कुछ तो ख़ास हो तुम भाग 2
कुछ तो ख़ास हो तुम भाग 2
हम बस शरबत का गिलास लिए वह खड़े थे बिना किसी से कुछ बोले ,एक अजीब से ख़ामोशी थीं हमारे दरमियान. तभी नुसरत ने पूछा "आपको कौन सा गुलाब पसंद है?"
अयान नुसरत की तरफ़ बड़ी बेबाकी से देखने लगा।तभी नीचे से आवाज़ आई ,नुसरत बेटा आ जाओ.अयान ने पहले बड़े सलीके से नुसरत को आगे आने का इशारा करते है।
घर वाले ये देख कर खुश हो जाते हैं।मौलाना साहब कुछ गले से हल्की सी आवाज़ निकालते हैं तो आप लोगो ने क्या सोचा ,अयान की अम्मी अयान की तरफ़ देखती हैं,अयान मुस्कुराते हुए मुझे नुसरत पसंद है, मैं इस निकाह के लिए तैयार हूं ।
नुसरत अपने कमरे में चली जाती है ,वहा बैठे सभी लोग एक दूसरे को मुबारक बाद देते हैं,
मौलाना साहब महीने के अंदर ही निकाह की तारीख़ निकाल देते हैं ,सभी एक दूसरे से गले मिलते है ,नुसरत की अम्मी का चेहरा कुछ उतर सा गया था,अब उनकी लाड़ली एक महीने के अंदर ही उनसे दूर हो जाएगी, पर खुश भी थी।अयान की अम्मी उनके पास आती है ,आप परेशान ना हों नुसरत मेरी बेटी से बढ़कर रहेगी वो हमारे तरफ से स्वतंत्र है आगे पढ़ने के लिए या वो कोई नौकरी या अपना कुछ करना चाहें तो आप परेशान ना हो ।
नुसरत की अम्मी की आंखे आंसुओ से भर गया दोनो गले मिले ,वहा का माहौल कुछ गमगीन तो हो गया था,सभी बिरयानी खाते हैं ,पर अभी भी नुसरत की एक झलक के लिए अयान जैसे परेशान सा हो गया था खाने में भी उसका मन नहीं लग रहा था ,
"सभी निकलते हैं चलिए अब तो निकाह के दिन मुलाकात होगी" ,तभी अयान नुसरत के अब्बू के पास आते है ,"अब्बू निकाह की तैयारियों में बहुतसारा काम होता है ये मेरा अपना फ़न
नंबर है और हा मै खुद बीच बीच में आता रहूंगा आपको जो भी काम हो मुझे कहें" , फिर अयान अब्बू के गले लग गया "मुझे अपना बेटा समझें ,और बेटे से किस बात की हिचकिचाहट" , सभी गाड़ी में बैठते है अचानक उसी गुलाब के बगीचे में नुसरत खड़ी नज़र आती है ।
अयान खुश हो जाता है अपना हाथ हिलाया है और सभी चले जाते हैं,नुसरत हल्की सी मुस्कुराहट लिए वही खड़ी रहती है।
(आगे के भाग में देखे नुसरत का निकाह और क्या चिंता थी नुसरत की , भाग 3 में )
