Ankita Mishra

Others

4.0  

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लड़की होने का सजा

लड़की होने का सजा

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       न जाने क्यों एक लड़की को लड़की बनकर पैदा होने का सजा मिलता रहता है ! हर कोई जानता है कि एक लड़की के बगैर दुनिया कभी आगे नहीं बढ़ सकता है , फिर भी सब लगे रहते हैं एक लड़की को नीचा दिखाने में l 

      एक लड़की की पैदा होने में उसकी क्या गलती है ? जब वह पैदा होती है घर में खुशी से पहले सब को इस बात का फिक्र होने लगता है कि , " इसकी विदाई के लिए काफी सारे पैसों का जरूरत पड़ेगा , वैसे भी लड़की है घर में खाना ही तो बनाएगी , बहादुर जैसा तो कोई काम कर ही नहीं पाएगी , आखिरकार मरते वक्त एक बेटा ही तो चिता में आग देता है l इससे तो अच्छा होता कोई लड़का ही पैदा हो जाता l " लड़का पैदा होने का जो खुशी घर में दिखता है , लड़की के पैदा होने से वह खुशी कहां दिखता है l कुछ लोग दिखावे के लिए यह भी कह देते हैं कि लड़का हो या लड़की हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है l मगर एक लड़की पैदा होते ही सबका खुशी कहीं ना कहीं कम ही हो जाता है l 

       जब लड़की थोड़ी सी बड़ी हो जाती है तब घर का सारा काम सिखाने के लिए अपने घरवाले ही दुश्मन की तरह उस लड़की के पीछे पड़ जाते हैं और न जाने कितने ताने मारने लगते हैं l कोई भी यह तो सोचता ही नहीं की , उस लड़की के लिए खाना बनाने से ज्यादा जरूरी और भी कोई अरमान हो सकते हैं l यह सब उस लड़की के समान उम्र का एक लड़के के साथ तो नहीं होता है l लड़का लड़की की बात आए तो अलग अलग नियम बन जाते हैं और हमेशा उस नियम में एक लड़की को कमजोर साबित किया जाता है l दुनिया वालों के लिए तो शायद एक लड़की धरती पर बोझ बन चुकी है l कोई भी आकर एक लड़की की शक्ल जला देता है तो कोई एक लड़की की इज्जत छीन कर उसे मार डालता है तो कोई दहेज के चक्कर में ससुराल वालों के जरिए मरती है l कुछ जगह पर तो एक लड़की को कमजोर दिखाने के चक्कर में उसकी दिमाग को इतना दबाव दिया जाता है कि वह मजबूर होकर आत्महत्या तक कर लेती है l काश एक लड़की को खाना बनाना या घर का सारे काम करना सिखाने के जगह आत्मरक्षा करने के लिए कुछ सिखाया जाता तो शायद अच्छा होता l कोई लड़की कभी इन सब के खिलाफ जाकर किसी से कोई बात करें तो उसे सिर्फ एक ही चीज सिखाया जाता है की , " लड़की होकर इतना सवाल करना शोभा नहीं देता है l लड़कियों का जिंदगी ऐसा ही होता हैl " 

       कई सारे लोग हर गलती में एक लड़की की ही गलती ढूंढने लगते हैं , चाहे वहां उस लड़की की कोई गलती हो या ना हो l किसी लड़के से प्यार किया तो लड़की की चरित्र ढीला और लड़की की अपहरण हो तो लड़की की कपड़े गंदे बन जाते हैं l मगर कोई भी इन सब में एक लड़के का भी गलती हो सकता है यह तो सोचता ही नहीं l लड़के का भी नजरिया खराब हो सकता है यह तो कोई कहता ही नहीं l काश हर मां बाप अपने बेटे को सर पर ना बिठाकर एक लड़की की इज्जत करना सिखाए होते तो शायद आज दुनिया कुछ और होता l 

        फिर आता है एक लड़की की शादी , जिसमें हमेशा अपना घर छोड़कर किसी पराए के घर एक लड़की को ही जाना पड़ता है l कभी किसी ने यह सोचा है कि परायों को अपनाकर अपनों को पराया करना एक लड़की के लिए कितना आसान होता होगा ! शादी के बाद एक लड़की चाहे घर में बैठे या नौकरी करें घर का सारा काम तो लड़की को ही करनी है l जबकि दूसरी तरफ उसकी उमर का एक लड़का सिर्फ कुछ समय का नौकरी करके घर में थक कर बैठ जाता है और फिर आराम करने लगता है l क्या इसमें एक लड़की को दर्द नहीं होता है ? एक लड़की अपने ससुराल जाकर नौकरानी की तरह दिन-रात काम करने लगती है , जबकि एक लड़का अपने ससुराल में शांति से बैठ कर अच्छा खासा खाना खाकर राजा जैसा जिंदगी जीने लगता है l इन सबके बाद भी लड़कों को 2 से 4 दिन के अंदर अपने ससुराल में घुटन महसूस होने लगता है , जबकि एक लड़की हर दर्द सह कर भर जिंदगी के लिए अपनी ससुराल में सबको अपना मान कर रहने लगती है l आखिर क्यों ? शादी के बाद लड़के तो अपने आप को नहीं बदलते हैं l फिर एक लड़की को इतने सारे बदलाव क्यों लाना पड़ता है ? शादी के बाद एक लड़की के लिए कपड़े पहनने का ढंग से लेकर जीने का ढंग तक का एक लंबा सफर में बदलाव क्यों होता है ? चूड़ियां पहनना या और कोई जेवर पहनना तो लड़कियों का फैशन होता है और फैशन को तो जब मर्जी तब पहन सकते हैं और जब मन ना हो तब उतार भी सकते हैं l फिर शादी के बाद यह फैशन मजबूरी क्यों बन जाता है ? यह सब अपने आप शादीशुदा औरत का निशानी कैसे बन जाता है ? चाहे एक लड़की को जेवर पहनने का मन हो या ना हो या इस जेवर से एक लड़की को चोट भी क्यों ना लग जाए तब भी यह शादीशुदा लड़कियों के लिए एक नियम बन कर रोजाना कैसे बन जाता है ? एक औरत का पति मर जाए तो उसे विधवा की तरह जीना पड़ता है और यही सारे फैशन वापस से दूर भी हो जाते हैं l सफेद रंग औरत का विधवा होने का निशानी भी बन जाता है l जबकि एक पति का पत्नी मरे तो उसमें इतने सारे बदलाव तो आते ही नहीं l बाहर कोई उसे देखकर यह कह भी नहीं सकता कि उसका पत्नी मरा है l 

      सारे बदलाव सारे दर्द सिर्फ एक औरत को ही क्यों मिलता है ? " हमने कई दर्द सहा है तो तुम्हें भी सहना पड़ेगा " इस सोच के जरिए कई बार तो एक औरत ही दूसरी औरत का दुश्मन भी बन जाती है l एक लड़की को मासिक समस्या और बच्चे पैदा करने का दर्द तो पहले से ही है ऊपर वाले ने दे रखा है , जिसका दर्द का अनुमान तो कोई लड़का कभी कर ही नहीं सकता l क्या लोगों से लड़कियों का इतना दर्द नहीं देखा जाता जो वापस से एक लड़की को बार-बार दर्द ही देना पसंद करते हैं l समाज और संस्कृति के नाम पर एक लड़की को दर्द देकर लोग कैसे खुश रह पाते हैं ? वैसे तो यह सारे सवाल कई लोग पूछते ही हैं पर इसका सही जवाब तो शायद ही आज तक किसी को मिला ही नहीं l कहने को तो देश काफी सालों से आजाद हो चुका है , पर अफसोस की बात यह है कि , " एक लड़की आज भी अपनी आजादी के लिए लड़ रही है l "


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