Dr Jogender Singh(jogi)

Children Stories

4.0  

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लाल/नीले निशान

लाल/नीले निशान

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"बड़े हर बात पर डाँट देते हैं। कोई सामान दिलाने को बोलो तो, ना करना पक्का ।"

"हाँ यार!! कल कितना ड्रामा करना पड़ा , तब जाकर कुरकुरे दिलाये मम्मी ने ! दस रुपये से क्या होता है , दिला देना चाहिये बच्चे को ।"अर्णव ने कहा।

वरूण और अर्णव पार्क में बैठे बातें कर रहे हैं। 

"चलो खेलते हैं ! बॉल लाया हूँ कोस्को की है , हार्ड वाली! ज़ोर से ना मारना । पापा ने मुश्किल से दिलायी है।"

"दो ही जने खेलेंगे ? थक जाएँगें , कुछ और बच्चे आ जायें तो खेले", वरूण बोला।

"तुम्हारी माँ मारती है तुम्हें ?"

"कभी कभी मार भी देती है , पर अच्छी है मेरी माँ ।" वरूण सोचते हुए बोला।”एक बात है , माँ ठीक है , डैडी ज़्यादा उड़ाते हैं ।

"मेरी तो माँ झाँसी की रानी है , बिन तलवार की। जो हाथ में आया उसी से धाड़ से मार देती है।यह देख" , अपनी टी शर्ट उठा कर दिखाते हुए अर्णव बोला ।

"नीला हो गया है , दर्द कर रहा है?" 

"दर्द !!! थोड़ा सा है , आदत हो गयी है , कल लाल था , आयंशी ने देखा था । अब नीला हो गया" , मुस्कुराते अर्णव ने जवाब दिया।

"मेरी मॉम कभी इतनी ज़ोर से नहीं मारती । पापा भी नहीं ।“ आयंशी को भी मार पड़ती है? वरूण ने अर्णव को देखते हुए पूछा।

"कभी कभी , बहुत रोती है , माँ और मारती है , रोने से माँ का ग़ुस्सा बढ़ जाता है, “ मैं तो रोता ही नहीं , चाहे कितने भी ज़ोर से मार दे “। हँसते हुये अर्णव बोला ।

"तुम ब्रेव हो ।मुझे तो बहुत रोना आ जाता है । वरूण सोचते हुये बोला ।पर मेरा कोई भाई बहन भी तो नहीं है ना ।" थोड़ा दुःखी हो गया।

"मैं हूँ ना तेरा दोस्त , कोई भी बात बोल सकता है मुझे ।"

"तुम हो तो ,पर मॉम बोली है घर की बात बाहर नहीं बतानी चाहिये।, सब मज़ाक़ बनाते हैं"

"घर की बातें बताने को मना किया है ,पगलू । तू !! अपने मन की बात बता सकता है।"दार्शनिक की तरह अर्णव बोला।

"लो अरुण , आरुश आ रहे हैं? अरुण !!! अरुण !!!!! बैट लाये हो ना? अर्णव चिल्लाया।"हम लोगों के पास कोस्को की बॉल है ।

"आरुश लाया है बैट , उसी से खेलेंगे । आओ विकेट बना लें ।" अरुण बोला।

"वरूण ईंट उठा लाओ , इधर रखना । पाँच ईंटे का विकेट बनेगा । बॉल नयी है , उछलेगी ।"अर्णव ने मानो फ़ैसला सुनाया ।

"छः ईंटे का बनाओ , नहीं तो आउट नहीं होगे सबकी बारी आनी चाहिये" आरुश बोला ।

"अरे यार ! पाँच ईंटे का ठीक है" , अरुण ने कहा ।"देख नहीं रहे ,मैं और वरूण कितने छोटे हैं हाइट में।"

"ठीक है , टीम माँग लेते है। मैं और अर्णव कैप्टन ", आरुश ने घोषणा की।

"मैं अर्णव की टीम में रहूँगा", वरूण बोला।

"ऐसे कैसे? टॉस होगा जो जीतेगा , वही पहले माँगेगा , अरुण ने दलील दी , रोज़ तुम दोनों एक तरफ़ हो जाते हो ।"

"फिर मुझे नहीं खेलना!!! लाओ मेरी बॉल दो।"

"कभी मत खेलना फिर" , अरुण ने बॉल फेंक दी ।

 "वरूण सुनो , अर्णव किनारे आ कर उसके कान में फुसफुसाया , अगर में टॉस जीता तो तुम्हें माँग लूँगा ।पक्के से।"

"अगर हार गये तो ?? "

"कोई नहीं ? तुम्हें बॉलिंग धीरे से करूँगा।"

"यह तो फ़िक्सिंग हो रही है" , अरुण ने दोनों की बातें सुन कर कहा।

"चुप !!!" होंठों पर उँगली रख अर्णव ने उसे चुप रहने का ईशारा किया ।

"ठीक" ।।

"खुरदरा आया तो मैं जीता , चिकना आया तो तुम !" आरुश बोला।

"यह घुमाया और मैं जीत गया" , मैंने माँगा वरूण आरुश की तो मानो लॉटरी लग गयी।

तब तक बँटी , रितेश ,ऋषभ और विशाल भी आ गये ।

"ज़ोरदार मैच हुआ ना ?" अर्णव ने वरूण से कहा।

"तू तो बोला था धीरे फेंकेगा , दोनो बार तूने ही आउट किया , हरा दिया अब बोल रहा है , ज़ोरदार मैच हुआ ।" वरूण मानो रो देगा।

"दो रन से जीत पाये , इतनी मेहनत से तुझे आउट न करता ,तो हार जाते हम लोग।अच्छा खेला तू भी , हरा ही दिया था तूने", वरूण के सिर को ज़ोर से हिलाया अर्णव ने।

“मुस्कुरा दे अब ! घर जा कर माँ का प्रसाद मिलेगा “,दोस्त तू मत नाराज़ हो, अर्णव बोला।

"सही कह रहा है भाई , मैं अपने बच्चों को कभी नहीं मारूँगा तू भी न मारना । वादा कर । हम बड़े हो कर बच्चों के दोस्त बनेगें , उन्हें समझायेंगे , पर पिटाई नहीं करेंगे।"

वादा ! अर्णव बोला । फिर किसी की पीठ पर लाल नीले निशान नहीं होंगे ।वादा पक्केवाला।बाई"

"बाई !!" वरूण मुस्कुराया ।



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