Richa Baijal

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लॉक डाउन डे 24 : बोरियत

लॉक डाउन डे 24 : बोरियत

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लॉक डाउन डे 24 : बोरियत:17.04.2020 


डिअर डायरी,


मौसम बदल रहा है, गर्मी बढ़ रही है। लेकिन ऐसी और कूलर चलने के लिए मना किया जा रहा है। कल रात को नींद ठीक से नहीं हुई। और सुबह से मन कहीं लग नहीं रहा है। बहुत कुछ पढ़ने के बाद मन कहीं घूमने का करता है जो कि इस लॉक डाउन में संभव नहीं है। ऐसे में बोरियत हो रही है : मन कुछ भी करने को नहीं हो रहा है। 

शांत भी नहीं है और परेशान भी है मन। 3 मई तक बढ़ चुके लॉक डाउन को तो स्वीकार करना ही पड़ेगा। लेकिन इस 3 मई के बाद भी कम से कम एक महीने तक बाहर की चीज़ों से दूरी रखनी पड़ेगी। ये मन जान रहा है है कि अभी लगभग 6 महीने का संघर्ष है।


ऑनलाइन चैट व्यर्थ लग रही है। लेकिन इस वक्त और कुछ करने को है नहीं। एप्प्स पर सिंगिंग कम्पटीशन चल रहे हैं , व्हाट्सप्प पर 'चैलेंज ' चल रहे हैं।और तो और लोग अकेले घर में रहकर अपना बर्थडे वीडियो अपलोड कर रहे हैं। वो जो हमारा असामजिक होना हुआ करता था, वो भी कितना सामाजिक ही था। टाइम बहुत सारा है क्योंकि माल्स की 'विंडो शॉपिंग ' बंद है आजकल। पर फिर भी जैसे कुछ कमी- सी है। वो चेहरे नहीं दिख रहे जो मेरी ज़िन्दगी की पहचान बन चुके हैं। घर में बंद हैं सभी,और बस टीवी के शोज़ को टीआरपी मिल रही है। 


मन कहीं लग नहीं रहा है इस वक्त और लॉक डाउन खुलने के बाद भी अलग ही फ़िक्र करनी होगी खुद की।आज एहसास हो रहा है कि वो हर दिन बाहर जाकर हवा हवा खाना ही कितना ज़रूरी था दिमागी सुकून के लिए।हम भारतियों में इमोशनल कंटेंट ज़्यादा है, विदेशी तो शुरू से प्रैक्टिकल हैं लाइफ में।इसलिए कमी खल रही है दोस्तों की , सहकर्मियों की. और शायद बोर होने की एक वजह ये भी है कि ज़िन्दगी से 'चटपटी ' चीज़ें कुछ समय के लिए दूर हो गयी हैं। ज़बान 'फ्लेवर ' ढूंढ रही है, जो बाहर ही मिलेगा, वो 'अम्बिएंस ' जो रेस्टोरेंट्स में ही होगी , 'बरिस्ता ' और 'कैफ़े कॉफ़ी डे की कॉफ़ी ' मूवी हॉल में 'पॉपकॉर्न ' के साथ मस्ती, वो बिना मतलब के सड़कों पर टहलना।....सब कुछ याद आ रहा है।


फिर भी यही कहेंगे : घर पर रहिये ,सुरक्षित रहिये।


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