"मातृत्व मां कि ममता"
"मातृत्व मां कि ममता"
एक दिन मैं सुबह जल्दी उठकर मोर्निग वाक् पर निकला ही था।
कि गांव के बाहर एक मोड़ पर घर में लोग दौड़ कर जा रहे थें। मैं भी दौड़ कर उस घर कि तरफ़ जाकर देखा।
तो एक दस वर्षीय लड़का बेहोशी कि हालत में अपनी मां कि गोद में पड़ा हुआ था। जब मैंने पुछा कि इस लड़के को क्या हुआ हैं।
तो उसकी मां रोते हुए बोली कि इसने दादाजी की रखी ज़हरीली अफ़ीम खा लिया है।
तब मैंने सभी से निवेदन किया कि इसे अस्पताल लेकर चलना है।
मेरे साथ कौन कौन चल सकते हो।मैंने गांव के सरपंच कि जीप गाड़ी मंगवाई।हम तीन चार लोग उसे ले जाकर अस्पताल में भर्ती करवाया मैैंने पैसे मेरे घर से ले जाकर इलाज करवाया।
गनिमत रही कि लड़के को बेहोशी कि हालत में भी हमने जल्दीअस्पताल में भर्ती करवाया दिया।
इसलिए लड़के कि जान बच गई। लड़के कि चिंता में उसकी मां का स्वास्थ्य भी ख़राब हो गया था।वो हम सब देख नहीं सकें।उन्हें भी बेहोशी कि हालत में लड़के के साथ हीअस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा था।वह तो जल्दी ठीक हो गई।
उन्हें होश आते ही लड़के के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी चाही उससे मिलने कि इच्छा व्यक्त की वह उनके पास ही भर्ती था।अपनी आंखों से उसे स्वस्थ देख बहुत खुश हुई। मैंअकेला ही लड़के के पास था। बाकी सभी लोग वापिस गांव लोट गये थें।
इसलिए मुझे धन्यवाद दिया मैंने उन्हें कहा यह तो मेरा फ़र्ज़ बनता हैं।इसलिए धन्यवाद देने कि आवश्यकता नहीं हैं।
यह सब कुछ देखकर लगा कि कि हकीकत में मां कि ममता यह होती हैं। इसे कहते हैं मां कि ममता मां का प्यार !!
जय हिन्द
