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ARVIND SINGH

Children Stories

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ARVIND SINGH

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मेरा हुनर मेरी मौत

मेरा हुनर मेरी मौत

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गामें शाम को बैठा था अकेला थक कर चूर हो गया था लाल लाल सूरज की लालिमा दिख रही थी जैसे हम कही मंगल गृह पर आ गए हो ऐसा प्रतीत होता था ठंडी ठंडी रेत थी सुन शान हो गया था इलाका सिर्फ एक पैराशूट उड़ रहा था वो भी अभी निचे आ रहा था उसमे 2 लोग थे जो एक दूसरे को गले लगाए सनसेट का मजा ले रहे थे बहुत खुश थे शायद पति पत्नी थे में भी अकेला था मुझे भी मेरी जीवन साथिनी की याद आ रही थी में भी सोच रहा था की वो भी मेरे पास होती तो में भी आज उसके पास होता और अपनी परेशानिया उससे कहता और अपना जीवन उसके साथ जीता मगर मेरी किस्मत में शायद ये नहीं था में आपको मेरी कहानी सुनाता हूँ 


मैं आज आपको मेरी कहानी सुनाता हूँ दरअसल मैं वही प्राणी हूँ जिसे रेगिस्तान का जहाज कहते है । सही समझा आपने मैं वही ऊट हूँ हां में बहुत छोटा था मेरा जन्म हुआ था करीब में 5 साल की मेरी उम्र थी मेरी खेलने कूदने के दिन थे में अपने माँ के पास खेलता मुझे बहुत अच्छा लगता में धीरे धीरे बड़ा हो रहा था और में जवानी में आया और एक दिन में चरने के लिए एक खेत में गया तो वह पैर एक ऊंटनी आई जिसे देख कर मुझे प्यार का इतना एहसास हुआ एक बहुत अच्छी हवा और मौसम मुझे इतना अच्छा लगने लगा में बहुत दिन तक उसे ऐसे ही देखता रहता था और हमेसा देखता ही रहता एक दिन मेने जा कर उस ऊंटनी से बात की और अपने दिल का हाल बता दिया और वो भी मुझसे प्यार ही करती थी हम रोज चरने के लिए आते हो हमारे साथ में उस खेत में रहते इस तरह हमको 2 साल बीत गए पता ही नहीं चला तब मुझे एक दिन जिस मालिक के घर में और माँ रहते उस दिन मेरे घर पर कोई 2 आदमी गाडी लेके ऐसे दिख रहे थे दिखने में अजीब तरह के और लम्बी लम्बी दाढ़ी और लम्बे लम्बे कपडे पहने हूँए थे और मेरे मालिक से मेरे बारे में बात कर रहे थे मुझे ये पता इस्सलिये चला क्यू की वो बार मेरी तरफ हाथ कर रहे थे इससे मुझे साफ़ पता चल गया की वो मेरे बारे में बात कर रहे थे और उन्होंने मेरे मालिक के हाथ में कुछ कागज़ के टुकड़े दिए और वापिस चले गए


 ऐसे ही दिन बीतते रहे और एक दिन वही आदमी वापिस बहुत बड़ी गाडी लेके आये और और मेरे मालिक के पास आके फिर मेरे पास आये और मेरे पास आके मुझे वह से साथ लेके जाने लगे तभी मेरी माँ को उन लोगो पर गुस्सा आया और वो उनको काटने लगी क्यू की वो मुझे मूर्खो की तरह खींच रहे थे और उन्होंने मुझे छोड़ दिया फिर मालिक में मुझे खींचा वो मुझे गाडी में पकड़ कर ले जा रहे थे और मुझे जाना पड़ा क्यू की मेने मालिक का नमक खाया है और मुझे अंदर जाना पड़ा मुझे पता चल गया था की मालिक में मुझे बेच दिया है और मेरी माँ मुझे देख रही थी न कुछ कर सकती थी और न ही मुझे निकल सकती थी वह से बाहर मुझे देख कर उनकी आँखों में आंसू आ गए और वो मुझे देख रही थी और उनको पता था की अब मुझे उनसे दूर ले जाएँगी पता नहीं कहा पैर वो मुझे लेके जायेंगे मुझे गाडी में बंद कर दिए जैसे उन्होंने बंद कर दिया में देख ही रहा और उन्होंने गाडी की पीछे वाली फाटक को बंद कर दिया तो उनके बंद करते ही मेरी माँ मेरी आँखों से ओझल हो गयी और गाडी चलने लगी।


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