारह कमरा भी कम से कम
पर हम बिहार में थे दो कमरों का विद्यालय था एक नल......बस हमलोगों को घेरे वहाँ के छोटे बच्चों का झुंड हम हाथ मुंह धोने लगे, एक मित्र जो सजने सवरने के शौकीन थे अपना बॉक्स जिसमे क्रीम पाउडर रखते थे, खोल बैठे पता नहीं किसी और ने सुना या नहीं, पर उसी बच्चों के झुंड में कोई बोला
डांसर ह का ई !!
खैर, बारात में शामिल हुए सब नाच चालू था, सब मगन। हमको लड़कियों के नाच में कुछ खास आनन्द नहीं आता तरस आता है। किसी की तो बहन बेटी होगी, किस तरह लोग अपने बेटी बहन की सी उम्र की लड़कियों पर नोट लुटाके ख़ुशियाँ मनाते हैं। सब ठीक ही चल रहा था कि अचानक पंकज का कोई रिश्ते का भाई दौड़ता आया, एक चाचा की राइफल छीन के बोला अंदर नहीं जावे दे ताने कुल खाली दूल्हा घरे जाइ कहत बाने ????
कई राइफल तन गई हमारी हवा सटक गई फिर सब पहुचे दुवारे, बात चीत समझौता सब शांत, कोई आया बोला, पंकज भाई बुला रहे हैं ।
डरते डरते हम लड़की के घर गए, राइफल इधर राइफल उधर कार्यक्रम चालू, भाई ने दुल्हन की को मंडप में देखा, पहली बार आंखों ही आंखों में पूछा
कइसन बाड़ी ??? मुस्कुराहट और आंखों की चमक बता रही थी सब ठीक है !
राइफल इधर राइफल उधर भी मित्र की शादी यादगार है हमारे लिए आज भी, साथ साथ हमारे उस सफर के मित्रों को भी होगी यक़ीनन ।