एक कोशिश
एक कोशिश
सपना भला कौन नहीं देखता है ? सपनों से ही तो दुनिया चलती है। बस फर्क यही है कि किसी का सपना पूरा होता है तो किसी का सपना अधूरा रह जाता है। कुछ इंसान के सपने किस्मत से पूरा होता है तो और कुछ का कोशिश से।
अपने सपनों को पूरा करने की पूरी कोशिश करते हुए भी बार-बार हार जाने वाली लड़की में से ही एक है , " मुनीरा "। मुनीरा एक छोटी गांव में रहने वाली लड़की है। मुनीरा के ढेर सारे सपने थे। वह हमेशा कुछ भी अच्छा करते हुए अपने देश का नाम रोशन करना चाहती थी। पर उसे एक बहुत बड़ा बीमारी हुआ था। इस बीमारी के जरिए मुनीरा की दोनों पैर काम नहीं करते थे। मुनीरा बड़े होकर एक पुलिस ऑफिसर बनना चाहती थी। मगर उसकी बीमारी उसकी सपनों के बीच खड़ा हुआ था। मुनीरा के घर वाले यह बात बहुत अच्छे से जानते थे कि मुनीरा की यह सपना कभी पूरा नहीं हो सकता है। इसलिए मुनीरा की घरवाले मुनीरा को कोई झूठी तसल्ली भी नहीं देते थे।
साधारण इंसान का दोनों पांव होते हुए भी कभी-कभी एक इंसान पुलिस ऑफिसर नहीं बन पाता है , फिर मुनीरा पुलिस ऑफिसर कैसे बन पाएगी ? यही सोच मुनीरा के माता-पिता के दिमाग में दिन रात चलते रहते थे। कई सारे डॉक्टर भी यह कह चुके थे कि मुनीरा कभी चल नहीं पाएगी। मगर मुनीरा अपनी जिद में अडी थी। मुनीरा किसी भी तरीके से अपने पैरों से खड़े होने की कोशिश कर रही थी। भले ही मुनीरा को कोई भी कुछ भी क्यों ना कहे , मगर वह सारे लोगों का बातों को पीछे छोड़ कर अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ने की कोशिश करने में लगी थी। जब मुनीरा थोड़ा समय के लिए भी अकेले रहती थी तब वह अपने पैरों से खड़े होने के लिए जी-जान लगाकर कोशिश करने लगती थी।
आखिरकार वो दिन आ ही गया जब मुनीरा की कोशिशें कामयाब होने लगे। अब मुनीरा धीरे-धीरे से चलने लगी। यह सब देख कर मुनीरा के माता पिता खुश होते हुए आश्चर्य भी होने लगे। अब मुनीरा के माता-पिता को भी यह लगने लगा कि , " अब मुनीरा शायद अपने सपनों को पूरा कर सकती है। " अब मुनीरा के माता-पिता मुनीरा की कोशिश में साथ देने लगे। अंत में मुनीरा की कोशिशें और मुनीरा के माता-पिता के साथ ने मुनीरा को एक पुलिस ऑफिसर बना ही दिया।
