मातृत्व
मातृत्व
माँ ने करीने से फर्श का लाइजोल से पोंछा लगा कर अच्छी तरह सुनिश्चित किया कि अब फर्श साफ और उसके बच्चे के लिए हाइजीनिकली फर्फेक्ट हो गया है, फिर उसने आठ महीने के अपने बच्चे को फर्श पर खेलने के लिए छोड़ दिया। बच्चा मां की गोद से आजाद होते ही फर्श पर हुलस हुलस कर भागने लगा। पास ही उसकी गांव की पली-बढ़ी सासु मां बैठी थी। उसने कहा-माँ जी! आप जरा ध्यान रखना, तब तक मैं किचन में दाल बना कर आती हूं। बच्चा अपनी मस्ती में भागता भागता कुछ ही देर में पीछे पाॅटी करता चलने लगा। पाॅटी की छोटी-छोटी गोलियां बकरी की मेंगनी की तरह से निकलती जा रही थी। थोड़ी दूर जाकर अचानक बच्चे ने पीछे मुड़कर देखा और उत्सुकतावश पाॅटी की गोलियों को उठाया और मुंह में रखकर स्वाद लेने ही वाला था तभी उसकी मां की नजर उस पर पड़ी। वो भागती हुई आई और थप्पड़ मार कर जल्दी-जल्दी उसके मुंह में उँगली डालकर मुंह धुलाया। और भनभना कर सास से बोली देखो माँ जी! यह क्या कर रहा था? आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया? ध्यान से आंख गड़ाकर 'सरिता' की कहानी पढ़ रही सासू मां ने अपना सिर उठाया और बोली- ऐ लो! जे का कर रया है छोरा। इसका बाप भी जेई करे था। ऐसा कहकर सासु माँ हो-हो करके हंस पड़ी। चल कोई ना। साफ कर दे बहू। बच्चे तो करें ही हैं ये सब। पढ़ी-लिखी सुशिक्षित बहू को काटो तो खून नहीं। वो कुछ कठोर शब्द कहने ही वाली थी कि तभी अचानक पाॅटी खाते अपने नन्हे पति की तस्वीर उसकी आंखों के सामने कौंध गई। अचानक उसके मातृत्व ने उसे याद दिलाया कि वो दूसरे मातृत्व से बात कर रही है। वह तत्काल मुस्कुरा कर बोली- जी माँ जी आप ठीक कह रही हैं। बच्चे तो ऐसा करते ही हैं.. उन पाॅटी की गोलियों से सास बहू के संबंधों में सुंदर सुगंध सुवासित हो गई।
