Vikas Sharma

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लॉक डाऊन् के बाद ऑफिस का पहला दिन

लॉक डाऊन् के बाद ऑफिस का पहला दिन

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21 दिन का लोकडाउन अजीबो – ग़रीब हाल में छोड़ गया , ना तो शिकायत ही कर सकते हैं कि घर पर परिवार के साथ अच्छा नहीं लगा और ना ही सच्चाई कबूल सकते कि क्या –क्या याद किया , किन इच्छाओं को दबाया और बेमतलब सब कुछ अच्छा होने । खुश रहने को और नहीं बढ़ाया जा सकता था । मानसिक बीमार हो चले थे , अब कोरोना से डर ऊब गया था , पर खैर हो राहत मिली, साहेब के शहर में कोई केस नहीं आया । आज राधिका भी काम पर गई थी लोकडाउन के बाद । साहेब को आज देर से जाना था , 21 दिन कि तड़प जो मिटानी थी , बार – बार दरवाजे को ही निहार रहे था , दरवाजे को खुला ही छोड़ा था , एक पल भी जाया नहीं करना चाहते थे ।

भूमि जैसे ही कमरे में दाखिल हुई झट से दरवाजा बंद किया , भूमि को पीछे से जकड़ लिया और बेहिसाब चूमना शुरु कर दिया , वो कुछ कहना चाह रही थी , पर साहेब उतावले पन के आगे उसकी एक ना चली , साहेब उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा लिया ।

"साहेब , कई दिनों का काम है , बहुत वक्त लगेगा , अभी कई जगह जाना है , आज रहने देते – भूमि ने अनचाहे मन से कहा ।"

"आज भुमि आकर चली गई थी , कुछ काम नहीं कर पाई , तबयित कुछ ठीक नहीं थी –ये बोल दूँगा राधिका को , आज तुम किसी और के घर पर नहीं जाओगी , अभी फोन करके मना कर दो ।"

भूमि ने मुस्करा कर ऐसा ही किया , और बोली मैं भी यही चाह रही थी आज तो , 21 युग बाद मौका ,मिला है , आज साहेब को मना नहीं कर सकती ।

साहेब और भुमि ने सारा दिन एक – दूस्ररे में ड़ूब कर बिताया , "शाम हो गई साहेब अब मैडम आने वाली होंगी , चलती हूँ – कहकर भूमि कपड़े पहनने लगी ।"

साहेब ने घड़ी कि ऒर देखा और कहा – "ह्म्म्म्म्म्म यही ठीक रहेगा ।"

साहेब ने कमरा ठीक किया , थोड़ी साफ सफाई भी कर दी , राधिका को आने में आज जरा देर हो गई थीं , राधिका थक सी गई थी , आते ही नहाने चली गई , उसके फोन पर मेसेज आ रहे थे, यूँ तो साहेब राधिका के फोन को छूते नहीं थे , पर आज थके थे , आवाज पसंद नहीं आ रही थी , तो साईंलेंट करने को फोन उठाया , राधिका के ऑफ़िस से आए मेसज पर निगाह पड़ गई , आज ऑफिस क्यूँ नहीं आई ? , मेल मिला , अचानक तबयित को क्या हो गया ? इतने दिनों से तो घऱ पर ही थी ।हेमा – साथ में काम करती थी का मेसेज था ।

राधिका बाल पोंछते हुए बोली – "21 दिन बाद ऑफिस , ऑफिस जैसा लग हि नहीं रहा था , इतना पेंडिंग काम , इसलिये देर हो गई , जरूरी काम आज निपटा लिया है , बाकी धीरे –धीरे हो जायेगा ।वैसे लोकडाउन के बाद ऑफिस अच्छा लगा।"

घर की तरफ देखकर – "भूमि आज भी नहीं आई, कोई तो बताये लॉक डाउन खत्म हो गया है ,

आप तो देर से ऑफिस जाने वाले थे ना, कैसा रह लोक डाउन के बाद का दिन?"

"मेरा भी तुम्हारे जैसा ही रहा"- साहेब ने राधिका को फोन देते हुए कहा। 


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