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Ankita Mishra

Children Stories

4  

Ankita Mishra

Children Stories

मिठाई में चींटी

मिठाई में चींटी

4 mins
180

हरि एक 10 साल का गरीब बच्चा है l उसका पिता हरिहर एक छोटा सा मिठाई का दुकान में काम करते हैं l वह बहुत स्वादिष्ट मिठाइयां बना पाते हैं l इसलिए दुकान का मालिक हमेशा हरिहर का प्रशंसा करते हैं l 

एक बार हरिहर अपने बेटे को दुकान में लाया था l हरि दुकान में चुपचाप बैठ कर चारों और अच्छे से देख रहा था l चारों और देखते-देखते हरि का नजर एक जगह पर अटक गया l उसने देखा , " एक औरत बहुत ज्यादा मिठाई खरीदने के बाद भी दुकानदार को मिठाई का पूरा पैसा नहीं दे रही है l " यह सब देखकर हरि को कुछ सही नहीं लगा l अब हरि चुपचाप से उस औरत के पास गया और उस औरत की पैर से टकराकर नीचे गिर जाने का नाटक किया l हरि को नीचे गिर जाते हुए देखकर वह औरत सारा मिठाई वहीं पर रखकर घबराते हुए जल्दी-जल्दी में वहां से निकल गई l अब दुकानदार का कोई नुकसान नहीं हुआ l दुकानदार बहुत ज्यादा खुश होते हुए हरि का प्रशंसा करने लगा l हरि का प्रशंसा होते हुए देखकर हरिहर को भी बहुत खुशी मिला l

कुछ दिनों के बाद वापस वह औरत उस दुकान पर आई और ढेर सारा खाना खाने लगी l खाना खाने के बाद वह अपने घर के लिए कुछ मिठाई अलग से लेने लगी l मगर वह दुष्ट औरत अपनी खाने का पैसा ना देकर सिर्फ मिठाई का पैसा देने लगी l दुकानदार उस औरत को बहुत समझाने का कोशिश करता रहा मगर वह औरत कुछ और ना सुनते हुए उस दुकानदार से लड़ने लगी l किस्मत से उस दिन हरि भी वहां पर था और वह यह सब को देख रहा था l वह औरत हरि का चेहरा को भूल चुकी थी , मगर हरि उस औरत को नहीं भूला था l अब हरि कुछ सोचते हुए उस औरत को सबक सिखाने के लिए जल्दी-जल्दी में किसी भी तरीके से कई सारे चीटियां एक डिब्बे में इकट्ठा करने लगा और फिर चुपके से जाकर सारे चीटियों को उस औरत की मिठाई के डिब्बे में डाल दिया l अब वह औरत कम पैसों में ज्यादा मिठाई लेकर मन ही मन में बहुत खुश होकर वहां से निकल गई l 

पूरे 1 घंटे बाद वह औरत बहुत ज्यादा गुस्सा करते हुए वापस उस दुकान पर आई और उस दुकानदार से अपने पैसे वापस मांगने लगी l दुकानदार यह कहने लगा कि , " आप तो यहां जो खा कर गए हैं , उसका पैसा दिए ही नहीं l फिर मैं आपको किस चीज का पैसा वापस करूं ? आप जितने पैसे दिए थे उस हिसाब से आपको आपका चीज मिल भी गया l अब आप जाइए यहां से l " अब वह औरत बहुत ज्यादा गुस्सा करते हुए दुकानदार का सारा मिठाई को इधर-उधर फेंकने की कोशिश करने लगी l अब हरि पीछे से आकर उस औरत को मिठाई फेंकने से रोककर सारा सच्चाई बताने लगा l अब हरि यह कहने लगा कि , " आप इनका मिठाई फेंक कर इनका नुकसान मत कीजिए l इन सब में इनका कोई गलती नहीं है l जो भी हुआ है सब मेरे वजह से हुआ है l मुझे मिठाई में चीटियां छोड़कर अच्छा नहीं लगा फिर मैं खुद ही सोचने लगा कि इंसान हो या चींटी हो किसी को तो खाना मिलेगा l लेकिन आपको सबक सिखाना जरूरी था l मेरे नजरों के सामने आप इस दुकानदार के साथ बहुत गलत कर चुके हो l क्या पता शायद मेरे नजरों के बगैर भी आप कई बार इनके साथ गलत किए होंगे ! एक गरीब इंसान न जाने कितना मेहनत करके अपने लिए पैसा कमा पाता है और आप जैसे लोग अगर उसको पैसे नहीं दोगे तो वह कैसे जिएगा ? " हरि से कुछ इस तरह की बातें सुनकर उस औरत को अपने किए पर पश्चाताप आने लगा l अब वह औरत चुपचाप से सारे पैसे दुकानदार को देखकर वहां से चली गई l अब दुकानदार वापस से हरि का प्रशंसा करने लगा l हरिहर को अपने बेटे के ऊपर बहुत गर्व महसूस होने लगा l 

 आखिर में हरी के वजह से एक दुष्ट औरत अच्छी बन पाई और एक दुकानदार का बहुत सारा नुकसान होते होते रुक गया l 


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