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Varuna Verma

Others

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Varuna Verma

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मिलन

मिलन

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वैसे तो मेरा रंग सुर्ख लाल है जो कि लोगों को आकर्षित करता है पर मुझे कोई नहीं पसंद करता, जैसे ही लगता है कि मैं आने वाली हूँ, सब तेज़ी से गाड़ी निकाल लेते हैं जैसे कि मैं कोई अपशकुन हूँ। मेरे आते ही विकास के गति की उल्टी गिनती शुरू हो जाती है। मैं तो लोगों को भागती दौड़ती ज़िंदगी से विराम देना चाहती हूँ पर असर उल्टा होता है। लोगों को मुझे देख कर खीज होती है। और तो और मुझे लोग अपने उच्च रक्तचाप के लिए भी जिम्मेवार ठहराते हैं।

मुझे सिर्फ वही लोग पसंद करते हैं जिनकी ज़िंदगी की रफ्तार भी रुकी हुई है मेरी तरह। वो बच्चा जिसकी उम्र का अंदाज़ लगाना कठिन है, इस चौराहे पर उत्तर से आने वाली सड़क के किनारे पीली पोलीथिन के बनाये झुग्गी में रहता है। मैं जैसे ही आती हूँ वो दौड़ के हरेक गाड़ी वाले के पास जा कर कुछ मांगता है। मैने बहुत ही कम बार कोई शीशा नीचे होते देखा है। ऐसे ही वो औरत है जो एक बच्चा गोद में लिये रहती है, उसे पैसे मिलने की उम्मीद ज़्यादा रहती है। और फिर रहते हैं कुछ हिजड़े, जिनकी तरफ लोग नहीं देखते ताकि नहीं देखने से वो दुनिया से ग़ायब हो जायेंगे, वैसे मुझे लगता है कि इन्हें और आत्म सम्मान से जीना चाहिये पर मैं लोगों को आगे नहीं बढ़ा सकती सिर्फ रोक सकती हूँ ।


मेरी साथी हरी बत्ती वैसे तो मेरी दोस्त बनती है और मुझसे काबिल भी लेकिन मुझे लगता है कि वो मुझ से अंदर ही अंदर जलन भी रखती है क्योंकि मैं ज़िंदगी को देखती हूँ। मैं देखती हूँ उस गुलाब बेचने वाले को जिससे अपनों के लिए लोग गुलाब खरीदते हैं। और गृहस्थी की रंग बिरंगी चीज़ें बेचने वाले को एक औरत गाड़ी की खिड़की से ललचाई नज़रों से देखती है पर उसका पति झिड़क देता है। रात में एक आदमी मुझसे लिपट कर रो रहा था। शायद आशिक होगा, कुछ तो खोया है इसने दिल, या पैसा या फिर किस्मत। मैं उम्मीद भी हूँ और एक मूक गवाह भी।


एक लड़का आता है, एक गाड़ी भी आती है ...ये गाड़ी पहले भी आ चुकी है पर रुकी नहीं ....जैसे ही मेरी लाल रौशनी होती है गाड़ी धीमी होती है और लड़का उसमें चला गया। वो मेरी हरी सहेली का इंतज़ार भी नहीं करते। अगली सुबह एक अखबार वाला एक और गाड़ी वाले को जो अखबार बेच रहा है उसमें मुझे उस रात वाले लड़के की तस्वीर दिखाई देती है ....शायद वो कोई आतंकवादी था।


फिर वो नीली जीन्स और शर्ट पहने, लम्बी चोटी वाली लड़की है, वो बस से उतर कर इंतज़ार करती है, रोज उसका साथी आता है और दोनो साथ साथ उस लाल कॉफ़ी की दुकान ओर चले जाते हैं। एक दिन उन दोनो में काफ़ी बहस हो रही थी। मैं भी उत्सुकता से कान खड़े कर के हूँ। लड़की को बाहर जाने का मौका मिला है और वह जिस से मदद ले रही है उसे वह लड़का उसे पसंद नहीं करता। फिर कुछ दिनो के लिए वो दोनो नहीं आते। कभी कभी लड़की दिखती भी तो इंतज़ार नहीं करती थी। आज लगभग दो साल बाद मुझे वह लड़की फिर दिखी। अबकी बार उसका दोस्त एक गाड़ी में आया। वह कह रहा था, अगर तुम उस दिन नहीं जाती तो मुझे लायक बनने की जरूरत नहीं महसूस होती। शायद अब हमारे रिश्ते को हरी बत्ती मिल जायेगी।


उसकी बात सुनकर मुझे खुशी भी होती है और कोफ्त भी ....सारी कहानी लिखो लाल बत्ती में पर इंतज़ार रहेगा हरी बत्ती का!



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