Divyanjli Verma

Others

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Divyanjli Verma

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माँ की ममता

माँ की ममता

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     माँ की ममता के आगे तो हर कोई हार जाता है। सबसे निश्छल होता है माँ का प्रेम। अपने लाखों दर्द भुला देती है अपने बच्चे की खुशी के लिये। माँ कोई भी हो, किसी की भी हो, माँ तो माँ होती है बस।

          आज एक बंदरी को देखा। वो भी एक माँ ही थी। हाथ में अपने छोटे से बच्चे को लिये बैठी थी। कभी बच्चे को इधर हिलाती ,कभी उधर हिलाती , कभी प्यार से उठा के गले लगती , कभी गुस्से में दूर कर देती है। थोड़ी देर रूठ के बैठी रहती। फिर बच्चे को प्यार से गोद में उठा लेती।

          उसका बच्चा बहुत ही छोटा था। शायद एक हथेली में आराम से आ जाये इतना छोटा। अभी ठीक से उसके शरीर पर बाल भी नहीं आये थे। सर में उसके चोट लगी थी शायद इसीलिए खून से नहाया हुआ था।

          उनकी माँ को लग रहा था की मेरा बच्चा और बच्चों जैसे नहीं है। वो तो अपनी माँ की गोद में शांति से लेटा है। जैसे बहुत गहरी नींद में सो रहा हो। और वो पागली अपने बच्चे के प्यार में पागल ना जाने कितने दिनों से उसके उठने का इंतजार कर रही।

           काश की कोई उस बेजुबां मगर बच्चे के प्यार में पागल माँ को बता देता की उसका बच्चा मर चुका है। जिसके जागने का वो कब से इंतजार कर रही वो हमेशा के लिये सो चुका है।

हाँ, उस बंदरी का बच्चा मर चुका है।

         

         



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