'' मेरा भारत देश "
'' मेरा भारत देश "
विश्व मनोहर भारत प्यारा,
जन-मन की अभिलाषा है ।
है सबसे ऊँचा हिन्द हमारा ,
जो बन्धुत्व की परिभाषा है ।
है प्राकृतिक परिवेश अनूठा,
और नदियों की छटा निराली ।
उत्तर दिशि गिरिराज विराजै,
जहाँ की मीठी हिन्दी बोली ।
ये राम- कृष्ण की धरती,
जहाँ ऋषियों ने शिक्षा पाई ।
दुनिया को किया प्रकाशित ,
हमने ज्ञान की ज्योति जलाई ।
भारत विश्व शान्ति का पोषक,
जहाँ धरा की तहजीब निराली ।
ज्ञानोदय का देश कहलाता,
जहाँ चमकती सूरज की लाली ।
विश्व पुरातन है देश हमारा,
जिसके सागर भी पैर पखारे ।
हमारे शौर्य की दुनिया कायल,
सब गाते हैं यश -गीत हमारे ।
वो भारत का मुकुट हिमालय,
है ताज महल आंखों का तारा ।
नैनी ताल बनी भारत की आंखें,
वो राजस्थान दुनिया से न्यारा ।
सिंधु -घाटी इतिहास उगलती,
बताती दुनिया को हसीं नजारे ।
उस भारत देश के क्या कहने?
जिसकी शान में हर रोज तिरंगा फहरे ।