कुछ तो ख़ास हो तुम
कुछ तो ख़ास हो तुम
"अरे सुन रही हो" खासते हुए , "जी कहिए" ,
"अरे मौलाना साहब कह रहे थे, कि लड़की की शादी के लिए बात चलाई है कल वो लोग लड़की देखने आ रहे हैं इंतजाम बढ़िया होना चाहिए,"
"तुम फिक्र मत करो बस कुछ सामान चाहिए वो ला देना ।"
"क्या लाना है?"
"वही मिठाईयां , सब्जियां और बस यही सब।"
"अरे वाह उन लोगों को क्या घास फूंस खिलाओगी, मैं ले आऊंगा बस तुम बढ़िया सी बिरयानी , शोरबा बना देना।"
घर की साफ सफाई अभियान शुरू कर दिया गया,
"अम्मी अम्मी बहुत भूख लगी है जल्दी से कुछ खिला दो!"
"हां हां जाओ नुसरत दाल भात बनाया है ,क्या अम्मी रोज रोज यही बनाती हो।"
"म्म्म कल बिरयानी बना दूंगी!"
"अरे हां कल कॉलेज मत जाना" ,
"क्यों?"
"बस कह दिया ना!"
"ऑफ़ फो अम्मी कल तो जाना बहुत ही जरूरी है!"
"बोला ना नहीं!"
"क्यों लेकिन !"
"कल लड़के वाले आ रहे हैं तुम्हें देखने , अब जाओ यहां से खाना खाओ मुझे पागल न बनाओ जाओ यहां से बहुत सारा काम है मुझे ।"
क्या अम्मी मैं क्या कोई नुमाइश की चीज़ है,
चुप कर , मुझे भी लोग देखने आए थे तब जाकर तेरे अब्बू से मेरा निकाह हुआ ,
अम्मी हमें कोई निकाह हमें कोई निकाह नहीं करना ,चुप कर जा यहां से,
अरे क्यों बच्ची पर चिल्ला रही हों, हमम में चिल्ला रही हूं,
"पर अम्मी मुझे तो अभी और पढ़ना है।"
"चुप रह कल तैयार रहना।"
अगली सुबह घर में सभी भाग दौड़ में लगे हैं ,और नुसरत अपनी एक बड़ी सी बालकनी जहां उसने ढेरों गुलाब लगा रखे हैं ,, एक एक फूलों को निहारती हुई ,
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ,
"आइए आइए" सभी सजे धजे बैठक वाले कमरे में बैठ जाते हैं एक दूसरे के बारे मे मौलाना साहब बताते है,
तभी नुसरत शरबत लेकर आती हैं , लड़का कुछ शरमाते हुए लड़की की तरफ देखता है । नुसरत एक खूबसूरत लड़की है , लंबी, गोरी , लंबे बाल और सबसे खास बात उसके बात करने का सलीका।
मौलाना साहब "अरे नुसरत अपने गुलाब का बगीचा तो दिखाओ अयान को।" वहां बैठे सभी हां में हां मिलाते हैं ।
दोनो सीढियां चढ़ते हुए बालकनी तक पहुंच गए।