Ankita Mishra

Children Stories

4  

Ankita Mishra

Children Stories

दोस्ती

दोस्ती

4 mins
263


     रिश्ते तो कई तरह के होते हैं , मगर जब दिल से एक रिश्ता बनता है तब उसे " दोस्ती " कहते हैं l एक बच्चा को बचपन में बहुत कुछ सिखाया जाता है , मगर कब और किस से दोस्ती करना है यह सिर्फ उस बच्चे का दिल पर निर्भर करता है l दोस्ती के लिए कोई उम्र नहीं होता है l कोई भी उम्र में कहीं पर भी एक अच्छा दोस्त बनाया जा सकता है l इस कहानी में रीना और अनीता की मजेदार दोस्ती का कहानी बताया गया है l 

रीना और अनीता बचपन से एक दूसरे को नहीं जानते थे l बचपन से ही रीना की कोई खास दोस्त नहीं थे l वो हमेशा अपने आप को अकेला महसूस करती थी l 5वी की पढ़ाई खत्म करने के बाद जब रीना एक नई विद्यालय में पढ़ने के लिए गई , तब वह वहां पर पहली बार अनीता से मुलाकात की थी l अनीता के पास बहुत सारे दोस्त थे और अनीता एक अहंकारी लड़की भी थी l इस नया विद्यालय में भी रीना बिल्कुल अकेली पड़ गई l 2 साल तो ऐसे ही गुजर गया , उसके बाद कोई एक लड़ाई झगड़े की वजह से अनीता से उसकी सारे दोस्त दूर हो गए l अब अनीता बिल्कुल अकेली पड़ गई l अकेलेपन का दर्द क्या होता है यह बात रीना बहुत अच्छे से समझती थी l इसीलिए वह अनीता से दोस्ती करने की कोशिश करने लगी l इस बार अनीता रीना से दोस्ती भी कर ली l इस दोस्ती में अनीता हमेशा रीना के ऊपर हुकुम चलाने लगी l मगर रीना को इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता था l वह बस इस बात से खुश थी कि उसे एक दोस्त मिल गई l रीना के साथ दोस्ती करने के कुछ ही महीनों के बीच अनीता में बहुत सारे बदलाव आने लगे थे l अहंकारी अनीता धीरे धीरे से अच्छी बनने लगी l विद्यालय में सब अनीता की बदलता हुआ रूप को देखकर बहुत खुश होने लगे l अब दसवीं के बाद आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए रीना 2 साल के लिए कहीं दूसरे जगह पर चली गई l मगर अनीता वहीं रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करने लगी l 

 अब पूरे 2 साल के बाद रीना वापस अपने गांव आई l अब रीना जल्दी से अनीता के घर जाकर अनीता से मुलाकात करना चाहि l मगर इस बार रीना अनीता की एक अलग ही रूप को देखने को पाई l अनीता बापस बुरी बन चुकी थी l वह रीना से ज्यादा बातचीत करना भी नहीं चाहि l इस बात से रीना को बहुत ज्यादा बुरा लगा l रीना रोते हुए अपने घर आई और सारी बातें अपने मम्मा को बताइ l रीना की पूरी बात सुनने के बाद रीना की मम्मा रीना को कुछ समझाने लगी l वह रीना को यह कहने लगे कि , " पहले भी तुमने ही अनीता को अच्छी अनीता बनाई थी l मुझे पूरा यकीन है कि तुम वापस अनीता को अच्छी बना दोगी l तुम कोशिश तो करो l रोने से कुछ नहीं होने वाला l " मम्मा की बात सुनकर रीना वापस अनीता के घर गई और अनीता को बाहर कहीं पर घूमने के लिए बुलाई l अनीता रीना के साथ बाहर कहीं पर जाना तो नहीं चाहती थी , मगर रीना की बहुत कहने से अनीता रीना के साथ घूमने के लिए निकल पड़ी l अब रीना अनीता को अपनी पुरानी दोस्ती के दिन याद दिलाने की कोशिश करने लगी l अनीता जानबूझकर रीना की बातों को अनसुना कर रही थी l अब रीना और कुछ ना सोच पाते हुए अनीता को विद्यालय के पास लेकर गई l विद्यालय के पास जाने के बाद अनीता उन पुरानी यादों को और अनदेखा नहीं कर पाई l अब अनीता जोर जोर से रोने लगी और रीना से माफी भी मांगने लगी l अनीता यह भी कहने लगी कि , " न जाने मैं क्यों दूसरों की बातों में जल्दी आ जाती हूं ! आज मुझे खुद पर बहुत ज्यादा नफरत हो रहा है l मुझे माफ कर दे रीना l मैं वापस कुछ बुरे दोस्तों के झांसे में आ गई थी l " यह सब सुनकर रीना बहुत ज्यादा खुश होते हुए अनीता को गले लगाई l अब वापस अनीता और रीना के बीच एक अच्छी दोस्ती का शुरूआत हो गया l अब अनीता घर जाकर सारी बातें अपनी मम्मा को बताई l सारी बातें सुनकर अनीता की मम्मा यही कहने लगी कि , " सच्चा दोस्त इसे ही कहते हैं l कुछ दोस्त गलत राह दिखाते हैं तो कुछ दोस्त सही राह भी दिखाते हैं l सच्चा दोस्त सब के नसीब में नहीं होता है l अगर तुम्हें तुम्हारा सच्चा दोस्त मिल चुका है , तो इसे कभी हाथ से जाने मत देना l " इसके बाद अनीता और रीना की मजबूत दोस्ती का रिश्ता कभी नहीं टूटा l 


Rate this content
Log in