Kanchan Shukla

Others

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मां मां होती है सगी या सौतेली

मां मां होती है सगी या सौतेली

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" क्या यह बच्ची जीवन भर मां के प्यार से मरहूम रहेगी भाभी?" रमा ने अपनी भाभी सविता से गम्भीर लहज़े में पूछा" रमा मैं भी यही सोच-सोच कर परेशान हो रही हूं इस नन्ही सी जान की परवरिश कैसे होगी बहू का यूं असमय जाना हम सभी के लिए दुखदाई है और सबसे ज्यादा तो इस मासूम के लिए जो जन्म लेते ही मां के प्यार से मरहूम हो गई।अगर मैं अपने बेटे को दूसरी शादी के लिए तैयार कर भी लूं तो क्या पता आने वाली लड़की इसको सगी मां जैसा प्यार देगी भी या सौतेली मां जैसा व्यवहार करेगी यही सोचकर मैं अपने बेटे की दूसरी शादी करने से डर रही हूं" सविता ने अपने मन की शंका जाहिर करते हुए कहा।" भाभी मां सिर्फ़ मां होती है सगी या सौतेली नहीं सगा और सौतेला उसे हम ख़ुद बनाते हैं" रमा ने गम्भीर लहज़े में कहा

" तुम कैसी बात कर रही हो रमा हम उसे सौतेला कैसे बनाएंगे वह तो सौतेली बनकर ही आएगी?" सविता ने हाथ नचाते हुए मुंह बनाकर कहा" भाभी कोई लड़की सौतेली मां बनकर नहीं आती हम लोग बात-बात पर उसे सौतेली मां होने का अहसास दिलाते हैं अगर नई मां ने बच्चे को उसकी गलती पर डांट दिया तो उसकी दादी, बुआ,चाची,ताई तुरंत नई मां को ताने देने लगती हैं अगर अपनी सगी बेटी होती तो तुम ऐसा नहीं करतीं जबकि हम सभी जानते हैं कि, अपनी सगी मां भी गलती पर अपने बच्चों को डांटती मारती है और अगर वही काम नई मां कर दे तो हम उसे सौतेला कहकर ताने मारते हैं हमारे ताने सुन-सुनकर वह मां से सौतेली मां बन जाती है।हां यह भी सही है कि, कुछ लड़कियां बुरी होती हैं पर सभी नहीं मेरा तो यही मानना है। क्योंकि मैं अपना अनुभव बता रही हूं आपको तो पता ही है कि,मेरी सास भी तो सौतेली मां हैं पर मुझे कभी ऐसा लगा ही नहीं की मेरी सास मेरे पति की सौतेली मां हैं भाभी मेरे पति अपनी नई मां को मां समझते हैं सौतेली मां नहीं भाभी ताली दोनों हाथों से बजती है हम जैसा व्यवहार दूसरो के साथ करेंगे वैसा ही पाएंगे।मेरा तो यही कहना है कि,आप कोई अच्छी लड़की देखकर राकेश का विवाह कर दीजिए और इस नन्ही कली को नई मां की गोद में डाल कर निश्चित हो जाइए आपको अपने घर की लक्ष्मी मिल जाएगी राकेश को पत्नी और इस मासूम को मां का प्यार मिल जाएगा। आप कब तक सौतेली मां के डर से इस बच्ची को मां के प्यार से मरहूम रखेंगी आप तो इस बच्ची और आने वाली नई मां के बीच पुल का काम कीजिए जिससे आपका घर-संसार और इस नन्ही परी दोनों के जीवन में खुशियों की बहार आ जाए" रमा ने अपनी भाभी सविता को समझाते हुए कहा।

" रमा तुम शाय़द ठीक कह रही हो मैं ही गलत सोच रही थी अब मैं जल्दी ही राकेश की दूसरी शादी करवा दूंगी" सविता ने मुस्कुराते हुए कहा" भाभी मैं शाय़द नहीं बिल्कुल ठीक कह रही हूं अब आप राकेश की दूसरी शादी कर ही दीजिए मैं अपने भतीजे की शादी में सोने की अंगूठी लूंगी" रमा ने सविता को चिढ़ाते हुए कहा" ननद रानी आप भी क्या याद रखेंगी मैं आपको सोने का कंगन पहनाऊगी" सविता ने भी हंसते हुए जवाब दिया तभी पीछे से ठहाके की आवाज सुनाई दी

"और जेब मेरी कटेगी" दोनों ने मुड़कर देखा तो रमा के भैया खड़े मुस्कुरा रहे थे उन्हें देखकर दोनों ननद भाभी खिलखिला कर हंस पड़ी।

" अच्छा रमा एक बात बताओ क्या कोई अच्छी लड़की तुम्हारी नज़र में है"? सविता ने गम्भीर लहज़े में पूछा

" नज़र में क्या मेरे घर में ही ऐसी लड़की है आपको क्या लगा की बिना किसी आधार के मैं आपसे राकेश की शादी की बात कर रही थी? नहीं भाभी मैं जिस लड़की की बात करना चाह रही थी वह मेरी जेठानी की भतीजी है उसका विवाह धोखे से ग़लत लड़के से हो गया लड़के वालों ने लड़के के बारे में झूठ बोला वह लड़का शरीफ़ नहीं शराबी जुआरी आवारा था शादी में लड़की की विदाई नहीं हुई थी बाद में गौने की रस्म होनी थी पर गौने से पहले ही लड़के का एक्सीडेंट हो गया वह शराब पीकर गाड़ी चला रहा था और उसमें उसकी मौत हो गई. लड़के की मौत का ज़िम्मेदार शिल्पा को समझा गया लोगों की दकियानूसी सोच शादी को साल भर भी नहीं बीता और पति की मृत्यु हो गई. लड़की अपशगुनी है शादी को चार महीने भी नहीं बीते थे और पति की मौत हो गई यह सब लड़की के कारण हुआ है इससे रिश्ता जुड़ते ही सब कुछ बर्दाश्त हो गया इसके पैर जहां भी पड़ेंगे उस घर की खुशियों को यह निगल जाएगी भाभी दुनिया और घर परिवार की इसी दकियानूसी सोच ने एक हंसती मुस्कुराती जिंदगी को जिंदा लाश बना दिया ईश्वर की मार से तो वह टूट ही चुकी थी दुनिया की सोच ने उस मासूम का जीना मुश्किल कर दिया उनके तानों ने उसे पत्थर बना दिया एक बार वह मेरे घर आई थी उसे देखकर मेरा मन ख़ून के आंसू रो पड़ा भाभी वह इतनी सुन्दर है की स्वर्ग की अप्सरा भी शरमा जाए वह जितनी सुंदर है उससे ज्यादा मासूम थोड़ा बहुत पढी लिखी भी है घर के कामों में दक्ष है लेकिन जैसे वह हंसना ही भूल गई है किसी के सामने जाने में भी घबराती है वह एक महीना हमारे घर रही उसकी मासूमियत और व्यवहार ने मेरा मन मोह लिया तभी से मेरे मन में विचार आया की अगर शिल्पा का विवाह राकेश के साथ हो जाए तो आपका घर स्वर्ग हो जाएगा इस घर की खुशियां लौट आएगी और राकेश के नीरस जीवन में फिर से बहार आ जाएगी " रमा ने अपनी भाभी सविता को बताया।

 " रमा क्या वह लड़की राकेश के बच्चे को भी दिल से अपनाएगी"? सविता जी ने शंका जताई उनके चेहरे पर भय साफ़ दिखाई दे रहा था।

 " क्यों नहीं अपनाएगी हम उसे सच बताकर राकेश की शादी उसके साथ करेंगे" रमा ने गम्भीर लहज़े में जबाव दिया।

 " रमा वह कुंवारी विधवा है उसके भी कुछ अरमान होंगे आते ही वह किसी दूसरे के बच्चे को अपना बच्चा समझकर क्या वह उसे अपने सीने से लगाएगी मैं यही सोचकर परेशान हूं कहीं शादी के बाद मेरी मासूम बच्ची एक सौतेली मां के अत्याचारों का शिकार न हो जाए"? सविता ने गम्भीर लहज़े में कहा

 " भाभी ऐसा नहीं होगा इसकी गारंटी मैं लेती हूं मैं ऐसा क्यों कह रही हूं इसका कारण मैं आपको बताती हूं जब शिल्पा हमारे घर आई थी तो हमारे पड़ोसी के घर में एक परिवार किराएदार बनकर आया था उस परिवार की बहू अपनी सौतेली बेटी के साथ बहुत बुरा व्यवहार कर रही थी तब एक दिन शिल्पा ने मेरी जेठानी से कहा था," बुआ एक औरत जिसे दया, ममता और करूणा की देवी समझा जाता है वह जब सौतेली मां बनती है तो उसकी ममता उस बच्चे के लिए खत्म क्यों हो जाती है उसे तो बिन मां की बच्ची को और प्यार देना चाहिए अगर वह सौतेले बच्चे पर अपनी ममता लुटाएगी तो वह बच्ची भी तो अपनी सगी मां से ज्यादा उस मां का सम्मान करेगी उन दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता कायम हो जाएगा उस रिश्ते का बंधन इतना मजबूत होगा की उसे दुनिया की कोई ताकत तोड़ नहीं पाएगी बुआ जी मां तो सिर्फ़ मां होती है सगी या सौतेली नहीं सगा और सौतेला तो हमारा व्यवहार और लोगों की दखलंदाजी बनाता है उसकी इन बातों को सुनकर ही मैंने फ़ैसला किया था की मैं राकेश की शादी शिल्पा से करने की बात आपसे कहूंगी आगे जैसा आप और भैया ठीक समझें वैसा करें" रमा ने गम्भीर लहज़े में कहा

 " रमा अगर उस लड़की की सोच इतनी अच्छी है तो हमें कोई एतराज़ नहीं है तुम शिल्पा के घर वालों से बात करो अगर वह लोग शिल्पा की शादी राकेश से करने को तैयार हैं तो कोई अच्छा मुहुर्त देखकर शादी की तारीख पक्की कर दी जाए अब देर करने का कोई मतलब नहीं है" रमा के भाई ने मुस्कुराते हुए रमा से कहा।

" भैया मैंने पहले ही उन लोगों से बात कर ली है वह लोग तो तैयार बैठे हैं उन्हें अपनी बेटी के लिए इससे अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा मैं आज ही उन्हें फ़ोन करके बता देती हूं की वह शादी की तारीख पक्की कर लें और हमें बता दें जिससे हमें लोग उस दिन राकेश की बारात लेकर उनके दरवाजे पर पहुंच जाएं" रमा ने ख़ुश होकर कहा

" नेकी और पूछ पूछ कर तुम आज ही उन्हें फ़ोन कर दो रमा की भाभी सविता ने उतावलेपन से कहा।

" दादी हमें कहां जाना है"? तभी एक मासूम बच्ची की आवाज सुनाई दी रमा और सविता ने देखा की दरवाज़े पर राकेश की तीन साल की बेटी खुशी खड़ी हुई है यह सवाल उसने अपनी दादी से किया था।

" बेटा हमें आपकी मम्मी को लेने चलना है" सविता ने मुस्कुराते हुए कहा.

" सच दादी मेरी मम्मी कहां रहतीं हैं" खुशी नहीं ख़ुश होकर पूछा।

" वह तुम्हारे नाना और नानी जी के साथ दूसरे शहर में रहतीं हैं अब हम उन्हें लेने जाएंगे तब वह हमारे साथ हमारे घर में रहेंगी" सविता ने मुस्कुराते हुए कहा.

" तो चलिए ना दादी हम आज ही मम्मी को लेकर घर आ जाएं" मासूम खुशी ने कहा.

" आज नहीं थोड़े दिनों बाद जब तुम्हारे पापा टूर से लौट आएंगे तब हम सभी तुम्हारी मम्मी को लेने चलेंगे" रमा ने खुशी को अपनी गोद में बैठाते हुए कहा.

खुशी रमा की बात सुनकर खुशी से ताली बजाते हुए कहने लगी "हम मम्मी को लेने जाएंगे मम्मी को लेने जाएंगे" खुशी के चेहरे की खुशी देखकर सभी के चेहरे भी प्रसन्नता से खिल उठे।



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