MITHILESH NAG

Inspirational Tragedy

5.0  

MITHILESH NAG

Inspirational Tragedy

कठपुतलिया

कठपुतलिया

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कभी कभी कुछ बातेंं या कुछ काम हम ऐसा करते हैं ,कि दूसरों को लगता है कि ये ऐसा क्यों कर रहा है। बस उसी का फायदा उठा कर उसको कठपुतली की तरह नाचाते रहते हैं ।

ऐसा ही कुछ पूजा के साथ होता है, एक छोटी सी गलती जो सच मे देखा जाए तो उसकी गलती ही नहीं है,लेकिन फिर भी एक डर और शर्म की वजह से कुछ नही बोल पा रही थी ।

एक दिन स्कूल बस में बैठी पूजा,जिसकी उम्र आठ साल थी जो एक किनारे बैठी थी। कुछ देर बाद अचानक उसके हाथ से सीट कवर फट गया और पूजा डर गई कि “ अगर ड्राइवर भैया को पता चलेगा तो स्कूल टीचर को बता देंगे तो मार खाऊँगी”।

ये सब आगे वाली सीट पर बैठा खलासी बैठा सब देख रहा था।लेकिन पहले दिन वो कुछ नहीं बोला। स्कूल में पूजा पहुँची तो उसको लगा किसी को पता नहीं चला तो नार्मल रहने लगी ।

अगली सुबह पूजा उस सीट पर ना बैठ कर एक दम पीछे की सीट पर बैठ गयी और जब खलासी ये देख तो उसकी नीयत बदल गयी ।

“क्या हुआ पूजा ?” (उसके बगल बैठ कर)।

“कुछ नही अंकल” ( हँसते हुए)

“मुझे कुछ पता है तुम्हारे बारे में” (उसके सर पर हाथ रख कर)

अब पूजा के चेहरे का रंग उड़ गया कि क्या इनको सीट फटने वाली बात पता चल गई ?"

“मैंने जानबूझकर कर नही फाड़ा वो अनजाने में हो गया।" वो डरते डरते बोली।

“कोई बात नही मैं किसी को कुछ नहीं बोलूँगा, चिन्ता मत करो” कहते हुए खलासी उसके जांघ पर हाथ रख देता है। उसके ऐसा करते ही पूजा दूर होती है, और बोलती है...

“भैया ये क्या कर रहे हैं , मुझे अच्छा नहीं लग रहा है” उसका हाथ हटाते हुए कहती है।

“तो ठीक है मैं स्कूल में और तुम्हारे घर पर बोल दूँगा फिर ना स्कूल आ पाओगी, घर पर भी मार भी पड़ेगी”वो धमकाते हुए बोला।

फिर पूजा कुछ नहीं बोली वो उसके जांघ पर हाथ फेरते हुए कभी सीने पर ऐसे करता था। बस उसी डर की वजह से वो कुछ नहीं बोल सकी ।

अब पूजा उसके लिए कठपुतली बन कर रह गयी थी। वो आदमी रोज उसके साथ ऐसा करता रहता था ।

“क्या मस्त कठपुतली मुझे मिली है, वो भी जैसे चाहूंगा वैसे नचाता रहूँगा”।

घर पर पूजा डरी डरी घर पर रहने लगी। वो किसी से कुछ नहीं बोलती थी। बस रोती रहती थी।

एक बार अपनी मम्मी से उसने पूछा....

“मम्मी,ये कठपुतली क्या होता है,क्या वो दूसरे के कहने पर सब करते हैं ?

पहले तो उसकी मम्मी उसको बड़े ध्यान से देख रही थी फिर उनकी कुछ संदेह हुआ कि कुछ तो बात है उसको प्यार से अपने पास बैठा कर.....

“देखो एक कठपुतली नाचती है वो जैसे मूवी में नचाते हैं सब वो होता है”।

“और एक कौन सा होता है,मम्मी बोलो" वो बड़ी बेचैनी से पूछती है।

“दूसरा वो होता है, किसी के शरीर को गलत तरीके से टच करता हो वो उस इंसान को परेशान करता है और धमकी देता हो”

अब बोलो तुम क्यों ऐसा पूछ रही हो”?

तब पूजा पूरी बात अपनी मम्मी को उस खलासी के बारे में बोली कि उसके साथ रोज क्या क्या होता है।

उसके मम्मी की आँखों से आँसू और गुस्सा दोनों था।

अगली सुबह,

बस में जब खलासी ये सब कर रहा था तो उसको एक वॉइस रेकॉर्डिंग दे दी थी कि उसकी बात सुन सके।

वो बार बार बोल रहा था कि तुम मेरी “कठपुतली हो जब चाहूं तुम को नचाता रहूंगा।“

जैसे ही स्कूल पहुंची बस, तुरंत ही पुलिस उस आदमी को गिरफ्तार कर लेती है।

और उस की टीचर और प्रिंसीपल दोनों उसको समझाते हैं..

“बेटा कभी डरो मत, कितनी भी बड़ी गलती हो उसको छिपाओ मत बता दिया करो ताकि फिर कभी किसी की कठपुतली ना बनो” ।


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