लक्ष्मी भी तू दुर्गा भी तू
लक्ष्मी भी तू दुर्गा भी तू
सुनो बहू, "तुम बाहर जाओ और नौकरी करो ये बात तुम्हारे ससुर जी कभी नही मानेंगे। अच्छा होगा तुम घर और बच्चे को अच्छे से संभालो वही सही होगा।" आभा जी ने कहा।
लेकिन मां, "नौकरी करने में बुराई क्या है? आजकल के महंगाई के जमाने में एक की कमाई से घर चलाना मुश्किल हो जाता है और बच्चे के बाद तो खर्चा दुगना हो जाता है।" रीमा ने एक और कोशिश करते हुए कहा।
"लल्ला घर चला रहा है ना...तुम्हारी जरूरतें भी पूरी कर रहा है। फिर तुम्हे नौकरी की जिद क्यों चढ़ी है बहु? तुम जाओ और मुन्ने को संभालो।" ये कह कर मां अपने कमरे में चली गई और रीमा आज फिर मन मसोस कर रह गई।
रीमा एक पढ़ी लिखी लड़की थी जिसकी शादी दूसरे शहर में होने की वजह से अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी। हालांकि रमन की नौकरी अच्छी थी और घर भी ठीक ठाक सम्भल रहा था उसकी आमदनी से। लेकिन मुन्ने के आने के बाद से रीमा देख रही थी कि खर्चे बढ़ते जा रहे है और रमन बीच बीच मे ही परेशान होने लगा है।
रमन सुनो ना, "आप मां बाबा से एक बार बात करके देखो शायद वो राजी ही जाएं।"
"मैं समझता हूं कि तुम मुझे परेशान देखकर ही नौकरी की बात कर रही हो लेकिन मां बाबा नही मानेंगे। और मैं नही चाहता कि घर में किसी भी तरह का क्लेश हो।"
रीमा ने इस विषय को लेकर चुप्पी भले ही साध ली थी लेकिन उसका दिमाग अभी भी यही सोचे जा रहा था कि ऐसा क्या काम करे जिससे रमन की आर्थिक सहायता कर सके। ऐसे ही एक दिन लैपटॉप पर कुछ काम करते करते रीमा ने एक वेबसाइट पर देखा कि किस तरह आप अपने हाथों से बने सामान को घर बैठे देश विदेश में बेच सकते हैं चाहे वो सिलाई बुनाई की चीजें हो या कोई डिजिटल आर्ट।
रीमा ग्राफिक्स डिज़ाइन और एनीमेशन का काम जानती थी। बस रीमा ने खबर लेनी शुरू की और लग गई काम में अपने। घर बैठे लैपटॉप पर खाली समय पर वो डिजाइनिंग का काम करने लगी। धीरे धीरे उसका काम पसन्द आने लगा और उसके बनाये हुए डिज़ाइन और एनिमेटेड वीडियो बिकने लगे। पैसे उसके बैंक में आ जाते। रीमा घर के काम और मुन्ने को संभाल दोपहर और रात में अपना काम करती।
घर की स्थिति सुधरने लगी थी और अब छोटी मोटी जरूरतें रीमा खुद ही संभाल लेती जिससे रमन भी अब सेविंग्स करने लगा था। ऐसे ही एक दिन रमन ऑफिस के काम से दूसरे शहर गया हुआ था कि पीछे से बाबा का पैर फिसला और वो गिर पड़े। रीमा उनको अस्पताल लेकर पहुंची तो पता चला कि कूल्हे की हड्डी टूट गई है,ऑपरेशन करना पड़ेगा।
मां ने घबरा कर कहा "ऑपरेशन के लिए इतने पैसे कहा से आएंगे। रीमा ने कहा मैं सब संभाल लूंगी आप परेशान ना हो।" रीमा ने अपने बैंक एकाउंट से पैसे निकाल जमा करवाए और जल्द ही ऑपरेशन भी हो गया। दो दिन बाद रमन भी लौट आया और उसके कुछ दिनों बाद बाबा को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
"लल्ला तूने अगर समय पर पैसे ना भिजवाए होते तो तेरे बाबा का समय पर ऑपरेशन ना हो पाता।" मां ने रमन को आशीर्वाद देते हुए कहा।
रीमा की तरफ देखते हुए रमन बोला, "मैने नहीं ,रीमा ने पैसों की व्यवस्था कर बाबा का ऑपरेशन करवाया है मां। मुझे तो जब तक खबर मिली ऑपरेशन हो चुका था।"
रमन ने बोलना जारी रखा, "मां रीमा ने आप दोनो का मान रखने के लिये बाहर जाकर नौकरी नहीं की लेकिन मेरी आर्थिक मदद करने के लिए घर से ही काम शुरू कर दिया था और उसी के कमाए हुए पैसों से बाबा का ऑपरेशन हुआ। रीमा घर के बढ़ते खर्चो को देख परेशान थी और इसलिए आपसे नौकरी करने की बात बार बार कह रही थी। ना सिर्फ उसने मेरी आर्थिक स्थिति को संभालने में मदद करी बल्कि आप दोनों की भी जरूरतों का ख्याल रखा। मां वो दिन गए जब मर्द पैसे कमाते और औरतें सिर्फ घर सम्भालती थी। आजकल लड़कियां पढ़ रही, आगे बढ़ रही हैं। घर और नौकरी दोनों का हाथ बखूबी पकड़ रखा है। खुद तो आत्मनिर्भर हो ही रही है साथ ही औरों के लिए भी मिसाल बन रही हैं। उन्हें अपने पति की कमाई पर निर्भर होंने की जरूरत ही नहीं है।"
मां ने रीमा को गले से लगा लिया और बोली, "तू सिर्फ घर की लक्ष्मी ही नहीं दुर्गा भी है ,जिसने घर की हर परिस्थिति ,हर मुसीबत का सामना किया और हमें भनक भी नहीं लगने दी। हो सके तो मुझे माफ़ करना।"
