Padma Agrawal

Others

4.5  

Padma Agrawal

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लोग क्या कहेंगें

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“मंगला, मैं बहुत खुश हूँ. यूएनओ की स्पेशल फोर्स के साथ युगांडा जाने के लिये मेरा नाम फाइनल हो गया है , यह मेरे जीवन का सुनहरा मौका है . तुम कुछ दिनों के लिये अपने बेटे माधव के पास चली जाना . “

“तुम चाहे कहीं जाओ , मुझे क्या ? मैं बंग्लुरू क्यों जाऊँ? क्या तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकती ? जब 5 साल के नन्हें माधव के साथ अकेली रही थी , तब नहीं ख्याल आया था कि अकेले छोटे बच्चे के साथ कैसे रह रही होगी ?”

“तुम हर समय मुझ पर फायर करती रहना .. खैर मैं माधव को फोन कर देता हूँ , फिर जो जी में आये माँ बेटे मिल कर वह करना . “ कह कर उन्होंने माधव को फोन पर कह दिया , मैं युगांडा जा रहा हूँ . इसलिये मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी अम्मा तुम्हारे पास रहें, वह खाने पीने में कुछ परहेज नहीं करतीं , इसलिये उनका वजन बढता जा रहा है और कोलेस्ट्रोल भी बढा रहता है . यहाँ तक कि चलना फिरना भी मुश्किल होता जा रहा है . उनके घुटने को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देना . मैं तो सब कुछ करके हार गया हूँ , तुम भी कोशिश करके देख लेना , शायद कुछ फायदा हो जाये .”

“ आपको कब जाना है ? “

“ मुझे 22 तारीख को दिल्ली पहुँचना है . “

फिर आधे घंटे में ही माधव का फोन आया , “अम्मा, आप बंग्लुरू 20 तारीख को आ रही हैं , मैंने फ्लाइट की टिकट बुक करवा दिया है ‘’.

“इतनी जल्दी मैं तैयारी कैसे कर पाऊँगी ?”

“आप अपने घर आ रही हैं . उसके लिये भला क्या तैयारी करना ? बस मेरे लिये थोड़ी सी गुझिया जरूर बना कर लाना . “

मंगला बेटे के यहाँ अकेले पहली बार जा रही थीं, उन्होंने बेटे माधव को बड़ी मुसीबतों से पाला था , पति मोहन फौज में सिपाही थे . वह साल में एक बार घर आते थे और कभी कभी तो साल भी बीत जाता था . घर सास ससुर कुँवारे जेठ और छोटी छोटी 2 ननदों से भरा हुआ था .

दिन भर वह काम करते करते थक जातीं थी . जेठ जी की कामुक निगाहें उनके अंग प्रत्यंग को अंदर तक भेदती रहती थीं . घर क्या था जंग का मैदान था . इस सबसे तंग होकर वह घर छोड़ कर मायके आ गई थी . मोहन उसके इस कदम से नाराज हो गये थे . वे 5 – 6 वर्षों तक उनके पास नहीं आये थे . वह समय उनके लिये बहुत कष्टकारी था . उन्होंने एक छोटे स्कूल में नौकरी करके और बच्चों को ट्यूशन पढा कर अपनी गुजर बसर की . बेटे माधव को पढा लिखा कर योग्य इंसान बनाना ही उनके जीवन का लक्ष्य था और कठिन परिस्थितियों के झंझावातों को झेलती झेलती वह जिद्दी और अक्खड़ बन गईं थीं .

माधव बचपन से ही पढने में तेज था . वह हर कक्षा में अव्वल आता था . वह इंजीनियर बन कर 3 सालों के लिये अमेरिका चला गया था . वहीं पर उसने मिनी के साथ शादी कर ली थी . मंगला इसी बात पर बेटे से नाराज हो गईं थीं . हालांकि माधव मिनी को लेकर उनके पास आ चुका था , फिर भी उनके मन में डर था कि बेटे के घर वह कैसे रहेंगीं और बहू मिनी उनके साथ कैसा व्यवहार करेगी ?

मंगला ने ट्रेन के एसी डब्बे को हमेशा लालची निगाहों से देखा था . हवाई यात्रा के बारे में सोच कर वह बहुत ही उत्साहित हो उठीं थीं . वह पास पड़ोस सबे कहती फिर रहीं थीं कि मेरे बेटे ने मेरे लिये हवाईजहाज का टिकट भेजा है . उन्होने जल्दी जल्दी बेटे की पसंद की तमाम चीजें बना डालीं थीं . गुझिया, लड्डू , मठरी और सेव माधव बचपन से ही बहुत पसंद करता था . इन चीजों के अलावा कभी वह अचार की शीशी पैक करतीं तो कभी मुंगौड़ी. वह दर्द के कारण निढाल हो जातीं लेकिन माँ की ममता कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी . बहू मिनी के लिये वह बाजार से एक सूट भी ले आईं थीं .

एयरपोर्ट का विशाल प्रांगण, लोगों की भीड़भाड़ , वहाँ चारों तरफ की गहमा गहमी देख वह घबरा उठीं ,माधव का दोस्त मुकुल भी उसी फ्लाइट से बंग्लुरू जा रहा था ,इसलिये उन्होंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया था . ढाई घंटे की उड़ान के बाद वह बंग्लुरू पहुँच गईं थीं . एयरपोर्ट पर बेटे माधव को देख वह प्रफुल्लित उठीं थीं , जींस टॉप में लिपटी बहू मिनी को देख वह सिटपिटा उठीं थीं .

मिनी ने शालीनता पूर्वक उनके पैर छुये और उनके गले से लिपट गई , “मॉम आपको रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई ,” वह बोली .

मंगला मुश्किल से कुछ बोल ही नहीं पाईं तभी माधव गाड़ी लेकर आ गया , मिनी ने प्यार से माँ का हाथ पकड़ा और उन्हें कार में बिठा कर बोली , “माँ आपको हवाईजहाज में डर तो नहीं लगा “?

“हाँ थोड़ा तो लग रहा था लेकिन मैंने तो अपनी आँखे जोर से बंद कर ली थी .”, “अब बस मेरा सिर थोड़ा भारी हो रहा है .”

“चलिये घर में एक कप गरमागरम चाय पियेगीं तो आराम मिल जायेगा . मैं आपके सिर की चंपी कर दूँगी तो भारीपन खत्म हो जायेगा .” फिर उनका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली , “मॉम आपकी साड़ी बहुत सुंदर लग रही है . “

“तुम्हारे पापा करवाचौथ पर मेरे लिये लाये थे . “

माधव मजाक करते हुए बोला ,” ये तुम्हारी सास हैं मॉम नहीं , इनसे इज्जत से बात करो और अम्मा आपको बहू मिल गई तो बेटे को भूल ही बैठीं . “

“नहीं बेटा, मैं तो तेरी पसंद को देख रही हूँ ,कितनी अच्छी है .” मिनी का स्नेह पाकर मंगला अभिभूत हो उठी थीं .

माधव बोला , “अम्मा, हम लोग 15 मिनट में घर पहुँच जायेंगें .”

  कुछ समय बाद गाड़ी एक भव्य परिसर में पहुँच गई , हरा भरा बड़ा सा लॉन , काफी बड़ा सा स्विमिंग पूल. वहाँ की भव्यता को मंगला जी अपलक निहारते रह गईं थीं . मिनी उनका हाथ पकड़ कर लिफ्ट से उन्हें अपने फ्लैट में ले गई ड्राइँगरूम का मंहगा सोफा , मोटी कार्पेट और दीवार में टँगा हुआ एलसीडी टीवी देख वह उल्लसित हो उठीं एकबारगी उनके मुँह से निकल पड़ा , “शाबास बेटा तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया”


फिर वह बच्चों की तरह गुदगुदे सोफे पर उछल कर बैठ गईं . माधव उनकी अटैची और बैग लेकर आ गया फिर अम्मा से लिपटते हुए बोला ,

“अम्मा मेरे लिये गुझिया लाई हो .”

“हाँ ..हाँ .. मैं बैग से निकालती हूँ “

“मिनी पहले तुम चाय पिलाओ .”

“हाँ , मैं चाय लाती हूँ फिर हम दोनों मिल कर डब्बे खोलेंगें . “

मंगला जी मिनी का बचपना देख मुस्कुरा उठीं . मिनी झटपट चाय और गरमागरम पकौड़े ले आई .

“मिनी पकौड़े बहुत स्वादिष्ट बने हैं .” मंगला जी बोलीं

“अम्मा आखिर बहू किसकी है “, कहते हुय़े माधव हँस पड़ा था .

माधव और मिनी दोनों छोटे बच्चों की तरह डब्बे खोलने में जुटे थे . माधव गुझिया खाते ही बोला , “वाह अम्मा मजा आ गया , कितने दिनों के बाद यह स्वाद मिला है . “

मिनी ने मठरी और सेव खाये , “मम्मा आपने बहुत टेस्टी बनाये हैं . “

माधव सब चीजें जल्दी जल्दी खाकर डकार लेकर बोला , “मेरा तो पेट भर गया लेकिन मन नहीं भरा . “

मिनी बोली ,” मम्मा इसकी तोंद आप देखिये , यह बिल्कुल भी परहेज नहीं करता . इसका कोलस्ट्राल बढा हुआ है . इसी स्पीड से यह सब खाओगे तो जल्दी ही अस्पताल पहुँच जाओगे . “

“अम्मा आपको भी यह सब इस उम्र में नहीं खाना चाहिये “. माधव बोला .

“तेरे पापा ने तो बहुत मना किया था लेकिन मेरा मन नहीं माना और मैंने उनकी एक नहीं सुनी . “

फिर माधव बोला ,”हम दोनों अपने अपने थोड़ा थोड़ा ले जायेंगें और सबको बता कर खिलायेगें कि मेरी अम्मा आईं हैं और उन्होंने अपने हाथों से बनाया है . “

“हाँ.. हाँ.. यह ठीक रहेगा ,” दोनों ने एक दूसरे की हाँ में हां मिलाई .” मम्मा आइये आपको आपका कमरा दिखा दूँ .” मिनी ने कहा .

कमरा छोटा जरूर था लेकिन हवादार और साफ सुथरा था . पलंग पर कीमती चादर बिछी हुई थी . उन्होंने बाथरुम जाकर हाथ मुँह धोया , आँखो पर ठंडे पानी की छींटे डाले फिर वह बेड पर आँखें बंद कर लेट गईं थीं वह मन ही मन सोचने लगीं कि अभी तो मिनी बहुत अच्छी लड़की लग रही है , देखो आगे कैसे रहती है ..उन्हे कब झपकी लग गई पता ही नहीं लगा था .

आँख खुलते ही वह हड़बड़ा कर उठ बैठीं , उन्हें किसी ने चादर उढा दी थी , वह भावुक हो उठीं थीं . उन्हें भूख भी लग रही थी , लेकिन घर में कोई हलचल नहीं सुनाई पड़ रही थी . तभी मिनी की आवाज आई , “मम्मा आइये ,” “खाना लग गया है , आप तो जब से आईं हैं कुछ भी नहीं खाया है . “

माधव बोला , “अम्मा पहले आपकी प्लेट लगा रहा हूँ “.

माधव सलाद काटने के बाद धनिया काट रहा था .

माधव तुम तो बहुत समझदार हो गये हो ,” बीबी की मदद करना बहुत अच्छी बात है . हम लोगों के समय की बात और थी . हमें तो पानी का ग्लास भी हाथ में पकड़ाना पड़ता था .”

“नहीं ..नहीं मिनी रोटियाँ सेक लो , फिर सब लोग साथ में खायेंगें . मेरे लिये दो रोटी बनाना . “

“मिनी , अम्मा के लिये पराठे बनाना , उन्हें रोटी नहीं पसंद है . “

मंगला चुप रही लेकिन उन्हें अच्छा लगा कि बेटे को आज भी उनकी पसंद याद है .

मिनी ने मटर पनीर पुलाव और दमालू बना रखा था . मंगला जी खाना खा कर खुश हो गईं , “वाह बहू , तुमने तो मेरा दिल खुश कर दिया “.

माधव कुशल गृहिणी की तरह किचेन की सफाई कर रहा था .

मंगला जी बोलीं , “चलो हटो मैं कर देती हूँ “.

“अम्मा आप आज आराम कर लो , कल से करना . “

वह अपनी अटैची से सूट निकाल कर लाईं और मिनी को देते हुए बोलीं , “देख कर बताओ कि तुम्हें पसंद आया कि नहीं “

“बहत प्यारा सूट है मम्मा , मैं तो कब से ऐसा सूट चाह रही थी , मुझे मिल ही नहीं रहा था . “

मंगला खुश हो गई थीं .

“मम्मा कल सुबह 8 बजे डॉक्टर से मिलने का समय लिया हुआ है , आप थोड़ा जल्दी तैयार हो जाना . सुबह ट्रैफिक बहुत ज्यादा रहता है . “

सुबह वह नहा धोकर तैयार होकर बाहर आईं तो मिनी चाय का कप हाथ में लेकर आ गई , “मम्मा जल्दी कीजिये आपके घुटने के लिये फीजियोथैरेपी सेंटर भी जाना है , वहाँ डॉक्टर से तय समय पर ही मिलना होता है . वह आपके पैरों को देख कर मशीनों के द्वारा एक्सरसाइज करवायेंगें .”

“मुझे तो डर लग रहा है. “

“मम्मा डरने की क्या बात है भला “

मिनी ने उनका हाथ पकड़ा वह उनके साथ चल दीं . डॉक्टर के पास वह पहुँची तो उन्होंने चेक अप करके मशीन से घुटने की सिकाई और एक्सरसाईज करने को बताया . कैल्शियम खाने को बोला और डाईट चार्ट बनवा कर दिया , जिसका उन्हें पालन करना था .

उसी दिन से उनकी फीजियोथैरेपी शुरू होनी थी , वह साड़ी पहनी हुईं थी , मिनी ने अपने बैग से सूट निकाल कर दिया मम्मा एक्सरसाइज के समय ये पहन कर करना होगा . उन्हें थोड़ा अटपटा तो लग रहा था लेकिन मिनी उनका इतना ख्याल रख रही थी और सूट पहनना तो उनकी चाहत थी लेकिन वह सोचती थीं कि लोग क्या कहेंगें . उन्हें सेंटर जाने में मजा आने लगा था . जल्दी ही उन्हें घुटने के दर्द से राहत मिलने लगी थी , जिससे उनकी चाल में सुधार होने लगा . शुरू शुरू में उनंहें डाइट प्लान का खाना नहीं पसंद आ रहा था लेकिन फिर फायदा देख कर वह वही खाना खाने लगीं थीं .

एक दिन मिनी बोली , “मम्मा चलिये आपको मॉल लेकर चलते हैं , वहाँ आपके लिये शापिंग करूँगी . “

“ना बेटी ना , मेरे पास सब कुछ तो है , मुझे कुछ भी नहीं खरीदना है , बेकार में मेरे पैर थकेंगें .”

“चलिये भी , वह अधिकार पूर्वक उन्हें हाथ पकड़ कर ले गई . “

5-6 सलवारसूट खरीद कर बोली, “मम्मा अब आप यही पहनियेगा , आपको इसमें आराम मिलेगा . साड़ी कभी कभी पहन लिया करिये . “

मंगला जी बहू का स्नेह देख कर हैरान थीं . अनायास ही उनके मुँह से निकल पड़ा, “ बहू तुम तो मेरी बेटी से बढ कर हो. “

माधव एक दिन ऑफिस से आते समय कलर और ब्रश और पेपर लेकर आया और बोला , आप बताती थीं कि मुझे पेंटिंग का बहुत शौक था परंतु घर गृहस्थी के चक्कर में सब कुछ पीछे कहीं छूट गया . परिस्थितियों के कारण पूरा नहीं हो सका .

बेटे माधव से उपहार पाकर उनकी आँखों से आंसू बह निकले थे . बरसों बाद अपने हाथ में ब्रश और कलर पाकर वह बहुत प्रसन्न हों उठीं .

धीरे धीरे माधव ने उन्हें कंप्यूटर चलाना सिखा दिया . उनके लिये एक लैपटॉप ले आया . वह कभी गूगल पर कुछ सर्च कर पढतीं तो कभी गेम खेलतीं . उनकी तो दुनिया ही बदल गई थी . इस नई दुनिया में उन्हें बहुत आनंद आ रहा था . पेंटिंग के शौक के कारण सोसायटी में पेंटिंग वाली आंटी के नाम से मशहूर हो गईं थीं .

शनिवार का दिन था , “मम्मा आज आपको एक जगह मेरे साथ चलना है . “

“कहाँ बेटी “

“बस चलिये, तब बताऊंगीं .” वहाँ पर मिनी उन्हें ब्यूटी पार्लर लेकर गई , वहाँ पहुंच कर कर बोली, “मम्मा आप बाल सेट करवाइये तो आप बहुत स्मार्ट और यंग लगेंगीं .”

मंगला ने दिखावटी ना नुकुर की लेकिन फिर शर्माते सकुचाते हुए वह चेयर पर बैठ गईं . मिनी ने ही उनके हेयर स्टाइल ओके किया . घंटे भर में ही उनका चेहरा ही बदल गया था .

“मम्मा फेशियल तो इस उम्र में सबसे जरूरी है .” मिनी ने कहा तो मुस्कुराते हुय़े फेशियल भी करवाया . उनका व्यक्तित्व बिल्कुल बदल गया था . अब वह छोटे शहर की थुलथुल काया वाली भचक कर चलने वाली मंगला नहीं थीं वरन् वह तो स्मार्ट आधुनिक प्रौढा थीं . आज वह बहुत खुश थीं . क्योंकि इस तरह से रहने का सपना तो वह हमेशा से देखती रहां थीं लेकिन मन ही मन सोचतीं थीं कि लोग क्या कहेंगें कि बूढी घोड़ी लाल लगाम लेकिन मिनी ने उनकी चाहत को पूरा कर दिया था .

“मिनी , मैंने जब से होश संभाला था तब से आधुनिक जीवन शैली जीने की चाहत थी परंतु पहले ससुराल का डर फिर आर्थिक स्थिति का डाँवाडोल रहना फिर जब उम्र हो गई तो बस मन का डर कि लोग क्या कहेंगें . इसलिये मन मसोस कर चिढती रही और तुम्हारे पापा के साथ लड़ती झगड़ती रही . चलो देर से ही सही तुमने मेरी इच्छा पूरी कर दी . “

वह घर पहुँची तो माधव उन्हें देखता ही रह गया फिर एकदम से चिल्ला पड़ा , “हाय अम्मा , अब तो मुझे भी आपको मॉम कहना पड़ेगा अब अम्मा तो नहीं चलेगा . “

मिनी जोर से हँस पड़ी और उनका चेहरा शर्म से लाल हो उठा था . माधव ने मां को अपने गले से लगा लिया और बोला, “वाउ मॉम ....”

उसी समय मोहन का फोन आ गया तो वह बात करते हुय़े अपने कमरे में चली गईं थी . तभी माधव के दोस्त भास्कर की आवाज उन्हें सुनाई पड़ी . वह कह रहा था कि भाभी आपके हाथ का ऑमलेट खाये हुय़े कई महीने हो गये हैं , आज कोई बहाना नहीं चलेगा . मैं अंडे लेकर ही आया हूँ . माधव की फुसफुसाहट भी उन्हें सुनाई पड़ी थी कि अंदर अम्मा हैं , उन्हें अंडे से परहेज है .

मंगला जी ने अंतर्मन की सारी वर्जनाओं को तिरोहित करते हुए बाहर निकल कर बोलीं ,” मिनी , तुम आज ऑमलेट बना ही दो . माधव का भी कब से उपवास चल रहा होगा . वह तो बचपन से ही ऑमलेट का नाम सुनते ही लार टपकाने लगता था . आज तो मैं भी चख कर देखूँगी कि ऐसा क्या है ऑमलेट में ... क्योंकि तुम्हारे पापा से इसके लिये अक्सर झगड़ा होता रहा है .”

“मम्मा, मैं आपके लिये सैंडविच बना देती हूँ .“

एक पल को वह पहले हिचकिचाईं फिर बोलीं, “नहीं आज तुम पहले ऑमलेट ही बनाओ फिर सैंडविच बाद में देखा जायेगा . “

माधव को चटखारे लेकर ऑमलेट खाते देख वह अपना दिल कड़ा कर बोलीं , “माधव , अपनी प्लेट मेरी तरफ कर , मैं भी तो चख कर देखूँ तेरा पसंदीदा ऑमलेट .. इसी ऑमलेट को लेकर रोज सुबह मेरी उनकी लड़ाई होती है , मैंने अपनी जिद् में न तो कभी बनाया न ही खाया .”

फिर जैसे ही मंगला जी ने ऑमलेट मुँह में रखा माधव और भास्कर दोनों ही खुश हो गये . भास्कर धीरे से बोला ,” काश मेरी मम्मी भी ऐसी होतीं . “

भास्कर जब चला गया तौ मंगला जी मिनी से बोलीं , “आज तुम्हें अपने दिल का राज बताती हूँ . क्रोध में मैं 5 साल के माधव की अंगुली पकड़ कर घर छोड़ कर चली तो गई लेकिन जो अपमान और जिल्लत मैंने झेली है , उसके लिये मैंने माधव के पापा को ही दोष देती रही इसलिये जब वह लौट कर मेरे पास आये तब भी और उसके बाद भी मुझ पर उन्हें सताने का और बदला लेने का जुनून सवार रहता , उन पर हर समय ताने कसना , उनसे झगड़ा करना मेरा रोज का काम होता था . सुबह उन्हें चाय नाश्ता देनें के बजाय 2-2 घंटे तक ठाकुर जी के सामने बैठ कर पूजा करने का नाटक करती रहती . यह मेरी दिनचर्या बन गई थी , मेरा मकसद केवल उन्हें हर तरह से तंग करना होता था . कई बार मुझे पछतावा भी होता था लेकिन चाह कर भी उनको देखते ही चिढ के कारण उन पर नाराज हुआ करती “

“पास पड़ोस में सास बहू की तकरार और गाली गलौज सुन कर माधव और तुम्हारे प्रति भी गलत धारणा बना बैठी थी . इसी वजह से तुम्हारे पास आने से भी कतरा रही थी .परंतु मिनी , तुम्हारा लाड़ और स्नेह पाकर बिल्कुल एक नई मंगला का जन्म हुआ है . यहाँ आकर , तुम दोनों का प्यार देख कर मैं बहुत खुश हूँ .” व्यस्त दिनचर्या के कारण ठाकुर जी पर धूल की परतें चढ गई हैं परंतु मुझे उसका जरा भी अफसोस नहीं है . काश पहले मैंने ठाकुर जी के बजाय अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दिया होता . यहाँ वॉकिंग , एक्सरसाइज , पेंटिंग , पॉर्लर और लैपटॉप और वीडियोगेम ने मेरा जीवन ही बदल दिया है . “

“माधव अपने पापा को फोन तो लगा , आज उनसे बातें करने का मेरा बहुत मन कर रहा है . “

“डियर मॉम फोन पर ही क्यों ,आमने सामने बात करिये और कहते हुय़े लैपटॉप के स्काइप पर उन्हे कॉल कर दिया . “

मोहन पत्नी के बदले हुय़े आधुनिक चेहरे को देख कर आश्चर्यचकित हो कर बोले “, माधव मैं जल्द आ रहा हूँ , तुम्हारी अम्मा को साथ में लेकर हनीमून पर जाने के लिये .” उनकी प्रसन्नता का पारावार नहीं था , वह शर्म से लाल होकर बोलीं “आप भी … बच्चों के सामने ऐसे कह रहे हैं . लोग क्या कहेंगें . “


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